यूट्यूब चैनलों से करोड़ों रु. की कमाई
यूट्यूब चैनलों के संचालकों के लिए आय का पहला जरिया है यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम। जो यूट्यूबर इसके तहत पंजीकृत हैं उनके वीडियो पर यूट्यूब की ओर से स्वयं ही विज्ञापन दिखाए जाते हैं
एयर एशिया में काम करने वाले गौरव तनेजा को 2020 में काम से निकाल दिया गया था। पिछले दिनों एक टेलीविजन चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कहकर बहुत से लोगों का ध्यान खींचा कि आज वे यूट्यूब पर एयर एशिया के सीईओ से ज्यादा कमाते हैं, यानी करोड़ों में। एक बॉडी बिल्डर गौरव के यूट्यूब चैनल का नाम है ‘फ्लाइंग बीस्ट’ जिसके करीब 90 लाख सबस्क्राइबर हैं। वे अपने चैनल से सचमुच करोड़ों रु. कमाते हैं, यह बात इस तथ्य से जाहिर होती है कि हाल ही में उन्होंने 10 करोड़ रुपए में एक फॉर्महाउस खरीदा है। गौरव के दो और चैनल हैं जिनके सबस्क्राइबर्स की संख्या लगभग 40 लाख है।
वैसे इस किस्म की आय अविश्वसनीय लगती है और आम आदमी के मन में यह सवाल उठता है कि यह सब होता कैसे है। कुछ लोग जानते हैं कि यूट्यूब पर प्रदर्शित वीडियो पर विज्ञापन मिलते हैं, जिनसे होने वाली आय का एक हिस्सा वीडियो निर्माता को जाता है। लेकिन विज्ञापनों के अतिरिक्त भी आय के कुछ माध्यम होते हैं।
यूट्यूब चैनलों के संचालकों के लिए आय का पहला जरिया है यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम। जो यूट्यूबर इसके तहत पंजीकृत हैं उनके वीडियो पर यूट्यूब की ओर से स्वयं ही विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इन विज्ञापनों का एक स्वरूप है- वीडियो, जो निर्माता के वीडियो के शुरू में, अंत में या बीच-बीच में दिखाए जाते हैं। इसी तरह टेक्स्ट के रूप में भी विज्ञापन आते हैं जो मूल वीडियो के नीचे एक छोटे से बॉक्स में दिखाए जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि आपने आज कोई यूट्यूब चैनल शुरू किया और कल से विज्ञापन मिलने शुरू हो जाएंगे।
यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम की सदस्यता लेने के लिए एक कठिन पैमाना है। अगर आपके चैनल पर 1000 या अधिक सबस्क्राइबर हैं और पिछले एक साल में आपके वीडियो को चार हजार घंटों से अधिक अवधि के लिए देखा गया है तभी आप इसकी सदस्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं। वहीं जो लोग छोटी अवधि के वीडियो (शॉर्ट्स) बनाते हैं, उनके लिए यह पैमाना और भी ज्यादा कठोर है-
पिछले तीन महीने में एक करोड़ व्यूज। जहां तक आय का प्रश्न है, यह वीडियो चैनल के सबस्क्राइबर्स की संख्या पर तो निर्भर है ही, कुछ और भी पैमाने हैं जो आय को प्रभावित करते हैं, जैसे यूट्यूबर की लोकप्रियता, वीडियो का विषय, दर्शकों की भौगोलिक स्थिति, आयु वर्ग, सोशल मीडिया पर प्रचार आदि। हालांकि यूट्यूब पर करोड़ों चैनल आ गए हैं और ऐसा लगता है कि अब नए चैनलों के लिए गुंजाइश नहीं है लेकिन जैसा कि जीवन के हर क्षेत्र में होता है, अच्छी गुणवत्ता और दर्शकों की रुचि के चैनलों के लिए हमेशा जगह रहेगी।
जब कोई चैनल लोकप्रिय हो जाता है तो उसे प्रायोजक (स्पॉन्सरशिप) की पेशकश भी मिलने लगती है। आपने आईटी पर केंद्रित चैनलों को नए उत्पादों को प्रचारित करते हुए देखा होगा। जब किसी स्मार्टफोन का नया मॉडल आता है तो उनकी कंपनियां ऐसे चैनल संचालकों से संपर्क करती हैं जो लोकप्रिय हैं और जिनकी बाजार में साख है। ये लोग अपने वीडियो में उस उत्पाद के बारे में बताते हैं और बदले में कंपनी उन्हें फीस का भुगतान करती है। अनेक यूट्यूब चैनल विज्ञापनों की तुलना में इस तरह की स्पॉन्सरशिप, प्रमोशन डील, ब्रांड्स का प्रचार (एन्डोर्समेंट), पेड कन्टेन्ट, एफीलिएट मार्केटिंग आदि के जरिए ज्यादा कमाई करते हैं। लोकप्रिय यूट्यूबर अपने चैनलों की सदस्यता भी देते हैं जिसके लिए फीस ली जाती है। इसी तरह से कुछ चैनल अपनी ब्रांडेड सामग्री (चाय के मग, टीशर्ट्स आदि) बेचते भी हैं।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट एशिया में डेवलपर मार्केटिंग के प्रमुख हैं)
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