लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही कांग्रेस के युवराज को स्थापित करने वाली न्याय यात्रा का भी समापन हो गया। न्याय यात्रा के समापन के साथ कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का भाषण भी मुम्बई में हुआ। इस यात्रा के समापन में इंडी गठबंधन के कई नेता शामिल हुए। मुम्बई में जब इस यात्रा का समापन हुआ, तो लोगों की आशा के अनुरूप ही राहुल गांधी ने उन्हीं मुद्दों पर बोलना शुरू किया, जिन पर वे लगातार बोलते हुए आ रहे हैं, मगर इस बार भी वह अपना हिन्दू विरोधी चेहरा छिपा नहीं पाए। विवाद जब बढ़ा तो उन्होंने इस पर सफाई भी दी।
इस बार भी उन्होंने हिन्दू धर्म को निशाना बनाते हुए कहा कि उनकी लड़ाई न ही भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ है और न ही नरेंद्र मोदी के खिलाफ है। उनकी लड़ाई शक्ति के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दू धर्म में एक शक्ति होती है। अब वह क्या कहना चाहते हैं, यह किसी की समझ में नहीं आएगा? क्योंकि हिन्दू धर्म में शक्ति की अवधारणा पूर्णतया स्पष्ट है। शक्ति का अर्थ दुर्गा होता है और शक्ति के विरुद्ध हिन्दू धर्म में मात्र असुर ही जा सकते हैं। और यह भी हिन्दू धर्म में स्पष्ट है कि शक्ति स्वरूपा देवी का अवतार ही दुष्टों और असुरों का संहार करने के लिए हुआ था।
हिन्दू धर्म में वर्ष में दो बार शक्ति आराधना का पर्व मनाया जाता है। चैत्र नवरात्र एवं शारदीय नवरात्र। इनमें शक्ति ने नौ रूपों की आराधना की जाती है। माँ से प्रार्थना की जाती है कि वे असुरों का संहार करें। इसके साथ ही वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रि भी शक्ति के उपासकों द्वारा मनाई जाती है। शक्ति स्वरूपा दुर्गा माँ से वे शक्ति मांगते हैं। हिन्दू धर्म में शक्ति का नाम लेकर राहुल गांधी ने कहा कि हिन्दू धर्म में एक शक्ति शब्द होता है, हम शक्ति से लड़ रहे है, एक शक्ति से लड़ रहे हैं।
#WATCH मुंबई, महाराष्ट्र: भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, "हिंदू धर्म में एक शब्द होता है 'शक्ति'। हम एक शक्ति से लड़ रहे हैं। प्रश्न यह है कि वह शक्ति क्या है? राजा की आत्मा EVM में है, यह सच है। राजा की आत्मा EVM और देश की हर… pic.twitter.com/2PJ9FigqXO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 17, 2024
इसके बाद उन्होंने कहा कि राजा की आत्मा ईवीएम में है और लोग उस शक्ति से डरकर ही बीजेपी में जा रहे हैं। मगर राहुल गांधी ने उस शक्ति का नाम नहीं बताया। यह भी लोग कह सकते हैं कि शक्ति भी आसुरी और दैवीय होती है, मगर क्या राहुल गांधी ने आसुरी शक्ति का नाम लिया? नहीं! उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में एक शक्ति होती है और फिर न जाने क्या क्या कहा!
