27 फरवरी विशेष : क्रन्तिकारियों के आदर्श जिन्हें मृत्यु भी नहीं बना सकी गुलाम, आजीवन रहे 'आजाद'
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम श्रद्धांजलि

27 फरवरी विशेष : क्रन्तिकारियों के आदर्श जिन्हें मृत्यु भी नहीं बना सकी गुलाम, आजीवन रहे ‘आजाद’

न्यायाधीश ने जब बालक चंद्रशेखर से इनका नाम, पिता का नाम तथा पता पूछा तो निर्भीक चंद्रशेखर ने अपना नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्र और निवास बंदीगृह बताया। अंग्रेजों को दांतों तले लौहे को चने चबवाने वाले क्रांतिकारी वीर बलिदानी चंद्रशेखर आज की आज पुण्यतिथि है।

by सुरेश कुमार गोयल
Feb 27, 2024, 06:00 am IST
in श्रद्धांजलि
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देश को आज़ाद करवाने के लिए हज़ारो नौजवानों ने क्रांति का रास्ता अपना कर अंग्रेज़ों को इस देश से भगाने के महायज्ञ में अपने  जीवन की आहुति डाली, जिनके बलिदानो के कारण आज हम स्वतन्त्र देश की हवा मे जी रहे हैं। स्वतंत्रता संग्राम के बिरले नायको के नामों की श्रंखला में अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद एक ऐसा नाम है जिसके स्मरण मात्र से शरीर की रगे फड़कने लगती हैं। एक युवा क्रांतिकारी जिसने अपने देश के लिए हंसते—हंसते प्राण उत्सर्ग कर दिए. जो अपनी लड़ाई के आखिर तक आजाद ही रहा। दुनिया में जिस सरकार का सूर्य अस्त नहीं होता था, वह शक्तिशाली सरकार भी उसे कभी बेड़ियों में जकड़ ही नहीं पाई। चंद्रेशेखर हमेशा आजाद ही रहें, अपनी आखिरी सांस तक। 27 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि पूरा राष्ट्र उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर याद कर रहा है।

इस वीर का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश की  अलीराजपुरा रियासत के मामरा अब (चन्द्रशेखर आजादनगर) ग्राम में माँ जगरानी की कोख से गरीब तिवारी परिवार में पांचवी संतान के रूप में हुआ। पिता सीता राम तिवारी बहुत ही मेहनती और धार्मिक विचारों के थे। इनके जन्म से वे चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर संस्कृत का विद्वान बनें परन्तु उन्हें क्या पता था कि उनके इस शेर बेटे ने भारत माता को अग्रोज़ो से आज़ाद करवाने के लिए उनकी नींद हराम कर देनी है। चंद्रशेखर की आरंभिक शिक्षा गॉव में ही हुई। यही पर उन्होंने धनुष बान चलाना सिखा और महाभारत के अर्जुन जैसे निशाने बाज़ बने, जिसका फायदा उन्हें क्रांति और स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई में गोलियों के निशाने लगाने में मिला।

1919 में हुए अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार ने देश के नवयुवकों को उद्वेलित कर दिया। चन्द्रशेखर उस समय पढाई कर रहे थे। 14 वर्ष की आयु में इन्हें संस्कृत पढ़ने के लिए कांशी भेजा गया। कांशी में ही चंद्रशेखर देश को आज़ाद करवाने के लिए प्रयासरत  क्रांतिकारी वीरों के सम्पर्क में आए और उनके प्रभाव से छोटी आयु में ही देश को आज़ाद करवाने के कांटो भरे रास्ते पर चल पड़े। कांशी संस्कृत महाविद्यालय में पढ़ते हुए असहयोग आंदोलन में पहला धरना दिया जिसके कारण पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायाधीश के सामने पेश किया। न्यायाधीश के साथ इनके सवांद से सुर्खियों में आ गए। न्यायाधीश ने जब बालक चंद्रशेखर से इनका नाम, पिता का नाम तथा पता पूछा तो निर्भीक चंद्रशेखर ने अपना नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्र और निवास बंदीगृह बताया। जिससे इनका नाम हमेशा के लिए चंद्रशेखर आज़ाद मशहूर हो गया। बालक चंद्रशेखर के उत्तरो से मजिस्ट्रेट गुस्से से लाल हो गया और इन्हें 15 बेंतों की कड़ी सज़ा सुनाई। जिसे देश के मतवाले इस निर्भीक बालक ने प्रत्येक बेंत के शरीर पर पडने पर भारत माता की जय और वंदे मातरम का जयघोष कर स्वीकार  किया।

