जिन्ना के कट्टर इस्लामी देश ने जिन लड़ाकों की मदद करके अफगानिस्तान की कुर्सी पर बिठाया अब उन्हीं लड़ाकों के विरुद्ध पाकिस्तान कथित चाल चल रहा है। रिपोर्ट है कि एक अन्य देश के साथ मिलकर पाकिस्तान ने तालिबान पर चोट करने की योजना बनाई है। कुछ जानकारों का कहना है कि पाकिस्तानी की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई और ताजिकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी के बीच इस दृष्टि से कोई खिचड़ी पक रही है।
पता चला है कि इस लगभग तय समझौते के तहत पाकिस्तान और ताजिकिस्तान अफगानिस्तान में हुकूमत चला रहे तालिबान के विरुद्ध कोई रणनीति तैयार कर रहे हैं। आखिर ऐसा हुआ क्यों? इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वह है कि जिन तालिबान को पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई ने अफगानिस्तान की तत्कालीन सरकार से लड़ाई करके, तालिबान को कथित रणनीतिक मदद दी, वही तालिबान अब पाकिस्तान के कहना नहीं सुन रहा है, उसकी अनदेखी कर रहा है। इसलिए अब आईएसआई चाहती है कि तालिबान को इस नाफरमानी का उसे मजा चखाया जाए।
क्या माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर सत्तारूढ़ तालिबान के विरुद्ध एक प्रकार से परोक्ष युद्ध का आरम्भ हो चुका है। अगर जानकार सूत्रों का आकलन सही है तो शायद तालिबान के उस देश से अपदस्थ होने में अब ज्यादा दिन नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान के शिकंजे में गए अफगानिस्तान का अब पाकिस्तान उस प्रकार दोहन नहीं कर पा रहा है जैसा कभी किया करता था। संभव है अपनी उसी ऐंठ को बनाए रखने के लिए जिन्ना का देश तड़फड़ा रहा है और तालिबान पर एक प्रकार से दबाव बनाने की नीति अपना रहा है।
पाकिस्तान की सत्ता और तालिबान के बीच सीमा को लेकर ऐसा तनाव उपजा है कि वहां आएदिन दोनों देशों के सैनिकों की मुठभेड़ें होती हैं। तालिबान का दावा पाकिस्तान के सीमा के अंदर के उस इलाके को लेकर है जिसे वह धोखे से पाकिस्तान को दिया बताते हैं। अफगानिस्तान के अंदर तहरीके तालिबान पाकिस्तान के करीब 6000 आतंकवादी मौजूद हैं जो कथित तौर पर पाकिस्तान के उकसावे पर अफगान तालिबान के विरुद्ध हिंसक कार्रवाई में लगे हैं।
और भी अनेक मुद्दे हैं जो पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के गले की फांस बन गए हैं। इसलिए, बताते हैं पड़ोसी इस्लामी देश की फौज तालिबान हुकूमत को डावांडोल करने के लिए उसकी चूलें हिलाने की तैयारी कर रही है।
सवाल है कि क्या अफगानिस्तान में अस्थिरता पैदा करने के लिए आईएसआई और ताजिकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी कामयाब हो पाएगी? पाकिस्तान का मानना है कि ताजिकिस्तान के नियंत्रण में आज अफगानिस्तान से निकालेा आतंकी गुट आईएस खुरासान है। उन्हें वहां पनाह मिली है। इसलिए पाकिस्तान चाहता है ताजिकिस्तान आईएस खुरासान के माध्यम से वहां पाकिस्तानी हितों के पोषण के लिए काम करे। इस बारे में कुछ बातचीत भी हो चुकी है।
एक दौर था जब अफगानिस्तान में कथित तौर पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ द्वारा पोसे गए आतंकवादी गुट पाकिस्तान के शिकंजे में आ चुके थे। इन आतंकी गुटों को भड़काकर पाकिस्तान अफगानिस्तान में हिंसक उठापटक का खाका तैयार किया था। 1996 में इस हिंसक गुट तालिबान ने आईएसआई से मिले हथियारों और रणनीतिक मदद के दम पर राजधानी काबुल की गद्दी कब्जा ली। 2001 तक उसने वहां राज किया। इसी प्रकार अगस्त 2021 में फिर एक बार काबुल तालिबान लड़ाकों के कब्जे में चला गया। लेकिन इस बार एक साल भी नहीं बीता कि तालिबान ने पाकिस्तान का हुक्म मानने से मना कर दिया।
बहुत संभव है कि जिस प्रकार के हालात अफगानिस्तान में बने हैं उनमें अब पाकिस्तान इस्लामिक स्टेट खुरासान नाम के खूंखार जिहादी गुट को अपना हथियार बनाए। इस संघर्ष के बाद शायद स्थितियां पाकिस्तान के नियंत्रण में आ जाएं और वह वहां अपने मंसूबे पूरे कर सके।
आईएस खुरासान अब शायद पाकिस्तान की फौज के कथित निर्देश पर अफगानिस्तान में माहौल बिगाड़ सकता है। एक प्रकार से वह वहां अफगानिस्तान के हस्तक के तौर पर काम करेगा। वहां इस गुट को पनाह दिलवाएगा और मदद करेगा। पाकिस्तान के मंसूबों को वहां नाकाम करने में तालिबान की गुप्तचर एजेंसी ने बाधाएं खड़ी की थीं इसी के बाद, कथित तौर पर पाकिस्तान का दिमाग वहां एक नया षड्यंत्र रचने में जुटा था। अब यह नया पैंतरा पाकिस्तानी फौज के जनरलों द्वारा तैयार किया बताया जा रहा है।
लेकिन सवाल है कि क्या अफगानिस्तान में अस्थिरता पैदा करने के लिए आईएसआई और ताजिकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी कामयाब हो पाएगी? पाकिस्तान का मानना है कि ताजिकिस्तान के नियंत्रण में आज अफगानिस्तान से निकालेा आतंकी गुट आईएस खुरासान है। उन्हें वहां पनाह मिली है। इसलिए पाकिस्तान चाहता है ताजिकिस्तान आईएस खुरासान के माध्यम से वहां पाकिस्तानी हितों के पोषण के लिए काम करे। इस बारे में कुछ बातचीत भी हो चुकी है। पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में हुई एक एक बैठक में चीजें लगभग तय हो चुकी हैं अब बस उन पर अमल करना है।
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