‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की तरफ सरकार ने अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने एक चुनाव के लिए बनी अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है। कमेटी अपनी यह रिपोर्ट आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि इस रिपोर्ट में एक साथ संसदीय, विधानसभा और निकाय चुनावों को कराए जाने की सिफारिश की जाएगी। दावा किया जाता है कि इससे बार-बार होने वाले चुनावों के कारण अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को कम किया जा सकेगा। हालांकि, ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ मॉडल को अपनाने से पहले संविधान संशोधन से लेकर, सभी चुनावों के लिए एक वोटर लिस्ट समेत कई तरह के अन्य बदलावों की जरूरत पड़ेगी। कई राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव करवाने के लिए कुछ राज्यों में समय से पहले इकेल्शन करवाने होंगे। वही कुछ राज्यों को विस्तार देना होगा।
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इस रिपोर्ट के जरिए इसके लिए सरकार को एक रोडमैप सुझाया जाएगा कि कैसे वन नेशन वन इलेक्शन को साकार किया जा सके। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार वन नेशन वन इलेक्शन की बात कह चुके हैं। वन नेशन वन इल्केशन के समर्थन में एनडीए के कई दल हैं, जबकि कांग्रेस और टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियां इसका लगातार विरोध कर रही हैं। इन पार्टियों का आरोप है कि ऐसा करके सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश कर रही है। इससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान होगा।
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वहीं कोविंद कमेटी का तर्क है कि वन नेशन वन इलेक्शन देश के हित में है। अगर इस मॉडल को अपनाया जाता है तो इससे देश के आर्थिक विकास में तेजी आएगी और महंगाई को कंट्रोल किया जा सकेगा।
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