तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को खत्म करने वाले बयान के मामले में दिए गए अपने हालिया फैसले पर मद्रास हाई कोर्ट ने कुछ बदलाव किए हैं। हाई कोर्ट ने मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ सुनवाई के दौरान जाति व्यवस्था पर दिए गए अपने हालिया फैसले में बदलाव करते हुए कहा कि कहा है कि जातियों का वर्गीकरण एक नई और हालिया व्यवस्था है।
हालांकि, कोर्ट ने सनातन धर्म को लेकर डीएमके के नेताओं और मंत्रियों के बयानों का आलोचना फिर एक बार की है। न्यायमूर्ति अनीता सुमंत ने इसे विकृत, विभाजनकारी और संवैधानिक सिद्धान्तों के आदर्शों के खिलाफ करार दिया।
क्या है संशोधित फैसला
मद्रास उच्च न्यायालय ने जाति व्यवस्था को लेकर दिए गए अपने पुराने आदेश की प्रति को हटा दिया है। संशोधित आदेश में कहा गया है कि जातियों का वर्गीकरण, जैसा कि हम आज उन्हें जानते हैं, एक बहुत ही हालिया और आधुनिक घटना है।
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क्या था पुराना आदेश
गौरतलब है कि इससे पहले अपने फैसले में जस्टिस अनीता सुमंत ने कहा था कि जाति व्यवस्था में समस्या है लेकिन यह व्यवस्था एक सदी से भी कम पुरानी है और इसका दोष पुरातन वर्ण व्यवस्था पर नहीं मढ़ा जा सकता। तमिलनाडु में 370 पंजीकृत जाति हैं और जातियों के बीच की समस्याओं को भी देखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि अलग-अलग जातियों के लोगों के बीच यह मतभेद कुछ हद तक उन्हें दिए जाने वाले फायदों के कारण हैं।
जस्टिस सुमंत ने कहा था कि कोर्ट इस बात से सहमत है कि आज भी जाति के आधार पर समाज में असमानताएँ मौजूद हैं और उन्हें दूर किया जाना चाहिए। हालाँकि, जाति व्यवस्था की उत्पत्ति, जैसा कि हम आज इसे देखते हैं, एक सदी से भी कम पुरानी है।
क्या है पूरा मामला
गौरलतब है कि 2 सितंबर, 2023 को चेन्नई में एक कार्यक्रम में उदयानिधि स्टालिन ने कहा था कि कुछ चीजों का न केवल विरोध होना चाहिए बल्कि उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। डीएमके मंत्री के इसी बयान के खिलाफ हिन्दू मुन्नानी संगठन के पदाधिकारियों टी मनोहर, किशोर कुमार और वीपी जयकुमार ने याचिका दायर की थी। उसी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की।
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