अजमेर। राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राजस्थान के जिन भी लोगों के पास 1857 की क्रांति से जुड़े दस्तावेज हैं, उनके बारे में प्राधिकरण के जयपुर में पर्यटन विभाग में संचालित मुख्यालय में जानकारी दी जा सकती है। राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे। इस स्मारक में उन ग्रामीणों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने बलिदान दिया या फिर अंग्रेजों की यातनाएं सही। जिन गांवों में स्मारक बनेंगे उन्हें स्वातंत्र गांव कहा जाएगा।
लखावत ने कहा कि 1857 की इस क्रांति में ही अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के आंदोलन की नींव डाली। जिन लोगों ने 1857 की क्रांति में बलिदान दिया, उनका इतिहास में बहुत कम उल्लेख है। 1857 की क्रांति में भी राजस्थान के सैकड़ों गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा। ग्रामीण वीरों ने बलिदान दिया।
लखावत ने बताया कि 1857 की क्रांति में बलिदान हुए ग्रामीणों के स्मारक को लेकर हाल ही में उनकी मुलाकात भजनलाल शर्मा से हुई। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ही यह निर्णय लिया गया है कि राजस्थान के जिन गांवों में 1857 की क्रांति में आंदोलन हुआ, वहां स्मारक बनाए जाएंगे। इस स्मारक में उन ग्रामीणों के नाम लिखे जाएंगे जिन्होंने बलिदान दिया या फिर अंग्रेजों की यातनाएं सही। ऐसी कई किताबें हैं जिनमें 1857 की क्रांति के योद्धाओं का उल्लेख है। उनका प्रयास होगा कि ऐसे सभी योद्धाओं को सम्मान दिलवा सकें। जिस गांव में स्मारक बनेंगे उन पर फिलहाल एक करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी।
लखावत ने कहा कि राजस्थान में महाराणा प्रताप जैसे योद्धा हुए हैं। जिन्होंने कभी भी आक्रमणकारियों की अधीनता स्वीकार नहीं की। आज भी हल्दी घाटी की मिट्टी को माथे पर लगाकर हम गौरवान्वित होते हैं। लखावत ने माना कि आजादी के बाद जो इतिहास लिखा जाना चाहिए था, वह नहीं लिखा गया। भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की भूमिका को कम आंका गया। जबकि भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों की वजह से ही देश को आजादी मिली।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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