‘जब भी हम पुलिस के पास शिकायत लिखवाने जाते हैं, हमें तरह तरह से धमकाया जाता है। पुलिस स्टेशन से भगाया जाता है, धमकी दी जाती है। कहा जाता है कि ‘तुम सबको यहीं रहना है, चुप होकर रहो। मीडिया के सामने कोई भी बोला तो सबको उठाकर जेल में ठूंस देंगे, सालों साल सलाखों के पीछे सब सड़ते रहोगे। अब ऐसे में कोई अपने ऊपर हुए अत्याचार की शिकायत कैसे लिखवाने जाए? ये लोग तो तैयार ही नहीं हैं कुछ भी सुनने को। क्या हमने दीदी (ममता बनर्जी) को यही दिन देखने के लिए वोट दिया था, कि हम पर उनके लोग जुल्म करेंगे और वह हमारे दुख-दर्द का मजाक उड़ाएंगी?’
इतना कहते ही संदेशखाली की प्रिया मंडल (परिवर्तित नाम) की आंखें डबडबा जाती हैं। रोने लगती हैं। सिर पर पल्लू संभालते हुए वे कहती हैं, ‘आज संदेशखाली में हम लोगों का रहना मुश्किल है। हम अपना दर्द भी किसी को नहीं बता सकते। हम पर वर्षों से अत्याचार होता आ रहा है। आज जब हमने अपनी पीड़ा बताई तो राज्य सरकार का कोई भी व्यक्ति हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है। यहां के लोगों ने दीदी (ममता बनर्जी ) को वोट इसलिए दिया था, क्योंकि वह हमारी बातें करती हैं। पर इस मामले के बाद तो साफ हो गया कि वह गुंडों, अत्याचारियों को पालती हैं।’ नीलम सरकार (परिवर्तित नाम) भी शाहजहां शेख के अत्याचार से पीड़ित हैं। वे कहती हैं, ‘‘संदेशखाली की लगभग हर महिला यह आरोप लगा रही है। आप किसी भी मोहल्ले में चले जाइए। किसी भी महिला से बात करिए। किसी भी लड़की से यहां का हाल जानिए। आपको सुनने को मिलेगा कि यहां कैसे सालों से शेख और उसके गुर्गों का अत्याचार चल रहा था। हम बेबस महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा था। हमारी जमीन कब्जाई जा रही थी। लेकिन हम चुपचाप यह सब सहने को मजबूर थे। हमारी कोई सुनने वाला नहीं था। पुलिस के पास जब रिपोर्ट लिखवाने जाते हैं तो वह भगा देती है। कहती है शाहजहां शेख के पास जाओ। मतलब जो हमारे साथ अत्याचार करे, हमारी जमीनें हड़पे, हम उसी से न्याय की भीख मांगें? यह कैसा कानून है?’
दरअसल, पिछले दिनों सोशल मीडिया पर संदेशखाली का एक वीडियो खूब वायरल हुआ था। इसमें साफ तौर पर दिख रहा था कि कुछ महिलाएं पुलिस अधिकारी के सामने अपने ऊपर हुए अत्याचार की शिकायत दर्ज कराने के लिए गिड़गिड़ा रही हैं। लेकिन पुलिस अधिकारी शिकायत दर्ज ना करके उन्हें धमका रहा है। इसी तरह पिछले दिनों राज्य के पुलिस महानिदेशक ने भी संदेशखाली का दौरा किया था। इस दौरान वे एवं उनके अन्य अधिकारी पीड़ितों से हमदर्दी रखने और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाने के बजाय तल्खी से भरे नजर आ रहे थे। इसका भी वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ और लोगों ने सवाल भी किए कि क्या राज्य के पुलिस मुखिया ममता के इशारे पर संदेशखाली की पीड़िताओं को धमकाने गए हैं?
