अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से लोगों की सनातन धर्म में आस्था बढ़ रही है। इसकी एक नजीर उस वक्त देखने को मिली जब वाराणसी में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के 300 से अधिक मुस्लिम महिला और पुरुषों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर उनका जलाभिषेक किया और फिर ज्ञानवापी में भी दर्शन किए।
रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का जत्था शाम को करीब 5 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करने पहुंचा। वहां पहुंचने के साथ ही सभी ने गर्भगृह में भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इसके बाद सभी ने ज्ञानवापी में झांकी के दर्शन किए। मुस्लिम मंच के महामंत्री राजा रईस ने बाबा विश्वनाथ को अपना पूर्वज करार देते हुए कहा कि वो यहां पर अपने पूर्वजों का दर्शन करने के लिए आए थे। इस मौके पर सभी मुस्लिम अपने सिर पर टोपी लगाए थे, लेकिन इसके साथ ही इन्होंने अपने माथे पर तिलक लगा रखे थे।
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राजा रईस कहते हैं कि दुनिया में 24 से 26 नवी हैं। रईस के मुताबिक, कुरान में बताया गया है कि 124 हजार नवीं आए हैं, जिसमें भगवान राम भी एक हैं। इसमें शिव जी और कृष्ण भी हमारे नबी हैं। इसीलिए हम लोग अपनी नबी, अपने पूर्वजों का दर्शन करने के लिए आए हैं। वह कहते हैं कि कुछ कट्टरपंथी मौलाना है जो एक अरब 15 करोड़ लोगों को चुनौतियां देते फिरते हैं। यही कट्टरपंथी लोग गलत बयानबाजी करते हैं। बाकी हम सनातनी मुसलमान हैं और अपने बाबा अपने पूर्वजों के दर्शन के लिए आते हैं।
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच लगातार ज्ञानवापी परिसर को भगवान शिव क मंदिर करार देता रहा है। कई बार मंच ने इसे हिन्दुओं को सौंपने की भी बात की है। गौरतलब है कि एएसआई के सर्वे से भी ये स्पष्ट हो चुका है कि ज्ञानवापी कोई मस्जिद नहीं, बल्कि एक मंदिर है, जिसे मुगल आक्रान्ता औरंगजेब ने तुड़वा दिया था।
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