इस घटना से अन्य क्रन्तिकारियो भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव से इनका संपर्क हुआ और आज़ाद पूरी तरह से क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए। इसी दौरान साइमन कमीशन के विरोध में बरसी लाठियों के कारण लाला लाजपतराय जी शहादत होने से क्रन्तिकारियो योद्धाओं ने अपनी गतिविधिया तेज कर दी और खून का बदला खून का प्रण कर दोषी पुलिस अफसरों को सज़ा देने का निर्णय लिया। अपने साहस, वीरता, सूझबूझ, कर्तव्यनिष्ठ तथा देश को आज़ाद करवाने के हर समय तैयार रहने के कारण चंद्रशेखर सभी के प्रिय हो गए थे तो अपने प्रिय नेता लाला लाजपतराय जी हत्या का बदला लेने के लिए क्रांतिकारी दल के नेता बनाएं गए। 17 दिसंबर 1928 को आज़ाद, भगत सिंह और राजगुरु ने पुलिस अधीक्षक, लाहौर कार्यलय के पास कार्यलय से निकलते ही  सांडर्स का वध कर दिया। लाहौर नगर के चप्पे चप्पे पर्चे चिपका दिए गए कि लाला जी की शहादत का बदला ले लिया गया है। पूरे देश में क्रन्तिकारियो के इस कदम को खूब सराहा गया।

इन्ही दिनों क्रन्तिकारियो को देश को आज़ाद करवाने के लिए हथियार खरीदने के लिए धन की कमी महसूस होने लगी तो सभी ने एक मत से निर्णय लेकर सरकारी खज़ाना लूटने की योजना बनाई। 9 अगस्त 1925 को कोलकत्ता मेल को राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर के नेतृत्व में लूटने की योजना बनी जिसे इन्होंने अपने 8 साथियों की सहायता से काकोरी स्टेशन के पास बहुत ही अच्छे ढंग से संम्पन्न किया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार पूरी तरह से बोखला गई और उन्होंने जगह जगह छापेमारी कर कुछ क्रन्तिकारियो को गिरफ्तार कर लिया जिन्होंने पुलिस की मार और टॉर्चर करने से अपने साथियों के ठिकाने बता दिए। क्रन्तिकारियो का पता मिलने से ब्रिटिश पुलिस ने कई क्रन्तिकारियो को पकड़ लिया और राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को फाँसी देकर बलिदान कर दिया। परन्तु आज़ाद पुलिस की पकड़ में नही आए तो ब्रिटिश पुलिस  के इनपर 30000/- के ईनाम की घोषणा कर दी।

4 क्रान्तिकारियों को फाँसी और 16 को कड़ी कैद की सजा के बाद चन्द्रशेखर आज़ाद ने उत्तर भारत के सभी कान्तिकारियों को एकत्र कर 8 सितम्बर 1928 को दिल्ली के फीरोज शाह कोटला मैदान में एक गुप्त सभा का आयोजन किया। पर्याप्त विचार-विमर्श के पश्चात् एकमत से समाजवाद को दल के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल घोषित करते हुए “हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन” का नाम बदलकर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन” रखा गया। चन्द्रशेखर आज़ाद ने सेना-प्रमुख (कमाण्डर-इन-चीफ) का दायित्व सम्हाला और भगत सिंह को दल का प्रचार-प्रमुख बनाया गया।