संदेशखाली बना घुसपैठियों का ठिकाना
संदेशखाली में रोहिंग्याओं ने लगभग सात से आठ साल पहले घुसपैठ शुरू की थी। यहां उन्हें तृणमूल नेताओं और प्रशासन का संरक्षण मिलना शुरू हो गया। रहने को स्थान, भोजन, कपड़े, बर्तन और अन्य जरूरी चीजें दी जाने लगीं। शेख शाहजहां इस सबका अगुआ था, जो घुसपैठियों को पूरा संरक्षण दे रहा था। संदेशखाली में दुकान चलाने वाले शांतनु बताते हैं, ‘‘इलाके में रोहिंग्याओं की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। घुसपैठिये यहां और बशीरहाट इलाके में ऐसे बस जाते हैं कि किसी को पता तक नहीं चलता। इन घुसपैठियों को तृणमूल के नेता मछली फार्म और खेतों में लगा देते हैं। इससे इनकी रोजी-रोटी चलनी शुरू हो जाती है। इसके अलावा मजदूरी, रिक्शा चलाकर, सब्जी बेचकर भी वह रोजगार पा रहे हैं।’’ एक मोबाइल फोन से जुड़ी कंपनी में काम करने वाले निगम दास बताते हैं,‘‘शुरू से ही रोहिंग्या एक खतरा बनकर सामने आना शुरू हो गए। वे यहां की हिंदू महिलाओं को छेड़ते हैं। ये इतनी जल्दी यहां की आबादी में घुलमिल जाते हैं पता ही नहीं चलता कि इनकी असल पहचान क्या है। और जब भी कोई बात होती तो शाहजहां शेख इन्हें बचाने के लिए हरदम खड़ा रहता।
उल्लेखनीय है कि बशीरहाट से संदेशखाली जाने के लिए पहले धामाखाली से विद्याधारी नदी और फिर रायमंगल नदी को नाव के सहारे पार करना पड़ता है। रायमंगल नदी पार करते ही संदेशखाली शुरू हो जाता है। यहां आने-जाने के लिए बैटरी चालित रिक्शे और मोटरसाइकिल से जुगाड़ बनी सवारी मिलती है। संदेशखाली पहुंचते ही लोगों में एक अजीब डर पसरा नजर आता है। कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से पहले यहां के लोग बहुत हिचकिचाते हैं।
लगातार जारी है विरोध प्रदर्शन
संदेशखाली में पीड़िताओं की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। पिछले दिनों बरमाजुर इलाके की महिलाएं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अजीत माइति, शंकर सर्दार और हलधर अरी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आईं। महिलाओं ने हाथ में झाड़ू लेकर प्रदर्शन किया और माइति की तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने आरोप लगाया है कि शाहजहां शेख का सहयोगी अजीत माइति भी जमीन हड़पने और जबरन वसूली में शामिल था। आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने माइति सहित अन्य टीएमसी नेताओं के घर धावा बोल दिया और तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों ने बाहर रखे सामान को आग के हवाले कर दिया। घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस के साथ आरएएफ की भी तैनाती की गई है।
दूसरी तरफ मामला बढ़ता देख तृणमूल कांग्रेस ने अजीत माइति को उसके पद से हटा दिया। इस संबंध में राज्य के मंत्री पार्थ भौमिक ने कहा, ‘मैंने अजीत माइति को पहले ही हटा दिया है। वह अब अंचल अध्यक्ष नहीं रहे। जो भी गलत करेगा उसे सजा मिलेगी। अगर किसी के खिलाफ शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी।’ बता दें कि माइति टीएमसी का अंचल अध्यक्ष था।
म.प्र. और झारखंड में प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहजहां और उसके गुर्गों द्वारा किए गए पैशाचिक और अमानवीय कृत्यों से समूचे देश में रोष व्याप्त है। इस अमानवीय कृत्य के विरोध में 29 फरवरी को मध्य भारत के 16 जिलों के जिला मुख्यालयों पर महिलाओं द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। राजधानी भोपाल के न्यू मार्केट स्थित रौशनपुरा चौराहे पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया एवं आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की। पद्मश्री चित्रकार दुर्गाबाई ने इसे समाज पर कुठाराघात बताया, वहीं शशि ठाकुर