तमिलनाडु सरकार के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म को खत्म करने वाली टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दर्ज केस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इसके लिए कोर्ट ने 1 अप्रैल की डेट तय की है। स्टालिन ने अपने खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज की गई एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए समय की कमी का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई अप्रैल में करेगा। सनातन धर्म को खत्म करने की डीएमके मंत्री के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई सारी याचिकाएं दायर की गई थीं।
सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के मामले में डीएमके मंत्री का केस कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी लड़ रहें हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि मैं उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी को कतई उचित नहीं ठहरा रहा हूं। मैं उसके गुण या दोष पर टिप्पणी नहीं कर रहा। मामले के गुण दोष का एफआईआर को एक साथ जोड़ने की याचिका पर असर नहीं पड़ने दें।
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उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, बिहार और कर्नाटक में स्टालिन के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने पिछले साल सितंबर में एक कार्यक्रम के दौरान सनातन धर्म की ‘मलेरिया’ और ‘डेंगू’ जैसी बीमारियों से की थी। उन्होंने इसे खत्म करने की बात कही थी।
कोर्ट ने सुनाई थी खरी-खरी
इस मामले में 12 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को खूब फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था, “आप संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं। आप अनुच्छेद 25 के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं। अब आप अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं? क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा? आप आम आदमी नहीं हैं। आप मंत्री हैं। आपको परिणाम जानना चाहिए।”
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