केरल आर्थिक रूप से दिवालिया होने की कगार पर खड़ा हुआ है। राज्य की वामपंथी सरकार के पास अपने राज्य कर्मचारियों की सैलरी देने तक के पैसे नहीं है। ऐसे में अब केंद्र सरकार ने 13,609 करोड़ रुपए का कर्ज केरल सरकार को स्वीकृत कर दिया है। इससे प्रदेश में गहराया वित्तीय संकट कुछ कम हुआ है। अब बस इस राशि की पुष्टि होते ही दो दिनों के भीतर राज्य के कर्मचारियों को सैलरी देने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उम्मीद है कि आज (गुरुवार) प्रदेश के शिक्षकों को वेतन दिया जाएगा। इसके लिए पी विजयन सरकार फंड तलाशेगी।
केरल कौमुदी की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि भले ही सरकार शिक्षकों को सैलरी देने के लिए फंड तलाश रही है, लेकिन अभी भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पूरी राशि का ही भुगतान किया जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने राज्य को दो किस्तों में कर्ज दिया है। जो कि इस माह के आखिरी सप्ताह तक की पूरा-पूरा आ पाएगा। वहीं, कल्याण पेंशन की दो महीने की किस्त हो सकता है कि अप्रैल में दी जाए।
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केवल मार्च के लिए 22000 करोड़ की है जरूरत
केरल की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके पास अपने कर्मियों को देने तक के लिए पैसे नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, केवल मार्च महीने के खर्च के लिए ही केरल को 22000 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसमें से केवल कर्मचारियों की सैलरी पर ही 5600 करोड़ रुपए का खर्च होना है। यहीं अभी तक चालू वित्तीय वर्ष के लिए ठेकेदारों को दिए जाने वाले खर्च, स्थानीय निकायों को मिलने वाला फंड, ब्याज आदि का भी भुगतान किया जाना है। अब केंद्र सरकार से ये कर्च मिलते ही सबसे पहले इसे बांटा जाएगा। पता ये भी चला है कि विजयन सरकार 10000 करोड़ रुपए और कर्ज के लिए केंद्र सरकार के पास जाने वाली है। उसे उम्मीद है कि आज केंद्र सरकार के साथ उसकी जो बैठक होगी, हो सकता है कि उसमें उसकी मांगे पूरी हो जाएं।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल सरकार को केंद्र सरकार के द्वारा दिए जा रहे 13608 करोड़ रुपए के कर्ज को स्वीकार करने का निर्देश दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र से 15,000 करोड़ रुपये के ऋण की मंजूरी लेने की केरल की मांग पर चर्चा जारी रखने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि हाल ही में जब केरल फंड के मामले को लेकर केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था तो केंद्र सरकार से शीर्ष अदालत को ये बताया था कि केरल अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए लोन मांग रही है न कि विकास के लिए।
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