नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद के लिए प्रेसिडेंशियल डिबेट की शुरुआत भारत माता की जय और वंदे मातरम् के जयघोष के साथ हुई। प्रेसिडेंशियल डिबेट की प्रतीक्षा छात्र पिछले चार वर्षों से कर रहे थे। माना जाता है कि जेएनयू में अध्यक्ष प्रत्याशी की जीत, डिबेट में उसके भाषण प्रदर्शन पर काफी निर्भर करती है और बहुत से छात्र डिबेट सुनने के बाद किसे वोट देना है, यह तय करते हैं। इसलिए अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशी इस आयोजन के लिए पुरजोर मेहनत कर भाषण तैयार करते हैं।
एबीवीपी के केंद्रीय पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एवं अभाविप के केंद्रीय विश्वविद्यालय कार्य संयोजक उमेश चंद्र अजमीरा ने अपने भाषण में कहा कि बचपन में ही नक्सली हमले में पिता की मौत हो गई थी। माता के साथ क्रूरता और जबरदस्ती करके मतांतरण करा दिया गया था। कुछ दिनों में मां की भी मृत्यु हो गई। उच्च शिक्षा हेतु जब जेएनयू आया तब एबीवीपी परिवार के संपर्क में आया। इस परिवार ने मुझे गले लगाया, सहारा दिया और सक्षम नेतृत्व देने का मौका देते हुए सशक्त बनने की प्रेरणा और अवसर देते हुए एबीवीपी जेएनयू इकाई का अध्यक्ष बनाया। इतना ही नहीं जब जेएनयू छात्रसंघ चुनाव होना तय हुआ तो मुझे अपने पैनल से अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया। मैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की उम्मीद पर खरा उतरने का हरसंभव प्रयत्न कर रहा हूं। साथ ही एबीवीपी द्वारा पिछले पांच वर्ष में किए गए सकारात्मक कार्यों को जेएनयू के प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचा जेएनयू में सकारात्मक नेतृत्व प्रदान करते हुए छात्रहित में कार्य करने को संकल्पित हूं।
उन्होंने कहा कि जब पूरा विश्व कोविड महामारी से जूझ रहा था तब जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आईसी घोष बंगाल में चुनाव लड़कर जमानत जब्त करवा रही थीं। इस विकट समय में विद्यार्थी परिषद लोगों को राशन एवं जरूरी समान बांटने का काम कर रही थी। आज विश्वविद्यालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर और हॉस्टल रेनोवेशन के लिए 58 करोड़ का जो फंड आवंटित हुआ है उसके लिए भी विद्यार्थी परिषद ने लंबा संघर्ष किया है। इन वामपंथियों के फरेब, मक्कारी और नाकामियों से जेएनयू के छात्र परेशान हो चुके हैं और इस बार विद्यार्थी परिषद पूर्ण बहुमत से चारों सीटों को जीत रही है, जिस तरह पिछले 22 जनवरी को भगवान राम के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ संपूर्ण देश ने पांच सौ साल के संघर्ष के माध्यम से अन्याय पर विजय प्राप्त की वैसे ही आने वाले 22 मार्च को जेएनयू के छात्र एबीवीपी के पूरे पैनल को अपना मत डालकर वामपंथ पर विजय प्राप्त करेंगे।
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