आखिर क्या हैं मायने Sweden के NATO से जुड़ने के?
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

आखिर क्या हैं मायने Sweden के NATO से जुड़ने के?

अमेरिका रूस के विरुद्ध आक्रामक तेवर अपनाए ही हुए है। उसे इस बात से सहूलियत महसूस होगी ही कि रूस के मुहाने पर अब उनके संगठन का सदस्य देश है

by WEB DESK
Mar 8, 2024, 02:15 pm IST
in विश्व
स्वीडन के नाटो से जुड़ने की घोषणा के मौके पर (बाएं से) तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन, नाटो महासचिव स्टोल्टेनबर्ग और स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टीरसन

स्वीडन के नाटो से जुड़ने की घोषणा के मौके पर (बाएं से) तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन, नाटो महासचिव स्टोल्टेनबर्ग और स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टीरसन

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आखिरकार नाटो में एक सदस्य के नाते स्वीडन का नाम दर्ज हो ही गया। दो साल चली लंबी कवायद, सवाल—जवाब, आरोप—प्रत्यारोप और हां—नां के बाद यह संभव हो पाया है। कल स्वीडन के नाटो से जुड़ने की आधिकारिक घोषणा के बाद यूरोप के उस हिस्से के समीकरणों में अहम बदलाव तो देखने में आएंगे ही, उस रूस का क्या होगा जो नाटो को इस कदम को न उठाने की चेतावनी दे रहा था? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर अब दुनिया भर के कूटनीतिक माथापच्ची कर रहे होंगे।

स्वीडन नाटो का 32वां सदस्य देश घोषित किया गया है। इस बारे में नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग का कल बयान जारी हुआ है। इस बयान में नाटो महासचिव ने कहा ​है कि आज का दिन ऐतिहासिक है। आज नाटो में स्वीडन को एक सदसरू के नाते शामिल किया गया है और उसे उसका अधिकार प्राप्त हुआ है। अब नाटो की नीतियों तथा निर्णयों में स्वीडन के मत को भी समाविष्ट किया जाएगा।

नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग

स्वीडन के नाटो में जुड़ने से पहले वह लगभग 200 साल से गुट निरपेक्ष रहा, यानी वह दो ध्रुवीय दुनिया में किसी भी ध्रुव के नजदीक नहीं रहा है। दोनों प्रमुख धड़ों से अलग रहने के बाद, स्वीडन ने नाटो से जुड़ने की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन राह आसान नहीं रही। लगभग दो साल इस बात को लेकर सदस्य देशों के बीच चर्चा—वार्ता चली, दूसरी तरफ रूस की चेतावनी भी थी कि स्वीडन को इस संगठन में न शामिल किया जाए। लेकिन आखिर स्वीडन नाटो का हिस्सा बन गया।

नए घटनाक्रम के बाद, उस पर नाटो का बयान आने के बाद स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टीरसन इसे स्वतंत्रता की विजय बता रहे हैं। उनका कहना है कि लोकतांत्रिक पद्धति से, निष्पक्ष, संप्रभु तथा एकमत होकर स्वीडन ने नाटो से जुड़ने का निर्णय किया है। जिस कार्यक्रम में स्वीडिश के प्रधानमंत्री यह वक्तव्य दे रहे थे उसमें खुद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी बैठे थे। अमेरिका नाटो में एक प्रभावी आवाज रखता है।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन

रूस—यूक्रेन जंग के शुरू होने के बाद से ही रूस के दोनों पड़ोसी देश स्वीडन तथा फिनलैंड रूस की तरफ से हमले की आशंका से घिर गए थे। उन्होंने इससे बचने के लिए पूरी कोशिश की कि कैसे भी नाटो के सदस्य बन जाएं। उन्हें भय था कि उनकी इस कोशिशों से चिढ़कर रूस उन पर हमलावर हो जाएगा क्योंकि रूस नहीं चाहता था कि नाटो का प्रभाव उसकी चौखट तक आ जाए।

आखिर स्वीडन नाटो का हिस्सा क्यों बना? जानकारों के अनुसार अब वह ज्यादा सुरक्षित देश होगा। यह बात नाटो महासचिव स्टोल्टेनबर्ग ने भी कही कि स्वीडन 200 साल से अधिक वक्त तक गुट निरपेक्ष रहा और आज अनुच्छेद 5 के अंतर्गत उसे सुरक्षा की गारंटी मिल गई है। कल स्वीडन की सरकार ने एक अहम बैठक करके खुद के नाटो का हिस्सा बनने की घोषणा की।

