हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा : हलाल इकोनॉमी और मस्जिदों में जुटाए चंदे से होगी दंगाइयों की पैरवी..!
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हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा : हलाल इकोनॉमी और मस्जिदों में जुटाए चंदे से होगी दंगाइयों की पैरवी..!

'जमीयत उलेमा ए हिंद' का ऐलान, वकीलों का पैनल हुआ तैयार

by दिनेश मानसेरा
Mar 12, 2024, 04:12 pm IST
in उत्तराखंड
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देहरादून । जमीयत उलेमा ए हिंद ने ये ऐलान किया है कि वो हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के आरोपियों के कोर्ट केस की लड़ाई लड़ेगी और इस का सारा खर्चा उठाएगी। इस मामले में उक्त मुस्लिम संस्था द्वारा मुस्लिम वकीलों का एक पैनल भी तैयार कर लिया है।

जमीयत उलेमा ए हिंद के जनरल सेक्रेटरी शराफत अली के मुताबिक हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में आरोपियों की जमानत और मुकदम्मे की पैरवी के लिए एडवोकेट हाजी मोहम्मद यूसुफ की अगुवाई में एक वकीलों का पैनल तैयार किया है। जोकि कोर्ट में सरकार के द्वारा दर्ज किए गए मुकद्दमों पर लड़ाई लड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में अभी तक पुलिस ने साक्ष्य जुटाकर सौ से अधिक लोगो को जेल भेजा है। आठ फरवरी को बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के लिए गई प्रशासन की टीम पर मुस्लिम समुदाय के लोगो ने पथराव किया और कई वाहनों को आग लगा दी। इस घटना में महिला पुलिस कर्मियों के साथ और पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी की गई। इस घटना में छ: लोगो की मौत हुई थी और करोड़ो की सरकारी संपत्ति को नुकसान भी हुआ था। इस घटना के मास्टर माइंड अब्दुल मलिक और उसके साथियों के खिलाफ पुलिस ने यूएपीए एक्ट के तहत कारवाई करके उसकी संपत्ति को भी कुर्क करना शुरू कर दिया है।

इस घटना में मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद की सक्रियता भी संदेह के घेरे में रही है, घटना के तुरंत बाद संस्था के प्रमुख महमूद मदनी का पत्र जारी होना और उसके बाद संस्था के नेताओ का हल्द्वानी पहुंच जाना भी ,खुफिया एजेंसियों के लिए पहेली बना हुआ था।

पिछले दिनों देहरादून के काजी मोहम्मद अहमद काश्मी द्वारा हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के पीड़ितों और आरोपियों के लिए हरिद्वार और देहरादून की साढ़े तीन सौ से अधिक मस्जिदों के जरिए चंदा जुटाने की बात सामने आई थी, देहरादून पलटन बाजार मस्जिद मरकज का संबंध भी जमीयत उलेमा ए हिंद से रहा है।

स्मरण रहे कि दिल्ली में शाहीन बाग दंगे मामले में भी जमीयत उलेमा ए हिंद ने मुस्लिमो की पैरोकारी की थी और दंगे के आरोपियों की मदद के लिए वकीलों का पैनल गठित किया था। ऐसा भी बताया जाता है कि जमीयत उलूम ए हिंद, भारतीय उत्पादों को हलाल प्रमाण पत्र देने के जरिए पैसा जुटाती है और वो ये पैसा हिंसा,दंगा करने वालो की कानूनी लड़ाई में और इन्हे मदद करने वालो के ऊपर खर्च करती रही है।

हलाल इकॉनमी को लेकर कई बार सवाल भी खड़े हुए है और ये मामला आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी जांच का विषय बना हुआ है। यूपी एसटीएफ ने पूर्व राज्य सभा सदस्य और जमीयत उलूम ए हिंद के प्रमुख महमूद मदनी से पिछले दिनों कई घंटो तक पूछताछ भी की थी।

“पाञ्चजन्य” ने अपने पिछले लेखों में इस बात का जिक्र किया था कि जमीयत उलूम ए हिंद ,उत्तराखंड में सक्रिय मुस्लिम संस्था है जोकि यहां डेमोग्राफी चेंज से लेकर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालो को संरक्षण देती आ रही है, जिसकी वजह से देवभूमि का सनातन स्वरूप बिगड़ रहा है। जमीयत उलूम ए हिंद के सहयोगी संगठन मुस्लिम सेवा संगठन जैसी संस्थाएं यहां लव जिहाद ,लैंड जिहाद जैसे मामलो में लिप्त है।जिसकी जानकारी उत्तराखंड पुलिस के खुफिया विभाग को भी है।

बरहाल हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में तमाम मुस्लिम संगठनों की भूमिका पर सवाल उठे है लेकिन सबसे ज्यादा जमीयत उलूम ए हिंद की भूमिका को लेकर कुछ ओ चर्चा ज्यादा है।

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