भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने से जहां 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में पनाह लेकर रह रहे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हिन्दुओं को राहत मिली है वहीं मुस्लिमों ने इसे लेकर एक भ्रामक विमर्श भी छेड़ा हुआ है। वह भ्रामक विमर्श है कि इससे ‘भारत के मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी’। हालांकि सही सोच वाले सभी लोग जानते हैं कि यह झूठ सिर्फ लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर षड्यंत्रपूर्वक चलाया जा रहा है। लेकिन इस भ्रामकता के झांसे में आकर सीमा पार जिन्ना के देश में मजहबी उन्मादी एक बार फिर अल्पसंख्यकों हिंदू, सिख समुदायों के विरुद्ध लामबंद होने लगे हैं।
भारत में नागरिकता संशोधन कानून लागू होते ही पड़ोसी इस्लामी देश में हिन्दुओं और सिखों के प्रति आक्रोश दिखा है। अब पाकिस्तान में अचानक से हिंदू और सिख समुदाय वालों की संपदाओं का मूल्य कम हो गया है। उनके मकानों, दुकानों का मोल पहले से इतना कम कर दिया गया है कि अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख औने—पौने दाम पर अपनी संपत्ति बेचने को मजबूर कर दिए गए हैं।
जिन्ना के देश के कट्टर मजहबी तत्वों को भारत में सीएए लागू से ऐसी चिढ़ मची है कि हिन्दुओं के मंदिरों को निशाना बनाया गया है। खैबर पख्तूनख्वा जिले में एक 200 साल पुराना मंदिर स्थानीय हिन्दुओं में बड़ा पूज्य माना जाता है। खबर है कि मजहबी तत्वों ने उसे ही गिराने की नाकाम कोशिश की, लेकिन स्थानीय हिन्दुओं ने एकजुट होकर उस मंदिर की रक्षा की और उसे टूटने से बचाया है।
कारोबारी हिंदुओं और सिखों ने पाकिस्तान में कई परचून दुकानें, दवा की दुकानें तथा दूसरे प्रतिष्ठान खड़े किए हैं। लेकिन अब वे उन्हें बेचने जाते हैं तो कीमत बहुत कम बताई जाती है। ये चलन सिंध में काफी देखने में आ रहा है। वहां बसे अधिकतर हिन्दू और सिख भारत में इस कानून के लागू से बहुत खुश हैं और वे चाहते हैं कि सिंध में जानोमाल की असुरक्षा को देखते हुए भारत में ही जाकर बस जाएं और वहां नागरिकता ले लें।
वहां से छनकर आईं खबरों के अनुसार, पाकिस्तान के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से जुड़े जयपाल ने बताया कि करीब 20 हिंदू—सिख परिवार पेशावर से पलायन कर गए थे। अब जब उन्होंने अपनी संपत्ति बेच देने के लिए बाजार में बात की तो पता चला उनकी जिस संपत्ति की कीमत पहले दो करोड़ आंकी गई थी, वह बहुत कम हो चुकी है। आखिरकार एक सिख परिवार ने तो दो करोड़ पाकिस्तानी रुपए कीमत की अपनी संपत्ति मात्र 1.35 करोड़ पाकिस्तानी रुपए में बेच दी।
जयपाल का कहना है कि कारोबारी हिंदुओं और सिखों ने पाकिस्तान में कई परचून दुकानें, दवा की दुकानें तथा दूसरे प्रतिष्ठान खड़े किए हैं। लेकिन अब वे उन्हें बेचने जाते हैं तो कीमत बहुत कम बताई जाती है। ये चलन सिंध में काफी देखने में आ रहा है। वहां बसे अधिकतर हिन्दू और सिख भारत में इस कानून के लागू से बहुत खुश हैं और वे चाहते हैं कि सिंध में जानोमाल की असुरक्षा को देखते हुए भारत में ही जाकर बस जाएं और वहां नागरिकता ले लें। पाकिस्तान की सरकार उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी भी नहीं देती। इसलिए वे अपनी संपत्तियां बेचकर यहां से जाने को उतावले हैं, भले ही अब उनकी दुकानों, मकानों के दाम कम ही क्यों न मिलें।
पड़ोसी इस्लामी देश के ही मीडिया में ये खबरें आई हैं कि इस बीच वहां एक 200 साल पुराने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की गई। यह प्राचीन मंदिर खैबर पख्तूनख्वा में स्वाबी जिले की रज्जर तहसील में दगई गांव में है। लेकिन इन्हीं खबरों से यह भी साफ होता है कि उस गांव के हिन्दुओं ने मजहबी उन्मादियों का कड़ा प्रतिकार किया और मंदिर को टूटने से बचा लिया।
उल्लेखनीय है कि उस प्राचीन मंदिर के आसपास हिंदुओं के घर हैं। जैसे ही उन्हें पता चला कि भीड़ मंदिर को तोड़ने आ रही है तो हिन्दू एकजुट होकर मंदिर के आगे दीवार बनकर खड़े हो गए। यह एक बड़ी बात है।
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