कट्टर सुन्नी देश सऊदी अरब के युवराज का नया फरमान है कि मस्जिदों के अंदर इफ्तार की पार्टी न दी जाए और न ही मौलवी लंबी लंबी तकरीरें दें। मुस्लिम देश में ऐसा हैरान करने वाला फरमान रमजान के महीने में ‘मस्जिदों को साफ’ रखने के उद्देश्य से दिया गया है। यह ताजा फरमान तमाम मस्जिदों के इमामों को भेजा जा चुका है और इसके सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
अब तक सऊदी अरब की मस्जिदों के अंदर रमजान के महीने में शाम को इफ्तार की दावतें खूब तामझाम के साथ देने का प्रचलन रहा है। हर मस्जिद में बढ़—चढ़कर इफ्तार की पार्टियां की जाती रही हैं, यहां तक कि रमजान के दौरान भी ऐसा होता आ रहा था। लेकिन अब सऊदी अरब में इस पर पाबंदी लगा दी गई है।
वहां यह फरमान सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद द्वारा जारी किया गया है। सलमान को एक ‘सुधारवादी’ तबियत का इंसान माना जाता है और वे पहले भी ऐसे अनेक आदेश दे चुके हैं जो अब तक वहां असंभव माने जाते थे। उन्होंने ही कहा है कि रमजान के महीने में मस्जिदों में होने वाली इफ्तार की दावतों से वहां गंदगी फैलती है इसलिए इससे बचा जाए। इस तरह आगामी रमजान के पूरे महीने उस इस्लामी देश की मस्जिदों में इफ्तार का आयोजन नहीं किया जा सकेगा।
फरमान कहता है कि मस्जिदों में इमाम रमजान के महीने में नमाजियों से इफ्तार कराने के लिए चंदा वसूली न करें। और तो और, इमामों को लंबी तकरीरें न करने को भी कहा गया है। सलमान का यह फरमान इस्लामिक मामलों मंत्रालय द्वारा रमजान को लेकर किए जा रहे प्रयासों से जुड़ा है।
इतना ही नहीं, इस फरमान का अगला हिस्सा कहता है कि मस्जिदों में इमाम रमजान के महीने में नमाजियों से इफ्तार कराने के लिए चंदा वसूली न करें। और तो और, इमामों को लंबी तकरीरें न करने को भी कहा गया है। सलमान का यह फरमान इस्लामिक मामलों मंत्रालय द्वारा रमजान को लेकर किए जा रहे प्रयासों से जुड़ा है।
फरमान के अनुसार, मस्जिदें साफ रहें इसके लिए उनके अंदर इफ्तार की दावत न करके पहले से तय हिस्से में ही खानपान किया जाए। इसके साथ ही, जिस वक्त नमाज चल रही हो, उस वक्त कोई इमामों की वीडियो न बनाए इसलिए मस्जिदों के भीतर कैमरे ले जाने पर भी रोक लगाई गई है। मस्जिद के अंदर के चित्र या वीडियो किसी भी तरह के मीडिया में अपलोड किए जाने की भी मनाही की गई है।
इसी फरमान में तकरीरों को लेकर कहा गया है कि इमाम तरावीह की नमाज ज्यादा लंबी न कराएं, साथ ही नमाजियों को ऐसी तकरीरें दें जो उनके लिए फायदे की हों। इसमें रोजे के कायदों और रमजान के महीने की विशेषताओं पर जोर रहे तो अच्छा होगा।
इसमें संदेह नहीं है कि सऊदी अरब के युवराज सलमान अपने देश की कट्टर इस्लामी छवि से इतर एक तरक्कीपसंद और खुली सोच वाले देश की बनाना चाहते हैं। जैसा पहले बताया, इसी उद्देश्य से वे ऐसे अनेक फैसले ले चुके हैं जिनसे देश की महिलाओं को अब बुर्के से बाहर आकर अपने को साबित करने के मौके मिल रहे हैं। जैसे, सलमान ने अपने देश में महिलाओं के फुटबाल मैच देखने जाने से रोक हटाई, उनके कार चलाने को वैधानिक बनाया।
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