जयपुर । जयपुर की मानसरोवर स्थित मुहाना मंडी भ्रष्टाचार और अतिक्रमण की शिकार है। हालात यह हो गए फल-सब्जी मंडी के 6 बरामदों के पूरे ब्लॉक में एक मस्जिद आकार ले रही है। यह पूरा ब्लॉक टाट पट्टियों से ढंका हुआ है। हेरत वाली बात है कि मंडी के अध्यक्ष और सचिव को यहां मस्जिद का ये खुलेआम निर्माण दिखाई नहीं दे रहा। दोनों ही यहां मस्जिद निर्माण की बात से साफ इनकार कर रहे हैं। इसको लेकर मंडी से जुड़े कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में भी खासा रोष है। इस बारे में संबंधित अधिकारियों को कई बार शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2008 में बनी इस मंडी का उद्देश्य किसानों और व्यापारियों को उचित सुविधाएं व एक ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना था, जहॉं वे अपनी फसल सुगमता से बेच सकें और उन्हें उसका उचित लाभ मिल सके। इसके लिए दुकानों के साथ ही कुछ बरामदे भी बनाए गए थे। आज ये बरामदे अतिशय धांधली और अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो ईद और अन्य मुस्लिम त्योहारों पर यहां लगभग 250 से 300 लोग एकत्रित होते हैं और नमाज पढ़ते हैं। इतना ही नहीं मस्जिद के बाहर वजू करने के लिए अवैध नल कनेक्शन भी ले लिया गया है। यहां रोजाना आपराधिक तत्वों का जमावड़ा बना रहता है। सब्जी मंडी आपराधिक गतिविधियों का केंद्र बनती जा रही है। हर दिन बडी संख्या में बिना रोक-टोक के लोग यहां आते—जाते रहते हैं। प्रत्येक शुक्रवार को तो नमाज अदा करने वालों की इतनी भीड़ होती है, कि कई बार इस रास्ते पर चलने वाले वाहनों व लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बारे में मुहाना सब्जी मंडी अध्यक्ष राहुल सैनी का चौंकाने वाला दावा सामने आया। वे इस बात से पूरी तरह से इनकार कर रहे है कि यहां पर मस्जिद का निर्माण हो रहा है, लेकिन वे इस बात को अवश्य ही स्वीकार कर रहे है कि फल बाजार में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग रहते है। जो बरामदों की छतों पर नमाज पढते हैं और साथ ही वजू करने के लिए नल कनेक्शन लगा रखा है।
दूसरी तरफ मुहाना सब्जी मंडी सचिव दिलीप सिंह की बात भी इस पूरे मामले पर पर्दा डालती हुई दिख रही हैं। वे कहते हैं कि मुहाना मंडी में कोई मस्जिद नहीं बन रही है। वहां केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा नमाज पढ़ी जा रही है। इसमें क्या गलत हैं। इतना ही नहीं वे इस बात पर भी जोर डालते हुए नजर आ रहे हैं कि, ‘हम किसी भी धर्म का विरोध नहीं करते है।’ ये दोनों ही बयान खोखले दावे करते दिख रहे हैं।
उल्लेखनीय हैं कि, मुहाना फल सब्जी मंडी में जालियां टाटिया लगा कर अवैध कब्जों की बातें बहुत लंबे समय से सामने आ रही हैं। इस मंडी के बनने के बाद लाल कोठी सब्जी मंडी को यहॉं शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन व्यापारियों को दुकानें आवंटित करने के मामले में डीएलसी रेट का विवाद हो गया। ऐसे में अनेक व्यापारियों को दुकानें नहीं मिल पाईं। सरकार ने 2011 में डीएलसी रेट के 100 प्रतिशत व 150 प्रतिशत पर आवंटन नियम लागू किया था। पहले चरण की 30 x 80 फीट साइज की 467 और 20 x 40 फीट साइज की 40 दुकानों को बेसमेंट बनाने की पहले से अनुमति दे दी गई, जबकि दूसरे चरण में आवंटित 15 x 30 की 960 दुकानों में बेसमेंट को लेकर कोई स्पष्टता नहीं रही। इससे मंडी में दुकानों का निर्माण रुक गया था।
स्थिति यह है कि कुछ छोटे व्यापारी बड़े व्यापारियों की दुकानों के सामने या फिर यार्ड में कारोबार करते हैं। बड़े व्यापारी इसको लेकर उनसे किराया वसूलते हैं। इन व्यापारियों में अनाधिकृत व्यापारी भी हैं। ये लोग बरामदों तक अपना सामान फैला लेते हैं, और वे बरामदे जो किसानों को उनकी फसल बेचने हेतु बैठने के लिए बनाए गए थे, वहॉं उन्हें बैठने ही नहीं देते। लोगों व किसानों की शिकायत पर कई बार अवैध कब्जे व अतिक्रमण हटाए भी गए हैं, लेकिन ये फिर से हो जाते हैं।
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