Russia-Ukraine War : Modi ने परमाणु हमले से बचाया यूक्रेन को, India की कूटनीति की दुनिया में हो रही तारीफ

खेरसान शहर में रूस की रक्षा पंक्ति खतरे में आ गई थी। इस परिस्थिति के बीच अमेरिका को संकेत मिले थे कि रूस परमाणु हमला बोल सकता था

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WEB DESK

विश्व में भारत की कूटनीति की एक बार फिर चहुंओर प्रशंसा हो रही है। दुनियाभर के कूटनीति विशेषज्ञ आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदृष्टि और वसुधैव कुटुम्बकम के भाव पर हर एक देश की भलाई के लिए किए जा रहे प्रयासों को सार्वजनिक मंचों से स्वीकार कर रहे हैं। अमेरिका से एक आई एक ताजा रिपोर्ट भी बताती है कि मोदी की दखल से कैसे यूक्रेन परमाणु हमले से बाल बाल बचा था।

विश्व प्रसिद्ध समाचार चैनल सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूक्रेन पर रूसी हमला उस स्थिति पर पहुंच गया था जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन के एक प्रमुख शहर पर परमाणु हमला करने वाले थे। लेकिन ऐन मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से बात की और पुतिन ने भी उनकी सलाह मानते हुए यूक्रेन पर परमाणु हमले की अपनी योजना रोक दी थी।

सीएनएन का यह खुलासा साल 2022 में रूस के यूक्रेन पर जबरदस्त हमलों के दौरान की उस घटना का उल्लेख करती है जब यूक्रेन रूस की ओर से परमाणु हमले की आशंका से भयभीत था। तब यूक्रेन की सेना ने भी रूसी हमले का पूरी दमदारी से मुकाबला किया था। इस पर रूस हैरान—परेशान था। इन परिस्थितियों में पुतिन के रक्षा नीतिकारों ने परमाणु हमला करने का सुझाव दिया था और, अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, मोदी ने पुतिन से बात की तब जाकर वह परमाणु हमला टला था।

यूक्रेन पर रूसी हमला उस स्थिति पर पहुंच गया था जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यूक्रेन के एक प्रमुख शहर पर परमाणु हमला करने वाले थे। लेकिन ऐन मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से बात की और पुतिन ने भी उनकी सलाह मानते हुए यूक्रेन पर परमाणु हमले की अपनी योजना रोक दी थी।

सीएनएन को अमेरिका के रक्षा सूत्रों से मिली प्रामाणिक जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में उल्लेख है कि 2022 में रूस खेरसान शहर में घिरने पर परमाणु हमले की कगार पर जा पहुंचा था। यह योजना तब अमल में लाने का फैसला किया गया था जब रूसी राष्ट्रपति को अपनी सेना पर दुश्मन के जबरदस्त मुकाबले से हैरानी हुई थी। उस दौरान पुतिन की संभवत: भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात हुई थी जिन्होंने पुतिन को इस प्रकार के किसी भी कदम को न उठाने को तैयार किया था।

रिपोर्ट आगे कहती है कि प्रधानमंत्री मोदी के अलावा शायद चीन ने भी इस मामले में दखल दी थी और पुतिन को समझाया था कि परमाणु हमले से बचा जाए। मोदी शुरू से ही युद्ध की बजाय शांति से बैठकर बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने की पैरवी करते आ रहे हैं। पहले पुतिन और फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से अपनी आमने सामने हुई बात में मोदी ने दोनों नेताओं के सामने यही एक समाधान सुझाया था।

अमेरिका के अधिकारियों ने तो यहां तक बताया कि मोदी ने तो उस दौरान भी पुतिन को कहा था कि वे युद्ध को फौरन रोककर बातचीत की मेज पर समाधान खोजें। तब मोदी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि आज का दौर युद्ध का दौर नहीं है। मोदी ने यह वक्तव्य संयुक्त राष्ट्र के मंच से दिया था। विश्व के अनेक नेताओं ने इस दृष्टिकोण के लिए प्रधानमंत्री मोदी की खुलकर तारीफ की थी। फ्रांस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों तो इस बात से बहुत अधिक प्रभावित हुए थे।