ने कहा कि यह बड़ा शर्मनाक है कि एक महिला मुख्यमंत्री के राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उनके साथ ही समाज की कई अन्य प्रबुद्ध महिलाओं ने भी इस घटना की निंदा की। इसके बाद हाथों में तख्तियां लेकर मातृशक्ति द्वारा सैकड़ों की संख्या में पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचकर राज्यपाल मंगूभाई पटेल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर संदेशखाली में हुए महिला शोषण के विरुद्ध एक निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया।
गत 25 फरवरी को लोहरदगा (झारखंड) में भी संदेशखाली में हिंदू महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन किया। इस अवसर पर लोगों ने ‘ममता बनर्जी मुर्दाबाद’,‘बंगाल सरकार होश में आओ’,‘टीएमसी के गुंडों की गुंडागर्दी नहीं चलेगी’,‘महिलाओं पर अत्याचार करने वाले को फांसी दो’, ‘बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाओ’ जैसे नारे लगाए। सामाजिक कार्यकर्ता संजय वर्मा, ओम महतो, पूर्व विधायक रमेश उरांव आदि ने लोगों को संबोधित किया।
न्यायालय हुआ सख्त
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख की गिरफ्तारी के लिए कड़ा रुख अपनाया था। गत दिनों न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया कि न्यायालय रजिस्ट्री द्वारा समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस दिया जाए, जिसमें कहा गया हो कि शेख को मामले में पक्षकार बनाया गया है, क्योंकि वह 5 जनवरी को ईडी अधिकारियों पर भीड़ के हमले के बाद से फरार है और सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आ रहा है। खंडपीठ ने कहा है कि शाहजहां शेख की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। ऐसे में एक तरफ न्यायालय का कड़ा रुख तो दूसरी तरफ मीडिया और विपक्षी दलों की ओर से चौरतफा घिरने के बाद ममता बनर्जी की पुलिस ने 55 दिन बाद मिनाखान इलाके से शाहजहां शेख को गिरफ्तार कर लिया।
बता दें कि शेख पर संदेशखाली में सैकड़ों महिलाओं के यौन शोषण और जमीन हड़पने के आरोप लगे हैं। लेकिन इस सबके बावजूद तृणमूल कांग्रेस और उसके नेता शाहजहां शेख का बचाव करते नहीं थक रहे। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा,‘‘किसी को यह गलतफहमी नहीं रहनी चाहिए कि तृणमूल शेख शाहजहां की रक्षा कर रही है।’’ इस संदर्भ में पलटवार करते हुए भाजपा सांसद दिलीप घोष कहते हैं, ‘शाहजहां शेख को पूरी तरह से ममता बनर्जी का संरक्षण प्राप्त है। उसे जान-बूझकर छिपाकर रखा गया था। जब मीडिया और अन्य जगह से दबाव आया तो पुलिस को उसे गिरफ्तार करना पड़ा। इसलिए मैं कहता हूं कि हाथी के हाथ दिखाने के और, खाने के और हैं।’’
क्या कानून से ऊपर है शाहजहां शेख?
उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली का टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुर्गे वर्षों से महिलाओं का शोषण और अत्याचार करते चले आ रहे थे। ये लोग डरा-धमकाकर बंदूक की नोक पर उनकी जमीन हड़पते थे और जो भी विरोध करता, उसे मार देते थे। डर से थरथर कांपते इलाके के लोग वर्षों से अपने ऊपर हो रहे जुल्म को सहते चले आ रहे थे। जब भी कोई शिकायत करने जाता तो उलटे पुलिस पीड़ितों को शाहजहां शेख के पास ही यह कहकर भेजती कि वहां जाओ! तुम्हें वहीं न्याय मिलेगा। स्थानीय लोग बताते हैं कि इलाके में उसका ऐसा डर था कि उसके आदेश के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था।
‘आदिवासी महिलाओं को मिले न्याय’