27 फरवरी 1931 के दिन आज़ाद अपने एक साथी के साथ इलाहाबाद के अलफ्रेंड पार्क में बैठे अगली रणनीति पर विचार कर रहे थे कि पैसो के लालच में किसी देशद्रोही मुखबिर ने पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने तुरन्त सुपरिंटेंडेंट नाट बाबर के नेतृत्व में इन्हें घेर लिया। 20 मिनट तक भारत माता के इस शेर ने पुलिस का मुकाबला किया और अपने बेहतरीन निशाने से कई को मौत से मिला दिया। इस मुकाबले में चंद्रशेखर के शरीर मे भी में भी कई गोलियां समा गई। घायल क्रांति के देवता चंद्रशेखर के पास जब अंतिम गोली रह गई तो उन्होंने उसे कनपटी पर लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर आज़ादी के महायज्ञ में अपने जीवन की आहुति डाल दी। इनका पुलिस में इतना ख़ौफ़ था कि इनके बलिदान होने के काफी समय बाद तक पुलिस इनके पास भी नही फटक सकी। चंद्रशेखर, आज़ाद थे, और अंतिम समय तक भी आज़ाद ही रहे।

पुलिस ने बिना किसी को सूचना दिये चन्द्रशेखर आज़ाद का अन्तिम संस्कार कर दिया था। जैसे ही आजाद की बलिदान की खबर जनता को लगी सारा प्रयागराज अलफ्रेड पार्क में उमड पडा। जिस वृक्ष के नीचे आजाद शहीद हुए थे लोग उस वृक्ष की पूजा करने लगे। वृक्ष के तने के इर्द-गिर्द झण्डियाँ बाँध दी गयीं। लोग उस स्थान की माटी को कपडों में शीशियों में भरकर ले जाने लगे। समूचे शहर में आजाद के बलिदान की खबर से जब‍रदस्त तनाव हो गया।

आजाद की शहादत के 16 वर्षों बाद 15 अगस्त सन् 1947 को हिन्दुस्तान की आजादी का उनका सपना पूरा तो हुआ किन्तु वे उसे जीते जी देख न सके। सभी उन्हें पण्डितजी ही कहकर सम्बोधित किया करते थे। भारत सरकार ने 1988 में इस महान बलिदानी की स्मृति में डाक टिकट जारी किया।

शेर की भांति ऊंचे मस्तिक और हष्ट पुष्ट इस आज़ादी के दीवाने को आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा राष्ट्र आज़ादी के लिए उनके द्वारा किए कार्यो को याद कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हैं।

 

Topics: Krantiveer AzadChandrashekhar Azad27 February specialचंद्रशेखर आजादचंद्रशेखर आजाद की जीवनीचंद्रशेखर आजाद का बलिदानचंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथिक्रांतिवीर आजाद27 फरवरी विशेषbiography of Chandrashekhar Azadsacrifice of Chandrashekhar Azaddeath anniversary of Chandrashekhar Azad
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Bhim army workers roit

सांसद चंद्रशेखर को प्रयागराज के सर्किट हाउस में रोका गया, भीम आर्मी ने की आगजनी, पथराव और तोड़फोड़

भारत माता के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद

दुर्दम्य महारथी आजाद का स्व के लिए महासमर और रूह कंपाती दर्दनाक गाथा”

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव 2025 : अखिलेश के समक्ष कांग्रेस और चंद्रशेखर की बड़ी चुनौती

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करेगी ‘बमतुल बुखारा’ पिस्टल, चंद्रशेखर आजाद से विशेष रिश्ता

भारत माता के अमर सपूत चंद्रशेखर आजाद

आखिर तक आजाद ‘आजाद’ ही रहे

छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर और चंद्रशेखर आजाद

अब यूपी बोर्ड के विद्यार्थी छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आजाद समेत 50 महापुरुषों की पढ़ेंगे जीवन गाथा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies