चिल्ड्रेंस होम में हिंदू बच्चों को बनाया ईसाई: मामला पहुंचा गृहमंत्रालय के पास, कन्वर्जन में विदेशी फंडिंग की होगी जांच

आंचल चिल्ड्रेंस होम और अनिल मैथ्यु का अब यह सच आया सामने

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भोपाल। मध्‍यप्रदेश की राजधानी में राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य बाल संरक्षण आयोग के संयुक्‍त छापे के दौरान आंचल चिल्ड्रेंस होम (बालिका छात्रावास) पर कार्रवाई हुई थी। प्रशासन की जांच में नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब पता चला है कि गरीब बच्चियों को शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और आवास सुविधा देने के नाम पर जर्मनी से रुपयों की उगाही हुई और उस पैसे से ईसाई मत की प्रैक्‍टिस कराकर मानसिक रूप से गैर ईसाई बच्‍चों का कन्‍वर्जन कर दिया गया । मध्य प्रदेश के इस बहुचर्चित बालिकागृह मामले की रिपोर्ट राज्‍य ने गृह मंत्रालय को भेज दी है, आगे की विदेशी फडिंग की जांच केंद्र करेगा।

इस संबंध में जिलाधीश कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है, शासन द्वारा फंडिंग और हॉस्टल की जांच पूरी कर ली गई है। हमने पाया है कि आंचल चिल्ड्रेंस होम्‍स के संचालक अनिल मैथ्यु को विदेशी रुपया मिला है, उसकी पैसों की बैलेंस शीट में विदेशी फंडिंग के रिकॉर्ड मौजूद हैं। यह किस स्रोत से आया इसके लीगल होने का अभी पता लगाया जाना है । फिलहाल यह उनके जांच के दायरे में नहीं है, इसलिए इस संबंध में रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी गई है। आगे की जांच केंद्र की ओर से की जाएगी। कलेक्‍टर ने यह भी बताया कि अब तक भी अनलि मैथ्यु आंचल चिल्ड्रेस होम्‍स के संचालन को लेकर कोई भी अनुमति संबंधी दस्‍तावेज प्रस्‍तुत नहीं कर पाया है। पुलिस ने मैथ्यु के खिलाफ धर्मांतरण कानून के तहत मामला दर्ज किया है।

उल्‍लेखनीय है कि स्‍वयं मैथ्‍यु ने भी यह स्‍वीकार कर लिया था कि वह ईसाई प्रैक्‍टिस कराता था, जिससे साफ हो गया कि सेवा की आड़ में भोलेभाले बच्‍चों के दिगाम में उनके मूल धर्म के खिलाफ विचार भरे जा रहे थे। अभी भी अधिकांश बच्‍च‍ियां जो इस अवैध चिल्‍ड्रेन होम्‍स से मिलीं, वे अब भी अपने सरनेम पुराने ही लिख रही हैं, किंतु उनकी सोचने की जितनी भी क्षमता हो सकती है, उसमें वे पूरी तरह से ईसाई हो चुकी हैं, यह उनकी बातों से साफ जान पड़ता है।

एफसीआरए रद्द करने के लिए केंद्र को लिखे राज्‍य सरकार

मामले में राष्‍ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्‍यक्ष प्रियंग कानूनगो का कहना है, ‘यह एक अवैध चिल्‍ड्रेन होम्‍स है, इसे होस्‍टल घोषित करना कानून का मजाक बनाना है। इसमें जो बच्‍च‍ियां रह रही थीं, उनमें कई बच्‍च‍ियां सीएनसीपी (देखरेख और संरक्षण के बच्‍चे) हैं। इन संस्‍थान ने इन बच्‍चों को चाइल्‍ड लाइन की कैपेसिटी में काम करते हुए रेस्‍क्‍यू किया था। इस संस्‍थान पर दर्ज मुकदमें में धारा 420 जो धोखाधड़ी की धारा है उसकी बढ़ोतरी करना चाहिए । चूंकि इस संस्‍थान की सच्‍चाई अब सामने आ चुकी है, इसलिए राज्‍य सरकार का यह दायित्‍व है कि वह इसका विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) रद्द करने के किए केंद्र सरकार को लिखे ।

छात्रावास संबंधी नियम बनाए प्रदेश सरकार

बाल आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने कहा कि मप्र सरकार इस बात की जांच भी करे कि अनिल मैथ्‍यु के साथ अन्‍य कौन लोग इस ईसाई मतान्‍तरण करवाने में सक्रिय हैं। इस संस्‍था के अंतर्गत राज्‍य में कितने अन्‍य अवैध बालगृह छात्रावास के रूप में संचालित हैं। अनिल मैथ्‍यू की मूल संस्‍था को प्रदेश में भोपाल के अलावा किसी दूसरे जिले में चाइल्‍ड लाइन संचालित करने की अनुमति थी तो वहां भी इस प्रकार की जांच की जाए। शासन इस नजरिए से भी जांच करे कि राज्‍य में ऐसे कितने अवैध बालगृह छात्रावास के रूप में संचालित हो रहे हैं। इन पर रोक लगाने के लिए शासन को छात्रावास संबंधी नियम बनाने चाहिए ।

जर्मनी की इन संस्‍थाओं से लगातार मिल रहा था फंड

आंचल चिल्ड्रेंस होम का संचालन कर रही संजीवनी सर्विसेस सोसाइटी को जर्मनी से लगातार करोड़ों की फंडिंग मिली है। फंड देनेवाले कार्मेलाइट्स ऑफ मेरी इमैक्यूलेट (सीएमआई) नाम की संस्था से जुड़े हुए पाए गए हैं। भोपाल के बच्‍चों के ऊपर डॉक्यूमेंट्री फिल्‍म बनाई गई थी, जिनके जरिए जर्मनी की संस्‍था ‘डाई स्टर्न सिंगर’ जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देशों से गरीब बच्‍चों की मदद करने के नाम पर फंड इकट्ठा करती थी और फिर उसी में से इस चिल्ड्रेन होम संचालन के लिए रुपया भेज दिया जाता था।

जारी है मैथ्‍यु के लोगों का कन्‍वर्जन धंधा

अनिल मैथ्‍यु भले ही आज जमानत पर छूट गया हो, किंतु उसने अपना पुराना ईसाई कन्‍वर्जन का धंधा बंद नहीं किया है। सूत्रों ने बताया कि उसकी पुरानी टीम पहले की तरह ही कन्‍वर्जन के काम में लगी हुई है। गरीब बस्‍तियों में परिवारों को चिन्‍हित करना और उन्‍हें रुपए तथा उनके बच्‍चों के लिए अच्‍छे भविष्‍य का लालच देकर बच्‍चों को मनोवैज्ञानिक रूप से उनके मूल धर्म से दूर करने का कार्य बदस्‍तूर जारी है। मामले में जानकारी यहां तक सामने आई है कि जब आंचल चिल्ड्रेंस होम में बाल आयोग की कार्रवाई हुई और उसके बाद जैसे ही बच्‍च‍ियों के बयान लेकर उन्‍हें उनके परिवारजनों के सुपुर्द किया गया, तब से लगातार अनिल मैथ्‍यु के साथी उन तमाम बच्‍चियों, उनके परिवार जनों से सतत संपर्क बनाए हुए हैं । इतना ही नहीं तो न्‍यायालय में अपने पक्ष (अनिल मैथ्‍यु) के हित में बयान देने के लिए लगातार उन्‍हें सुविधाओं का लालच देकर मनाया जा रहा है। जिसकी कि जांच अब प्रशासन स्‍तर पर होने की जरूरत है।

दो करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग का लगाया है पता

बच्‍च‍ियों को घेरकर लाना, उन्‍हें इस संस्‍थान में रखवाना और नियमित तौर पर उसके बाद इन सभी बच्‍च‍ियों के संपर्क में रहना, इससे स्पष्ट है कि कई लोग हैं, जो एक समूह में काम करते हुए गरीबों को कन्‍वर्जन करा रहे हैं, यह जानते हुए भी कि राज्‍य में धर्मांतरण विरोधी धर्म स्‍वातंत्र्य कानून लागू है। इससे यह भी स्‍पष्‍ट हो रहा है कि इन सभी को कानून का कोई भय नहीं । आपको बतादें कि भोपाल चिल्ड्रेन होम में मिली बालिकाएं छिंदवाड़ा, रायसेन, सीहोर, विदिशा समेत कई जिलों से घर-घर विश्‍वास जीतकर इनके अन्‍य जिलों में सक्रिय लोगों द्वारा वहां से लाकर यहां रखवाई गई थीं। इनमें 6 साल से 18 साल तक की 40 से ज़्यादा लड़कियों में अधिकांश हिंदू हैं।

राष्‍ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्‍यक्ष प्रियंक कानूनगो, राज्‍य बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के अध्‍यक्ष द्रविन्‍द्र मोरे, सदस्‍य डॉ. निवेदिता शर्मा और ओंकार सिंह ने इस साल जनवरी में जब इस चिल्ड्रन होम पर छापा मारा था, तब उन्‍हें भी अंदाज नहीं था कि मामला इतना गंभीर है। फिलहाल मामले में भोपाल प्रशासन से अपनी तकरीबन दो करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी फंडिंग होने का पुख्‍ता तौर पर पता लगा लिया है। इस पूरे मामले में काफ़ी कठिनाई के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी ।

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