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल की आदिवासी महिलाओं से न्याय करने का आग्रह किया है। उन्होंने लिखा है,‘‘आपके प. बंगाल में माता और बहनों के साथ जो अत्याचार की घटनाएं प्रकाश में आई हैं, वे हृदय विदारक और मन को पीड़ा पहुंचाने वाली हैं। संदेशखाली में 50 से अधिक जनजातीय समुदाय की महिलाओं के साथ दुष्कर्म एवं हजारों आदिवासियों से उनकी जमीन छीन लेने, यहां तक कि मनरेगा की मजदूरी तक का पैसा छीन लेने जैसे कृत्यों ने मानवता को कलंकित किया है। इस संबंध में राष्ट्रीय जनजातीय आयोग ने जो रिपोर्ट दी है, वह भयानक है।… समाज के वंचित तबकों के साथ हो रहे अत्याचार को सभ्य समाज सहन नहीं कर सकता। यह सब आपके नेतृत्व में हो, यह निहायत ही निंदनीय है। महज तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के चलते आदिवासियों का जीवन संकट में डालना, उनके मान सम्मान और जान-माल के साथ हो रहा खिलवाड़ असहनीय है। राज्य की मुख्यमंत्री होने के नाते आपसे आशा है कि आप कड़ी कार्रवाई का निर्देश देकर दोषियों को सजा दिलवाएंगी। आपसे मैं शाहजहां शेख जैसे अपराधियों के साथ उनके संरक्षणकर्ताओं के विरुद्ध कानून सम्मत कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं।
गौरतलब है कि 8 जून, 2019 को देवदास मंडल का अपहरण हुआ। परिजनों ने अगले दिन अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। बाद में कई टुकड़ों में एक शव मिलता है। उसकी डीएनए प्रोफाइलिंग से पता चला कि यह शव देवदास मंडल का है। परिजनों ने शेख शाहजहां और उसके गुर्गे पर हत्या का इल्जाम लगाया, लेकिन जब आरोप पत्र दाखिल किया गया तो शेख शाहजहां को आरोपी नहीं बनाया जाता। हास्यास्पद यह था कि जिनके नाम प्राथमिकी में नहीं थे, उन्हें आरोपी बना दिया गया। प्राथमिकी में जिन 23 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट थी, उनके विरुद्ध आरोप नहीं लगाए गए। पुलिस ने हत्या के तीन साल बाद आरोप पत्र दाखिल किया। इसी तरह जून, 2019 में प्रदीप मंडल और सुकांता मंडल की हत्या कर दी जाती है। कपड़े की दुकान पर मौजूद प्रदीप के पास शेख शाहजहां और उसके गुर्गे आते हैं और सिर से पिस्तौल सटाकर गोली मारते हैं।
मौके पर ही उसकी मौत हो जाती है और उसकी दोनों आंखें बाहर निकल आती हैं। इसी तरह सुकांता मंडल को सिर में गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। खबर है कि अभी तक इस दोहरी हत्या का मुकदमा तक शुरू नहीं हुआ। इस मामले में भी जिनका नाम प्राथमिकी में है, उन्हें आरोपित नहीं किया गया और जिनका नाम प्राथमिकी में नही है, उन्हें आरोपी बनाया गया। इस दोहरी हत्या में पांच लोग अभी भी फरार हैं। खास बात यह है कि इस प्राथमिकी में भी मुख्य आरोपी शेख शाहजहां ही है, लेकिन प्राथमिकी की नकल में शेख शाहजहां के नाम को काली स्याही से दबाने की कोशिश की गई है। बता दें कि अनुसूचित जाति के प्रदीप, सुकांता और देवदास मंडल तीनों ही भाजपा के कार्यकर्ता थे।
2019 में जब भाजपा की केन्द्र में सरकार बनी तो संदेशखाली में भाजपा कार्यकर्ताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जाने लगा था। ये लोग चुनाव में बढ़-चढ़कर प्रचार में लगे थे। तीन-तीन हत्याओं में नामजद प्राथमिकी होने के बाद भी शाहजहां शेख को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। वहीं, बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मारपीट के मामले में भी वह मुख्य आरोपी है और उसके खिलाफ अदालत से वारंट भी निकला हुआ है, लेकिन इस मामले में भी आज तक उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। शाहजहां शेख के आतंक पर संदेशखाली में पीड़ितों के मामले की याचिकाकर्ता प्रियंका टिबरेवाल कहती हैं कि पीड़ित शिकायत दर्ज कराने से डरते हैं। टीएमसी के मंत्री डरा धमका रहे हैं। पुलिस लगातार शिकायत ना करने का दबाव बना रही है। ऐसे में न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
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