उत्तराखंड समान नागरिक संहिता बिल को राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद राष्ट्रपति कार्यालय मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। उल्लेखनीय है उत्तराखंड विधानसभा ने इस ऐतिहासिक बिल को कानून बनाने की मंजूरी दे दी थी।
उत्तराखंड सरकार ने देश में किसी राज्य में पहली बार समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की घोषणा पिछले विधान सभा चुनाव से पहले की थी, जिसे धामी सरकार लागू करने का रही है। इस आशय का बिल विधान सभा से पारित होकर राज्यपाल के पास गया जिन्होंने इस पर स्वीकृति प्रदान करते हुए राष्ट्रपति को भेज दिया है।
इस के कानूनी प्रावधानों लिए एक समिति पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई है। श्री सिंह, समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट कमेटी के भी सदस्य रहे है। समिति में समाजसेवी मनु गौड़ और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी है। आशा व्यक्त की जारही है राष्ट्रपति इस पर लोकसभा चुनाव आचार संहिता से पूर्व स्वीकृति प्रदान कर देंगी। देश के अन्य राज्य भी अब समान नागरिक संहिता को लागू करने पर विचार कर रहे है।
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कब पेश हुआ बिल
गौरतलब है कि उत्तराखंड की भूमि सनातन की भूमि रही है, लेकिन बीते कुछ सालों में यहां की डेमोग्राफी में बदलाव देखा गया है। ऐसे में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता लंबे वक्त से महसूस की जा रही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री पुश्कर सिंह धामी ने 6 फरवरी 2024 को समान नागरिक संहिता बिल को राज्य विधानसभा में प्रस्तुत किया। वहां से इसके पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित समारोह में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी की उत्तराखंड सरकार ने जनता से किया गया एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण वादा समान नागरिक संहिता कानून के रूप में पूर्ण किया है। धीरे-धीरे सभी राज्य इसको अपनाएंगे और पूरे देश को समान नागरिक संहिता कानून से आच्छादित किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड सीमांत राज्य है इसलिए यहां यह कानून जरूरी है।
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