कुरूक्षेत्र से भाजपा के सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार की शाम राजभवन में आयोजित एक समारोह में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने सैनी के अलावा पांच विधायकों को कैबिनेट व राज्य मंत्री की शपथ दिलाई।
हरियाणा में सोमवार की रात शुरू हुई राजनीतिक उठापटक मंगलवार को नई सरकार के गठन के बाद समाप्त हुई। हरियाणा में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में जननायक जनती पार्टी में भाजपा के साथ चल रहा गठबंधन अचानक टूट गया। इसके बाद मनोहर लाल ने पूरी सरकार को इस्तीफा राज्यपाल का सौंप दिया। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा के पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तथा राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ चंडीगढ़ में पहुंचे और उनकी मौजूदगी में नायब सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पार्टी प्रभारी बिप्लब देव तथा दोनों पर्यवेक्षकों के साथ दोबारा राज्यपाल से मिले और सरकार गठन का दावा पेश किया।
इसके बाद राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके बाद मनोहर सरकार में मंत्री रहे कंवर पाल को बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ दिलाई गई। कंवर पाल के बाद बल्लभगढ़ के विधायक मूल चंद शर्मा, रानियां से निर्दलीय विधायक चौधरी रणजीत चौटाला, लोहारू के विधायक जय प्रकाश दलाल, डॉ. बनवारी लाल को भी बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ दिलवाई गई। इस नई सरकार में मनोहर मंत्रिमंडल में गृहमंत्री रहे अनिल विज, स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता, राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव, कमलेश ढांडा तथा संदीप सिंह को अभी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 27 अक्टूबर 2019 को जननायक जनता पार्टी के साथ मिलकर हरियाणा में मनोहर को मुख्यमंत्री समेत 14 कैबिनेट व राज्य मंत्रियों के साथ सरकार का गठन किया था। इनमें जजपा के कोटे से उपमुख्यमंत्री समेत तीन मंत्री शामिल थे। इसके अलावा एक मंत्री निर्दलीय कोटे से रहे हैं। लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा व जजपा के बीच सोमवार को देररात गठबंधन टूट गया। इससे पहले सोमवार की सुबह मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में अपने आवास पर प्रदेश के सभी निर्दलीय विधायकों के साथ मुलाकात की। इसमें सभी निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को लिखित समर्थन दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल व गृहमंत्री अनिल विज राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को मनोहर मंत्रिमंडल के इस्तीफे सौंपकर सरकार को भंग करने की सिफारिश कर डाली।
कैसे टूटा भाजपा और जजपा का गठबंधन..?
दरअसल लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर शुरू हुई खींचतान ने सोमवार देररात गंभीर रूप ले लिया। जजपा नेता एवं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से कल दोपहर सीट बंटवारे पर बैठक हुई थी। बैठक में बात सिरे नहीं चढ़ सकी। जजपा इस चुनाव में भाजपा से दो सीटों की मांग कर रही है, जबकि भाजपा केवल एक सीट देने की बात कर रही है।
भाजपा ने दुष्यंत चौटाला के सामने खुद चुनाव लड़ने तथा अपनी मां को सरकार में शामिल करने का प्रस्ताव भी रखा। इस पर भी सहमति नहीं बन पाई। सोमवार रात करीब 11ः30 बजे सरकार ने भाजपा तथा सभी निर्दलीय विधायकों को चंडीगढ़ पहुंचने के लिए कहा। आज सुबह निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री से मिले।
निर्दलीय कोटे से मंत्री चौधरी रणजीत सिंह पहले से ही मुख्यमंत्री आवास पर मौजूद थे। तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद अब मुख्यमंत्री भाजपा विधायकों से बैठक करेंगे। इस बैठक के बाद ही गठबंधन के जारी रखने या तोड़ने को लेकर औपचारिक ऐलान होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने के बाद निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत, हलोपा विधायक गोपाल कांडा तथा अन्य ने कहा कि गठबंधन को तोड़ना प्रदेश के हित में है। सभी विधायक सरकार के साथ हैं। सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है।
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