रमजान का माह चल रहा है ऐसे में दिल्ली में मुस्लिमों ने सोचा कि महरौली में ध्वस्त हो चुकी 600 वर्ष पुरानी अखूनजी मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ लिया जाए। इसके बाद इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर नमाज पढ़ने की इजाजत मुस्लिमों ने मांगी। हालांकि, कोर्ट ने इससे स्पष्ट इनकार कर दिया। जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि फरवरी में शब ए बारात को लेकर जो आदेश हाई कोर्ट ने दिया था, वही इस मामले में भी लागू है।
इसे भी पढ़ें: Gujarat: विश्वविद्यालय परिसर में नमाज पढ़ रहे थे विदेशी छात्र, मस्जिद में पढ़ने को कहा तो लड़ बैठे
रिपोर्ट के मुताबिक, ये याचिका मुंतजमिया कमेटी मदरसा बहरुल उलुम और कब्रिस्तान ने दायर की थी। इस्लामिक संस्था ने कोर्ट से प्रार्थना के अधिकार का हवाला देते हुए नमाज की इजाजत मांगी थी। जिस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस दत्ता ने कहा कि हालात को देखते हुए पूर्व में 23 फरवरी को दिया गया तर्क वर्तमान आवेदन के मामले में भी कायम है। कोर्ट के लिए कोई दूसरा नजरिया अपनाने का कोई औचित्य नहीं है।
इसे भी पढ़ें: समंदर में भारतीय नौसेना का बड़ा ऑपरेशन, समुद्री डाकुओं को सिखाया कड़ा सबक, 35 का सरेंडर, INS कोलकाता-सुभद्रा का जयघोष
पहले दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दायर की थी याचिका
गौरतलब है कि इससे पहले शब ए बारात को लेकर दिल्ली के वक्फ बोर्ड ने इस स्थान पर नमाज को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में वक्फ बोर्ड प्रबंध समिति ने मांग की थी वहां पर कभी अखंदूजी मस्जिद और मदरसा हुआ करता था। इस कारण से उन्हें वहां पर शब ए बारात मनाने की इजाजत मिले। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने मुस्लिमों की याचिका को खारिज कर दिया।
इसे भी पढ़ें: आरएसएस : दत्तात्रेय होसबाले जी पुनः सरकार्यवाह निर्वाचित, अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में हुआ निर्णय
उल्लेखनीय है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 30 जनवरी 2024 को ही महरौली स्थित अखूनजी मस्जिद और बहरुल उलुम मदरसे को ध्वस्त कर दिया था।
टिप्पणियाँ