मोदी ने पुतिन को कहा था कि वे युद्ध को फौरन रोककर बातचीत की मेज पर समाधान खोजें

जिस वक्त का रिपोर्ट में उल्लेख है वह साल 2022 का ऐसा वक्त था जब रूसी सेनाएं खेरसान की तरफ से बढ़ती जा रही थीं लेकिन यूक्रेन की फौज से जबरदस्त प्रतिकार झेलना पड़ रहा था। उस वक्त अमेरिका तक को यह चिंता हो गई थी कि कहीं पुतिन यूक्रेन से पेश आ रही इस चुनौती को देखकर परमाणु अस्त्रों का प्रयोग न करें। रिपोर्ट बताती है रूस इस बात से परेशान था कि कहीं यूक्रेन की सेना रूसी सैनिकों को चारों तरफ से घेर न ले, क्योंकि हालात इस तरफ संकेत कर रहे थे। खेरसान पर हमले के उन दिनों में रूस की तरफ से परमाणु हमला बोले जाने के कयास कई अंतरराष्ट्रीय अखबारों में छपे भी थे।

इस रिपोर्ट और अमेरिका के अधिकारियों के खुलासे से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यूक्रेन रूस युद्ध की शुरुआत से ही प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास रहा है कि युद्ध से बचा जाए। उन्होंने कहा भी युद्ध से कभी कोई सकारात्मक समाधान नहीं मिलता, शांति से बातचीत करके जरूर कोई मार्ग तलाशा जा सकता है।

अमेरिका के ही एक अधिकारी का कहना है कि यदि रूसी सेना को वहां ऐसा कड़ा प्रतिकार झेलना पड़ रहा था और सेना घिरती दिख रही थी तो बेशक रूस ने परमाणु हमले जैसा सख्त कदम उठाने के बारे में सोचा ही होगा। उस वक्त खेरसान में रूस की रक्षा पंक्ति खतरे में आ गई थी। इस परिस्थिति के बीच अमेरिका को विशेषज्ञ निष्कर्ष और ऐसे इशारे मिले थे कि जिनसे पता चलता था कि रूस परमाणु हमला बोल सकता था।

रूसी सेनाएं खेरसान की तरफ से बढ़ती जा रही थीं लेकिन यूक्रेन की फौज से जबरदस्त प्रतिकार झेलना पड़ रहा था (File Photo)

उस वक्त अमेरिका के जिम्मेदार लोगों ने भारत तथा चीन जैसे देशों से भी इस संबंध में मदद करने को कहा था। इसी का उल्लेख करते हुए अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि तब प्रधानमंत्री मोदी तथा संभवत: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दखल हुई और यूक्रेन को परमाणु हमले से बचाया गया। सीएनएन रिपोर्ट बताती है कि भारत ने इस प्रयास का महत्व पहचाना और फौरन हरकत की। संभवत: इसी दखल के बाद पुतिन का विचार बदला और परमाणु बम नहीं गिरा।

इस रिपोर्ट और अमेरिका के अधिकारियों के खुलासे से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यूक्रेन रूस युद्ध की शुरुआत से ही प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास रहा है कि युद्ध से बचा जाए। उन्होंने कहा भी युद्ध से कभी कोई सकारात्मक समाधान नहीं मिलता, शांति से बातचीत करके जरूर कोई मार्ग तलाशा जा सकता है। कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध को अब दो साल से अधिक समय हो चला है लेकिन कोई भी पक्ष बातचीत की मेज पर आने को तैयार नहीं है। इसमें पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका का यूक्रेन के ‘साथ खड़े होने’ का बार बार उल्लेख करना ताप को और भड़काने का काम कर रहा है।

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