Cash for query यानि कि पैसे लेकर लोकसभा में सवाल पूछने के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने बड़ा एक्शन लिया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में अपनी एफआईआर में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और दर्शन हीरानंदानी को आरोपी बनाया।
गौरतलब है कि इससे पहले शनिवार को ही कोलकाता में सीबीआई ने पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा के कोलकाता स्थित आवास और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके साथ ही जांच एजेंसी ने टीएमसी सांसद के पिता के घर पर भी रेड की थी। जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसी ने ये छापा बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर लोकसभा में सवाल पूछने के मामले में की थी।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि संसद से निष्कासित टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने और लोकसभा की वेबसाइट के क्रेडेंशियल्स को बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के साथ शेयर करने के मामले में दोषी हैं। इसी मामले में उनकी संसद सदस्यता को रद्द कर दिया गया था।
कैसे हुआ था खुलासा
दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे से संपर्क कर इस मामले को लेकर जानकारी साझा की। इसके बाद निशिकांत दुबे ने इस मामले को उठाया। संसद में इसको लेकर जमकर हंगामा किया गया। महुआ मोइत्रा ने पहले तो तीखे तेवर दिखाते हुए अनाप-शनाप बयानबाजी की। हालांकि, उनकी एक न चली। निशिकांत दुबे की मांग पर लोकसभा अध्यक्ष ने इस मामले की जांच के लिए संसद की एथिक्स कमेटी गठित कर दी।
जांच के बाद एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को दोषी पाया। एथिक्स कमेटी ने खुलासा किया कि महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में कुल 60 सवाल पूछे थे, जिसमें से करीब 50 सवाल बिजनेसमैन अडाणी को टार्गेट कर पूछे गए थे। महुआ की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब खुद दर्शन हीरानंदानी सरकारी गवाह बन गए। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि महुआ मोइत्रा ने उनसे पैसे लेकर उन्हें लोकसभा वेबसाइट का एक्सेस दिया था। आखिरकार महुआ मोइत्रा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया।
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