लोकतंत्र की चुनौती भरी राह
July 21, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम सम्पादकीय

लोकतंत्र की चुनौती भरी राह

1947 में एक साथ लोकतंत्र की राह पर चलने का फैसला करने वाले दोनों देशों को देखने-समझने का यह उचित समय है

by हितेश शंकर
Feb 24, 2024, 03:32 pm IST
in सम्पादकीय
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पाकिस्तान, जहां ‘कथित’ लोकतंत्र के ‘तंत्र’ को आरंभ से ही सेना ने अपने कब्जे में रखा। जहां दिखावे को चुनाव भले हों, परिणाम जारी करने का साहस समीकरण बैठाने की तिकड़मों के सामने पस्त हो जाता है।

लोकतंत्र एक यात्रा है, जिसमें गुजरते पड़ावों के साथ लोक और तंत्र, दोनों परिपक्व होते हैं। तंत्र, जैसा शब्द से ही स्पष्ट है, कई शाखाओं का एक संयोजन होता है और लोक की अपेक्षाओं, उसके अधिकारों की रक्षा, उसके बेहतर भविष्य की कल्पना का साकार होना, सब इसी पर निर्भर करता है। लेकिन उसी तंत्र का अगर उसी के अंग द्वारा अपहरण कर लिया जाए तो वे सारी आशाएं, सारी अपेक्षाएं धरी की धरी रह जाती हैं।

यही अंतर है भारत के लोकतंत्र और पाकिस्तान के ‘कथित’ लोकतंत्र में। 1947 में एक साथ लोकतंत्र की राह पर चलने का फैसला करने वाले इन दोनों देशों को देखने-समझने का यह उचित समय है।

पाकिस्तान, जहां ‘कथित’ लोकतंत्र के ‘तंत्र’ को आरंभ से ही सेना ने अपने कब्जे में रखा। जहां दिखावे को चुनाव भले हों, परिणाम जारी करने का साहस समीकरण बैठाने की तिकड़मों के सामने पस्त हो जाता है। जहां लोग रोते हैं कि काश! हमारे यहां भी भारत की तरह भरोसेमंद व्यवस्था और ‘ईवीएम’ होती। जहां लोकतंत्र निर्धन होता जाता है और राजनेताओं को जीत और तख्त की बख्शीश बांटते फौजी जनरल गड्डियां बटोरते हुए मूछों पर ताव देते हैं।

ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान में सेना राजनीतिक निर्णय लेने और शासन में शामिल रही है और यहां तक कि तख्तापलट कर देश पर शासन भी किया है। फौजी साये में पली-बढ़ी अराजकता का ही नतीजा है कि वहां प्रधानमंत्री कभी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते। आज पाकिस्तान की दुर्गति का कारण सेना ही है।

फौज पर पाकिस्तान के कुल खर्चे का लगभग 46 प्रतिशत धन लुट रहा है। यह तो है उसे मिल रहा प्रत्यक्ष अनुपातहीन फायदा। परोक्ष फायदे तो और भी चिंताजनक हैं। उदाहरण के लिए वर्दी वाले धन्ना सेठ जनरल कमर जावेद बाजवा को ही लें। छह साल के भीतर बाजवा का परिवार अरबपति बन गया। उसके पास विदेशों में भी अच्छी-खासी संपत्तियां हैं। ऐसे ही लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा के परिवार के पास भी 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है।

पाकिस्तानी फौज के प्रभाव के बीच वहां हुआ हालिया चुनाव बहुत अहम है। अहम इसलिए कि चुनावों में हर बार की तरह फौजी देख-रेख में हुई धांधली के बाद भी जनता ने दिखाया कि लोक की सामूहिक चेतना अगर जाग जाए तो वह क्या कर सकती है। इमरान खान की पार्टी के प्रति जनता ने अपना समर्थन इस चुनाव में दिखाया।

चुनाव से बाहर करने के बाद इमरान की पार्टी के लोग निर्दलीय के नाते लड़े। चुनाव में सबसे बड़ा समूह निर्दलियों का रहा। यह सही है कि सत्ता के खेल में फौज ने एक बार फिर जोड़तोड़ करके सरकार बनाने का रास्ता निकाल लिया, लेकिन जनता ने कदमताल करते हुए फौज को साफ संकेत दिया है कि अब उसकी नहीं चलने वाली। निश्चित तौर पर यह चुनाव लोकतंत्र की मशाल को जलाए रखने की जनता की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। बेशक, उसे लोकतंत्र के रास्ते में अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन उसने पहला कदम उठा लिया है।

अब, बात भारत की। विशेषकर उन लोगों की, जो भारत के लोक और तंत्र को आपस में उलझाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। किंतु मत भूलिए, भारत, पाकिस्तान नहीं है। दरअसल, लोकतंत्र विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, और ‘खबरपालिका’ के बारीक संतुलन पर निर्भर करता है और इसके मूल में होता है अधिसंख्य लोगों के हित में फैसले लेना, उसे निष्ठा से व्यवहार में उतारना, कहीं कोई कमी रह गई तो सुधार करना।

