कांग्रेस सरकार: आस्था पर वार, चढ़ावे से प्यार
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

कांग्रेस सरकार: आस्था पर वार, चढ़ावे से प्यार

कांग्रेस अपनी तुष्टीकरण नीति और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। हिंदू विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं, जो हिंदू समाज में रोष उत्पन्न कर रहे हैं। चुनाव में कांग्रेस ने चीजें मुफ्त बांटने की कुछ योजनाओं का वादा किया था, जिसे पूरा करने में ही सरकारी खजाना खाली हो रहा है।

by आर. गुरु प्रसाद
Mar 6, 2024, 07:36 am IST
in विश्लेषण, कर्नाटक
कर्नाटक के कतील में स्थित दुर्गापरमेश्वरी मंदिर

कर्नाटक के कतील में स्थित दुर्गापरमेश्वरी मंदिर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस अपनी तुष्टीकरण नीति और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। हिंदू विरोधी फैसले लिए जा रहे हैं, जो हिंदू समाज में रोष उत्पन्न कर रहे हैं। चुनाव में कांग्रेस ने चीजें मुफ्त बांटने की कुछ योजनाओं का वादा किया था, जिसे पूरा करने में ही सरकारी खजाना खाली हो रहा है। इसलिए सिद्धारमैया सरकार अब हिंदू मंदिरों पर गिद्ध दृष्टि जमाए हुए है। राज्य सरकार मंदिरों से ‘जजिया’ वसूलने और मंदिर ट्रस्ट या मंदिर में गैर-हिंदुओं को शामिल करके हिंदू परंपरा को नष्ट करने पर तुली हुई है।

दरअसल, सिद्धारमैया सरकार ने कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम में कुछ संशोधन किए हैं, जिससे हिंदू खासे नाराज हैं। बहुमत होने के कारण इस विधेयक को राज्य सरकार ने विधानसभा में तो पारित करा लिया, लेकिन भाजपा के कड़े विरोध के कारण कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) अधिनियम, 2024 विधान परिषद में अटक गया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने राज्य सरकार के इस कदम पर कटाक्ष किया कि यदि सरकार के पास धन नहीं है, तो वह विधान सौध (राज्य विधानमंडल) के सामने हुंडी लगा ले।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस सरकार मुसलमानों और ईसाइयों को खुश करने के लिए मंदिरों की आय का उपयोग करके हिंदुओं को ही धोखा देने में लगी हुई है। लगातार हिंदू विरोधी नीतियां अपनाने वाली कांग्रेस सरकार की कुदृष्टि अब हिंदू मंदिरों के राजस्व पर है। केवल मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, अन्य मजहबी संस्थानों को क्यों नहीं? मंदिरों का जीर्णोद्धार और भक्तों को सुविधाएं देने की बजाए अन्य मकसद के लिए मंदिरों का पैसा आवंटित करना हिंदुओं की आस्था पर चोट है। इससे हिंसा और धोखाधड़ी ही बढ़ेगी। मंदिरों से पैसे मत चुराओ। इसके बजाय विधान सौध के सामने एक हुंडी रखें और लोगों से सरकार चलाने के लिए दान देने का अनुरोध करें।’’

मंदिरों का जीर्णोद्धार सिर्फ बहाना

राज्य में हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अतंर्गत 34,563 मंदिर आते हैं। वार्षिक आय के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सालाना 25 लाख रुपये से अधिक आय वाले 205 समृद्ध मंदिरों को ‘ए’ श्रेणी में, 5 लाख से 25 लाख रुपये आय वाले 193 मंदिरों को ‘बी’ श्रेणी में और 5 लाख रुपये से कम आय वाले शेष लगभग 34,000 मंदिरों को ‘सी’ श्रेणी में रखा गया है। प्रस्तावित विधेयक की मंशा ‘अधिसूचित मंदिरों, संस्थाओं, जिनकी सकल वार्षिक आय एक करोड़ रुपये से अधिक है, से उनकी आय का दस प्रतिशत और 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये आय वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत’ कर वसूलनी थी।

राज्य सरकार का दावा है कि इस रकम को एक कॉमन पूल फंड में स्थानांतरित किया जाएगा, जो सी श्रेणी के मंदिरों की देखभाल के लिए बनाया गया है। लेकिन हिंदुओं को इस बात का डर है कि मंदिरों से वसूली गई राशि को अन्य मंदिरों के रखरखाव पर खर्च न कर इसे गैर-हिंदू संगठनों को दिया जाएगा। इस आशंका के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बजट में वक्फ संपत्तियों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये और ईसाइयों के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इससे कांग्रेस सरकार के प्रति आम नागरिकों में यह धारणा भी बनी है कि सरकार विकास पर एक रुपया भी खर्च नहीं कर पा रही है, क्योंकि उस पर चुनाव से पहले धोषित 5 गारंटी योजनाओं के प्रबंधन का बोझ है।

हिंदू समाज का कहना है कि सरकार के पास आय का कोई दूसरा जरिया नहीं है, क्योंकि राज्य का समूचा राजस्व मुफ्त गारंटी वाले चुनावी वादों को पूरा करने में ही खर्च हो जाता है। इसलिए सरकार हिंदू मंदिरों को मिलने वाले दान और हुंडी से होने वाली आय पर आश्रित है और इसी से गैर-हिंदुओं को समृद्ध बनाना चाहती है। हिंदुओं और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के विरोध के बावजूद 22 फरवरी को सरकार ने विधानसभा में विधेयक पारित करा लिया, क्योंकि 224 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत (134) है। लेकिन उच्च सदन यानी विधान परिषद में भाजपा-जद(एस) गठबंधन के पास बहुमत है, इसलिए यहां सरकार को मुंह की खानी पड़ी। 75 सदस्यीय विधान परिषद में भाजपा के 34 और जद(एस) के 8 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस के 30 सदस्य ही हैं। इसके अलावा एक अध्यक्ष, एक स्वतंत्र सदस्य हैं, जबकि एक पद खाली है।

… तो अध्यादेश लाएगी सरकार

हिंदू संगठनों का कहना है, ‘‘विधान परिषद में विधेयक पारित नहीं होने पर कांग्रेस सरकार रत्ती भर भी चिंतित नहीं है। वह अध्यादेश लाकर इसे लागू कर सकती है। हिंदू जनजागृति समिति के राज्य प्रवक्ता मोहन गौड़ा तथा कर्नाटक राज्य व देवस्थान, मठ और धार्मिक संस्था महासंघ, कर्नाटक के राज्य समन्वयक कहते हैं कि कानून में प्रस्तावित संशोधन हिंदू संस्कृति और परंपरा को नष्ट कर देंगे। नास्तिकों को हिंदू धर्म के मंदिरों की गतिविधियों के प्रबंधन की अनुमति देना, कांग्रेस सरकार द्वारा हिंदू संस्कृति और परंपरा को नष्ट करने की सबसे खराब रणनीति है। सरकार गैर-हिंदुओं को मंदिर ट्रस्ट में कैसे शामिल कर सकती है? यदि यही तर्क सही है, तो क्या सरकार वक्फ बोर्डों और चर्चों में हिंदुओं की नियुक्ति की अनुमति देगी? भले ही विधेयक को विधान परिषद में खारिज कर दिया गया है, लेकिन सरकार अध्यादेश लाकर इसे लागू कर सकती है।’’
कांग्रेस की हिंदू विरोधी नीतियां केवल मंदिरों के राजस्व का दुरुपयोग और विभिन्न मत-मजहबों के नास्तिकों को मंदिर ट्रस्टों में नियुक्त करके हिंदू परंपरा को खत्म करने तक ही सीमित नहीं है। गत 24 फरवरी को प्रथम पीयूसी छात्रों से इतिहास के प्रश्न-पत्र में इस्लाम और ईसाई मत के बारे में प्रश्न पूछे गए थे, लेकिन सनातन धर्म से जुड़ा एक भी प्रश्न नहीं था। मोहन गौड़ा का कहना है कि हिंदू संस्कृति को छोड़कर चुनिंदा प्रश्न पूछने की नई परिपाटी युवाओं के दिमाग में जहर भरने के अलावा और कुछ नहीं है। इतिहास का प्रश्न-पत्र हिंदू संस्कृति और परंपरा को बदनाम करने की गलत मंशा से तैयार किया गया था। छात्रों से मुहम्मद की शिक्षाओं, कुरान, मानचित्र पर मक्का को चिह्नित करना आदि से जुड़े प्रश्न पूछे गए थे। इसमें ईसाइयत से जुड़े विभिन्न समूहों की पहचान, ईसा मसीह के आगमन आदि पर आधारित प्रश्न भी थे, पर हिंदू धर्म के बारे में एक भी प्रश्न नहीं पूछा गया, यह चीज सरकार की मानसिकता दर्शाती है।’’

Topics: सिद्धारमैया सरकारहिंदू समाजSiddaramaiah Governmentपाञ्चजन्य विशेषहिंदू संस्कृतिहिंदू विरोधी नीतियांHindu Cultureहिंदू मंदिरों पर गिद्ध दृष्टिhindu societyanti-Hindu policiesतुष्टीकरण नीतिvulture eye on Hindu templesकर्नाटक कांग्रेसAppeasement Policyहिंदू धार्मिक संस्थानHindu religious institutions
Share4TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies