CM Arvind Kejriwal Arrest: 22 मार्च को दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर लिया। अरविंद केजरीवाल को आज स्पेशल पीएमएलए (PMLA) कोर्ट में पेश किया जाएगा जहां ईडी (ED) उनकी आगे की हिरासत की मांग की करेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, शीर्ष अदालत आज इस मामले पर सुनवाई करेगी। जिस कानून के तहत दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है, उसके तहत जमानत मिलना बहुत मुश्किल है। आइए जानते हैं कि पीएमएलए में जमानत मिलना क्यों मुश्किल हो जाता है।
पीएमएलए (PMLA) मतलब नी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (2002) जिसे 2002 में पारित किया गया था। जिसे वर्ष 2005 में लागू किया गया था, इस अधिनियम की धारा 45 के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमाती होंगे। संज्ञेय अपराध वे अपराध हैं जिनमें अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं होती है।
ईडी के पास पीएमएलए के तहत आरोपी के परिसर की तलाशी लेने और बिना किसी वारंटी के उसे गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। इसमें संपत्ति की कुर्की और नीलामी का प्रावधान भी शामिल है। फिलहाल आम आदमी पार्टी के तीन बड़े नेता मनीष सिसौदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन भी पीएमएलए के तहत जेल में बंद हैं।
इस शर्त पर कोर्ट देती है जमानत
एक्ट की धारा 45 में जमानत के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। ऐसे मामलों में अदालत तभी जमानत दे सकती है जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो जाए कि आरोपी संबंधित अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। एक बात और इसमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है।
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