और जिस ईवीएम में आत्मा की बात वह कह रहे हैं उसी ईवीएम से जब वह चुनाव जीतते हैं, तब लोकतंत्र की जीत होती है और जब उनकी हार होती है तो वह ईवीएम का रोना लेकर बैठ जाते हैं। अभी हाल ही में जब चुनाव आयोग ने चुनावों की घोषणा की थी तो उन्होंने प्रोपेगैंडा फैलाने वालों को उत्तर देते हुए कहा भी था कि ईवीएम को हैक करना असंभव है। उन्होंने तो बल्कि ईवीएम की ओर से शायरी भी करते हुए कहा था कि
अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं,
वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो
जो परिणाम आता है तो उसके कायम नहीं रहते हो
Savage poetic take by EC chief on thoes who spread propaganda on EVM pic.twitter.com/JLHfBdMrOc
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) March 16, 2024
इस प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने एक-एक प्रश्न का उत्तर दिया था, मगर देश के जनमानस से घृणा करने वाले राहुल गांधी इस सीमा तक भारत की तकनीक से और भारत के बढ़ते कदमों से चिढ़ते हैं कि वे एक स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्परा के प्रति लोगों के दिल में अविश्वास भरने के लिए बार-बार ईवीएम का प्रश्न उठाते हैं।
जब वह ईवीएम या अन्य संस्थाओं के प्रति अविश्वास व्यक्त करते हैं तो वह वास्तव में भारत की हिन्दू पहचान के प्रति घृणा का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि उन्हें अपने मन का परिणाम चाहिए और कुछ नहीं। प्रभु श्री राम को लेकर उनके दिल में इस सीमा तक घृणा है कि उसे वह लगातार व्यक्त करते रहते हैं, जैसे उन्होंने न्याय यात्रा में रायबरेली में कहा था कि वे बनारस गए थे और उन्होंने वहां देखा कि सड़क पर हजारों युवा शराब पीकर सड़क पर लेटे हुए हैं और बाजा चल रहा है और उन्होंने एक बार फिर प्रभु श्री राम पर निशाना साधते हुए कहा था कि ‘पीएम चाहते हैं कि युवा पीढ़ी केवल जय श्रीराम का नारा लगाए और भूख से मर जाए।’
एक नहीं कई बार कांग्रेस के युवराज ऐसा करते हैं जिससे यही प्रतीत होता है कि या तो उन्हें शब्दों का अंदाजा नहीं है कि क्या बोलना है या फिर उन्हें अपना लक्ष्य सही तरीके से पता है कि उन्हें अपने टारगेट मतदाताओं तक अपनी बात कैसे पहुंचानी है? क्योंकि वायनाड जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं, वहां पर जीत का एक बहुत बड़ा कारण यही है कि वहां पर अल्पसंख्यक मतदाता बहुसंख्यक है, तो क्या वे अपनी लोकसभा सीट के मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए हिन्दू विरोधी वक्तव्य लगातार देते रहते हैं? या फिर वह वास्तव में देश में हर संस्था के प्रति अविश्वास पैदा करके अराजकता फैलाना चाहते हैं? हालांकि राहुल गांधी के इस भाषण का उत्तर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में दे दिया है कि महिलाएं शक्ति का स्वरुप हैं
Women are the embodiment of Shakti.
Ironically, from Shivaji Park, INDI Alliance made it clear they wanted to destroy Shakti.
I accept their challenge. And, I assure them that I will thwart every effort of theirs to destroy Shakti. pic.twitter.com/rmz9s7e38h
— Narendra Modi (@narendramodi) March 18, 2024
परन्तु कांग्रेस के युवराज और कांग्रेस के सामने प्रश्न कई हैं, परन्तु इनके उत्तर शायद न ही कांग्रेस और न ही राहुल गांधी के पास हैं क्योंकि उनके भाषणों से जिस टूलकिट की गंध आती है, वह भारत को एक नहीं देखना चाहती है, वह हिन्दू धर्म का निरंतर अपमान करती रहती है, तभी राहुल गांधी कभी मूर्तियों पर प्रश्न उठाते हैं, तो कभी हिन्दू धर्म में शक्ति पर बात करते हुए कहते हैं कि वे शक्ति से लड़ रहे हैं। शक्ति से लड़ने की इस प्रकार कुचेष्टा क्यों? हिन्दू धर्म से इस सीमा तक घृणा क्यों? भारत के बढ़ते कदमों से घृणा क्यों? क्या इसलिए क्योंकि तकनीक के कारण उनका वंश सत्ता में नहीं आ पा रहा है, जो भारत को अपनी जागीर समझता था? जिसके लिए भारत में झोपड़ियां दिखाना ही “रियल इंडिया” दिखाना होता था?
जनता के निर्णयों के प्रति घृणा क्यों या फिर उस जनता के धार्मिक प्रतीकों और विश्वासों से घृणा क्यों जो आपके झूठ पर विश्वास नहीं करना चाहती है? जनता भी यही कह रही है कि “शक्ति के खिलाफ तो असुर ही लड़ते हैं श्री राहुल गांधी जी!”
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