गांधीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हाल ही में नागरिक संशोधन अधिनियम-सीएए बनाया है, जो किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित नहीं करता है। यह अधिनियम भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से अत्याचार के शिकार हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए लाया गया है, जो वहां से शरण लेने के लिए भारत आए हैं। गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने CAA के लाभार्थियों को गांधीनगर में संबोधित करते हुए कहा।
केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए भारतीय नागरिकता कानून-सीएए को लेकर बर्षो पहले पाकिस्तान से आकर भारत-गुजरात के विभिन्न जिलों में बसे पीड़ितों ने गांधीनगर में गृह राज्य मंत्री श्री हर्ष सांघवी का अभिवादन किया। इस अभिवादन समारोह में सम्बोधन करते हुए हर्ष संघवी ने कहा कि पड़ोसी देशों से अकल्पनीय यातनाएं सहकर भारत आकर बसने वाले नागरिकों का सदियों पुराना भारतीय नागरिकता का सपना साकार हो गया है, उनके घर आज दिवाली आ गई है। यह मोदी सरकार की किसी भी काम के 100 फीसदी पूरा होने की गारंटी है।
उन्होंने कहा, ”आप सभी अब गुजरात में पूरी तरह से सुरक्षित हैं। भारत की नागरिकता से संबंधित छोटे-बड़े मुद्दों के त्वरित-सकारात्मक निस्तारण के लिए सीएए के तहत उचित स्तर पर समन्वय किया जा रहा है। आज आप सभी ने मुझे सीएए लागू करने के लिए जो उपहार और बधाई पत्र दिए हैं, उन्हें आपकी ओर से दिल्ली में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को सम्मानपूर्वक भेजा जाएगा।”
इस अवसर पर राज्य पुलिस अध्यक्ष विकास सहाय ने कहा कि राज्य सरकार गुजरात में सीएए अधिनियम के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से अध्ययन और कार्यान्वयन किया गया है। इसके लिए फिलहाल पुलिस द्वारा सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
इस स्वागत समारोह में पाकिस्तान से भारत आकर अहमदाबाद, मोरबी, राजकोट, मेहसाणा, कच्छ और पाटन के राधनपुर में बसे परिवारों के 107 भाई-बहन उपस्थित थे। इस अवसर पर 1990 में पाकिस्तान के कराची से अहमदाबाद आने वाली पीड़िता डिम्पल वाघवानी, राजकोट में बस गईं नानूबाई और थारपारकर-मीठी से आकर कच्छ के नखत्राणा में रहने वाले मेहताब सिंह सोढ़ा शामिल हुए। पीड़ितों ने पाकिस्तान में हिंदू परिवारों और हिंदू बहन-बेटियों पर हो रहे अत्याचार के बारे में अपने दुखद अनुभव साझा किए।
टिप्पणियाँ