कल से मुस्लिम देशों में रमजान का महीना जोर—शोर से शुरू हुआ। महीना भर रोजे रखे जाएंगे। हर शाम को इफ्तार पर खाने—पीने पर मजमे जुटेंगे। लेकिन पाकिस्तान के मुस्लिम रमजान पर गमगीन हैं। कारण है आसमान पर पहुंचे खाने—पीने की चीजों के दाम। रमजान के पहले दिन से ही कीमतें दोगुनी—तीन गुनी चढ़ गई हैं। सब्जियों और फलों में ऐसी आग लगी है कि इफ्तार की रौनक को आम पाकिस्तानी अब सपना मान रहे हैं।
ताजा जानकारी के अनुसार, सब्जियों में मुस्लिमों की चहेती प्याज के दाम 150 पाकिस्तानी रुपए से 300 रुपए तक जा पहुंचे हैं। रमजान की दुहाई देकर कुछ सब्जी वाले जरूर दाम कुछ कम कर लेते हों अन्यथा तो प्याज जिन्ना के प्यारों को आंसुओं से रुला रही है।
पाकिस्तान के मुसलमान हैरान हैं कि क्या सरकार को नहीं पता था कि रमजान शुरू हो रहा है तो सब्जियों—फलों के दामों पर पहले से नियंत्रण क्यों नहीं किया गया! उस देश में सब्जियां ही नहीं, दूध, चीनी, खाने के तेल, दालों, मांस, अंडे और घी की कीमतें सुलग रही हैं। इन सबके दाम रमजान शुरू होते ही 2—3 गुना चढ़ गए हैं। रोजा रखने के बाद, इफ्तार अब उस तरह मजेदार नहीं होगा यह तो उन्हें पक्का पता चल गया है।
महीना रमजान का हो तो दुकानदार भी जानते हैं कि ग्राहक झक मारकर चढ़े दाम देगा। ऐसे दुकान वालों पर सरकार को कोई दबाव नहीं है कि दाम काबू में रखें। क्योंकि अलबत्ता अभी तक कोई सरकार थी ही नहीं, अब है भी तो नेता अपनी ही सियासी रस्साकशी में ऐसे उलझे हैं कि कारोबार पर ध्यान देने का किसी के पास वक्त नहीं है। रमजान में जनता कैसे क्या करेगी, लगता है इससे जिन्ना के देश के नेताओं को कोई मतलब नहीं है, उन्हें मतलब है तो बस कुर्सी पाने से। अभी 10 मार्च को ‘मिस्टर 10 परसेंट’ के नाम से कुख्यात नेता को वहां राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठा ही दिया गया है।
हालांकि जनता का मानना है कि फलों सब्जियों के दाम लालची कारोबारियों ने बढ़ाकर मोटा पैसा बनाने की साजिश रची है। यही वजह है कि दाम सिर्फ इस्लामाबाद में नहीं बल्कि पूरे देश में चढ़ गए हैं। चढ़ते दाम समाज के गरीब और मध्यम दर्जे के परिवारों को रमजान में रुला रहे हैं। यह भी सच है कि पिछले कुछ महीनों में खाने—पीने की चीजों के दामों में लगभग 31.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने में आई है।
पहले से कंगाली तिस पर अब रमजान ने कीमतों की ऐसी जान निकाल दी है कि लोग प्याज 150 से 300, आलू 50 से 80 रुपए किलो में खरीदने को मजबूर हैं। गोभी कुछ दिन पहले 80—100 रुपए किलो थी अब 150 रुपए जा पहुंची है। हरी मिर्ची के दाम अब 320 रुपए किलो तक चढ़ गए हैं। शिमला मिर्च 400 रुपए प्रति किलो में मिल रही है।
महीना रमजान का हो तो दुकानदार भी जानते हैं कि ग्राहक झक मारकर चढ़े दाम देगा। ऐसे दुकान वालों पर सरकार को कोई दबाव नहीं है कि दाम काबू में रखें। क्योंकि अलबत्ता अभी तक कोई सरकार थी ही नहीं, अब है भी तो नेता अपनी ही सियासी रस्साकशी में ऐसे उलझे हैं कि कारोबार पर ध्यान देने का किसी के पास वक्त नहीं है। रमजान में जनता कैसे क्या करेगी, लगता है इससे जिन्ना के देश के नेताओं को कोई मतलब नहीं है, उन्हें मतलब है तो बस कुर्सी पाने से। अभी 10 मार्च को ‘मिस्टर 10 परसेंट’ के नाम से कुख्यात नेता को वहां राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठा ही दिया गया है।
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