नई दिल्ली । देश में 1 जुलाई से औपनिवेशिक काल के तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर तीन नए कानून लागू हो जायेंगे। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
तीन नए कानूनों को पिछले साल दिसंबर में संसद ने मंजूरी दी थी और बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन पर अपनी सहमति दे दी थी।
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) अधिनियम 1860 के भारतीय दंड संहिता, 1873 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 की भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। गृह मंत्रालय ने इन तीनों कानूनों के लागू होने की तारीख को लेकर आज तीन अधिसूचनाएं जारी कीं।
एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान
नए कानून के तहत अगर कोई मौखिक तौर पर या लिखित या सांकेतिक रूप से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या फिर प्रयास भी करता है, एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त उस पर जुर्माने का प्रावधान भी नए कानून में सम्मलित किया गया है।
नए कानूनों में मॉब लिंचिंग पर सख्त सजा का प्रावधान
इसके अलावा इन नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी। नए कानूनों में नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध बताया था और इस अपराध के लिए नए कानूनों में फांसी की सजा का प्रावधान की बात संसद में कही थी।
आतंकवादी गतिविधियों से सख्ती से निपटने का कानून
इसके अलावा नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है। वहीं, पॉकेटमारी जैसे छोटे संगठित अपराधों पर भी नकेल कसने का प्रावधान नए कानूनों में किया गया है। इस तरह के अपराधों के साथ-साथ संगठित अपराध से निपटने के लिए प्रावधान भी नए कानून में किए हैं। पहले इस तरह के संगठित अपराधों से निपटने के लिए राज्यों के अपने कानून थे।
बता दें, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की जगह लेगा। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत के लिए है। भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 (बीएसबी2) भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेगा।
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