इस नए घटनाक्रम के बाद रूस के सामने क्या विकल्प हैं? रूस—यूक्रेन जंग के शुरू होने के बाद से ही रूस के दोनों पड़ोसी देश स्वीडन तथा फिनलैंड रूस की तरफ से हमले की आशंका से घिर गए थे। उन्होंने इससे बचने के लिए पूरी कोशिश की कि कैसे भी नाटो के सदस्य बन जाएं। उन्हें भय था कि उनकी इस कोशिशों से चिढ़कर रूस उन पर हमलावर हो जाएगा क्योंकि रूस नहीं चाहता था कि नाटो का प्रभाव उसकी चौखट तक आ जाए।

रूस के दोनों पड़ोसी देशों में से फिनलैंड तो पिछले साल ही नाटो में शामिल हो गया था। स्वीडन कल सदस्य बन गया है। यह स्थिति रूस को बेशक दुविधा में डालती है। वह इसलिए कि बाल्टिक सागर के चारों तरफ के देश नाटो से जुड़ गए हैं, गैर नाटो देश बस एक बचा है और वह है रूस। यह स्थिति रूस के लिए मामला संवेदनशील बनाती है। रूस ने स्वीडन की ओर से अब कोई खतरा पैदा न हो, इस गरज से स्वीडन के नाटो से जुड़ने की घो​षणा होते ही बयान दे दिया कि यदि पड़ोसी स्वीडन में नाटो के सैनिक तैनात किए गए तो रूस फौरन इसके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करेगा।

जैसा पहले बताया, स्वीडन के नाटो से जुड़ने की राह आसान नहीं रही, खासकर तुर्किए की तरफ से इसका भरपूर विरोध किया गया। तुर्किए की अपनी ही मांग थी। वह चाहता था कि स्वीडन में जो कुर्दिश विद्रोही गुट कथित तौर पर पनाह लिए हुए हैं उन पर कड़ी चोट की जाए। वह स्वीडन से इसलिए भी नाराज था क्योंकि वहां इस्लाम और कुरान के विरुद्ध प्रदर्शन किए जा रहे थे। तुर्किए को स्वीडन को शामिल करने के लिए अमेरिका ने राजी किया इसलिए स्वीडन के नाटो में आने में अमेरिका की विशेष भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। अमेरिका सरकार रूस के विरुद्ध आक्रामक तेवर अपनाए ही हुए है। उसे इस बात से सहूलियत महसूस होगी ही कि रूस के मुहाने पर अब उनके संगठन का सदस्य देश है। इससे रूस पर एक दबाव तो आएगा ही।

उल्लेखनीय है कि नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन (NATO) 1949 में बना था। इसके शुरुआती सदस्यों में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और कनाडा को मिलाकर अन्य बारह देश शामिल थे। आज इसके 32 सदस्य हैं। नाटो का गठन किया गया था पूर्ववर्ती सोवियत संघ के फैलाव को रोकना। संगठन का नियम है कि नाटो के किसी भी सदस्य देश पर हमला उसके सभी सदस्य देशों के विरुद्ध आक्रमण माना जाए। यहां बता दें कि नाटो की अपनी अलग से कोई फौज नहीं है लेकिन संकट होने पर इसके सभी सदस्य मिलकर कार्रवाई करने को तैयार रहते हैं। संगठन के सदस्य देशों के आपस में संयुक्त सैनिक अभ्यास होते रहे हैं।

Topics: armyusस्वीडनरूसनाटोअमेरिकाफिनलैंडBidenfinlandrussiamember stateputinnatoturkiyeswedenwar
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

धर्म की जय, अधर्म का नाश

‘टेक्सास में इस्लाम के लिए कोई जगह नहीं, शरिया कानून हावी नहीं होगा’, MAGA समर्थक वैलेंटिना का Video वायरल

Representational Image

पाकिस्तान विरोधी मोर्चे में भारत के साथ आया रूस, जिन्ना के देश के छूटे पसीने, फौरन अपना दूत मॉस्को रवाना किया

खालिस्तानी तत्वों को पोसने वाले एनडीपी अध्यक्ष जगमीत सिंह

खालिस्तानी सोच के जगमीत को पड़ा तमाचा, कनाडा में मार्क कार्नी बढ़े जीत की ओर, लिबरल की बन सकती है सरकार

पहलगाम आतंकी हमले की दुनियाभर में निंदा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी भारत के साथ

US President Donald Trump

‘पहलगाम आतंकी हमला बेहद परेशान करने वाला’, आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है अमेरिका : डोनाल्ड ट्रंप 

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

हरिद्वार में धामी सरकार एक्शन जारी, आज दो और अवैध मदरसे सील, अब तक 215 मदरसों पर लगे ताले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies