गत 24 फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर नई दिल्ली स्थित आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में एक गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें दंगा पीड़ितों ने अपने अनुभवों को साझा किया और कहा कि मुआवजा बांटने में भी दिल्ली सरकार ने हिंदुओं के साथ भेदभाव किया।
चार सत्रों में विभाजित इस संगोष्ठी को अनेक पूर्व न्यायाधीशों, पूर्व पुलिस अधिकारियों और अधिवक्ताओं ने संबोधित किया। इसका आयोजन ‘जिया’ (ग्रुप आफ इंटेलेक्चुअल्स एंड एकेडमीशियन) ने किया था। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए किरोड़ीमल महाविद्यालय के अध्यक्ष चंद्र वधवा ने कहा कि दंगे पूर्व नियोजित थे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति एस.एन. श्रीवास्तव ने कहा कि देश में होने वाले दंगों के पीछे भारत में रहने वाले वे मुसलमान हैं, जिनकी जड़ें और कहीं हैं। झारखंड की पूर्व पुलिस महानिदेशक निर्मल कौर ने कहा कि एक षड्यंत्र के अंतर्गत मुसलमान अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं।
इस पर नियंत्रण करना होगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रहे दीपक मिश्रा ने दंगों के नियंत्रण में पुलिस की भूमिका के बारे में बताया तो पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.एन. ढींगरा ने कहा कि लोगों को कैसे कानून और व्यवस्था के अंतर्गत पुलिस के साथ सहयोग करना चाहिए।
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त बी.एन. बस्सी ने पुलिस की जिम्मेदारी और नागरिक समुदाय की जागरूकता पर जोर दिया। ‘जिया’ की संयोजक मोनिका अरोड़ा ने बताया कि कैसे कट्टरवादी तत्व शांतिपूर्ण वातावरण को सांप्रदायिक दंगों में बदल देते हैं।
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