मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला एएसआई के सर्वे का आज पांचवा दिन है। सुबह सबा 7 बजे ही जांच टीम भोजशाला पहुंच गई। इसके साथ ही आज मंगलवार होने के कारण हिन्दू दर्शनार्थी वहां पूजा अर्चना करने पहुंच गए। 2003 में यहां एक व्यवस्था बनाई गई थी, जिसके तहत यहां सुबह से शाम तक हिन्दू पूजा करते हैं। मंगलवार होने के कारण हिन्दू भक्त हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं।
महिला श्रद्धालुओं ने भोजशाला में नृत्य किया और पुरातत्वविभाग के द्वारा किए जा रहे सर्वे का स्वागत किया। बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर 22 मार्च से सर्वे किया जा रहा है।
भोजशाला कोई मस्जिद नहीं, सरस्वती मंदिर है
भोजशाला ही ‘सरस्वती मंदिर’ था। इस बात का दावा पूर्व पुरातत्वविद के के मुहम्मद कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भोजशाला, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमल मस्जिद’ असल में वो कोई मस्जिद नहीं, बल्कि सरस्वती मंदिर था। लेकिन बाद में इस्लामवादियों ने इस्लामी इबादतगाह में बदल दिया।
केके मुहम्मद का कहना था कि धार स्थित भोजशाला के बारे में ये ऐतिहासिक तथ्य है कि ये सरस्वती मंदिर ही था। बाद में इसे मस्जिद बनाया गया। केके मुहम्मद पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते कहते हैं कि इस कानून के तहत किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति आधार वर्ष 1947 निर्धारित है। उस वर्ष में अगर ये एक मंदिर था तो ये मंदिर ही रहेगा और अगर ये मस्जिद था तो ये मस्जिद ही रहेगा।
इसके साथ ही पूर्व पुरातत्वविद ने हिन्दुओं और मुसलमानों से कोर्ट के फैसलों का सम्मान करने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि हिन्दू समुदाय लगातार ये दावा करता आ रहा है कि यहां पर कोई मस्जिद कभी थी ही नहीं, बल्कि ये मां सरस्वती का मंदिर था।
बाबरी ढांचे के नीचे की थी राम मंदिर की पुष्टि
गौरतलब है कि पद्म पुरस्कार से सम्मानित केके मुहम्मद वही पुरातत्व विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने अयोध्या में कथित बाबरी ढांचे के नीचे राम मंदिर के अवशेषों के होने का पता लगाया था। वह 1976-77 में प्रोफेसर बीबी लाल के नेतृत्व में खुदाई टीम का हिस्सा थे।
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