इस पूरी व्यवस्था में दबाव समूहों की अपनी भूमिका होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि विचलन न आए, लेकिन बहुत बार ऐसे समूहों को संचालित करने वाली डोर उन हाथों में होती है, जिनकी मंशा स्वार्थ साधने की होती है। ऐसे तत्वों का पूरा खेल ‘धारणा’ बनाने पर टिका होता है, क्योंकि आधुनिक विश्व में सीमाओं पर होने वाली लड़ाई से कहीं बड़ी लड़ाई देशों की सीमाओं के भीतर ही लड़ी जा रही है। किंतु क्या एक छोटे से समूह को यह अधिकार है कि वह कोई ‘खास’ फैसला लेने के लिए दबाव बनाए और इसके लिए अराजक भी हो जाए? क्या अभिव्यक्ति की आड़ में निरंकुश आक्रोश को बढ़ावा देना या प्रदर्शन की ढाल तानकर अराजकता के हरावल दस्तों का दुस्साहसिक हल्लाबोल लोकतंत्र के नाम पर सहन किया जा सकता है?

भारत समेत दुनियाभर के लोकतंत्रों पर यह बात लागू होती है। सबसे घातक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है आधा बताना-आधा छिपाना और विभाजनकारी ‘नैरेटिव’ फैलाना। यह रणनीति लोकतंत्र के सभी प्रमुख स्तंभों पर लागू होती है।

  • अगर सरकार तीन तलाक हटा दे तो इसे मुसलमानों के खिलाफ बताना और यह सवाल करना कि हिंदू महिलाओं के साथ भी तो अत्याचार होते हैं?
  • वर्षों गुजरात दंगों की बात करना, लेकिन हर बार गोधरा का जिक्र जान-बूझकर छोड़ देना। ‘खबरपालिका’ के जरिए साधारण अपराध को हिंदू-मुसलमान, ऊंच-नीच, दलित-जनजाति के चश्मे से देखना-दिखाना और रंग-बिरंगे धागों से बनी सामाजिक संरचना को बदरंग करने का ‘नैरेटिव’ फैलाना।बहरहाल, लोकतंत्र के रास्ते पर इतना लंबा रास्ता तय करने वाले देश की चुनौतियां बड़ी हैं। पाकिस्तान की जनता भारत की प्रगति को देखकर आहें भर रही है और भारत में कुछ लोग हिंसक, असहिष्णु, अराजक टोलियों के साथ लोकतंत्र के नाम पर इस लोकतंत्र से ही लोहा लेने के सपने देख रहे हैं।

Topics: भारत के लोकतंत्रखबरपालिकालेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवापाकिस्तानIndian DemocracyPakistanLieutenant General Asim Saleem Bajwaलोकतंत्रDemocracyjournalismsystemपाञ्चजन्य विशेषतंत्र
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Irana Shirin Ebadi

शिरीन एबादी ने मूसवी के जनमत संग्रह प्रस्ताव को बताया अव्यवहारिक, ईरान के संविधान पर उठाए सवाल

छत्रपति शिवाजी महाराज के दुर्ग: स्वाभिमान और स्वराज्य की अमर निशानी

टीआरएफ की गतिविधियां लश्कर से जुड़ी रही हैं  (File Photo)

America द्वारा आतंकवादी गुट TRF के मुंह पर कालिख पोतना रास नहीं आ रहा जिन्ना के देश को, फिर कर रहा जिहादी का बचाव

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : शाैर्य के जीवंत प्रतीक

देश के वे गांव जहां बोलचाल की भाषा है संस्कृत

देश के वे गांव, जहां बोली जाती है संस्कृत, बच्चे भी लेते हैं योग और वेदों की शिक्षा

शिवाजी द्वारा निर्मित 12 किले यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल, मराठा सामर्थ्य को सम्मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Islamic conversion of hindu girl in pakistan

अलीगढ़ में कन्वर्जन का जाल: 97 महिलाएं लापता, खुफिया एजेंसियां सक्रिय, क्या है पूरा मामला?

Iran killing innocent people

“वुमन, लाइफ, फ्रीडम”: ईरान में विरोध की आवाज को कुचलने की साजिश

विश्व हिंदू परिषद बैठक 2025 : हिंदू समाज को विखंडित करने वाली शक्तियों को देंगे करारा जवाब – आलोक कुमार

पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा से सर्च अभियान में 14 IED और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम 10 मई : ट्रंप के दावे को भारत और कसूरी ने किया खारिज

हरिद्वार कांवड़ यात्रा 2025 : 4 करोड़ शिवभक्त और 8000 करोड़ का कारोबार, समझिए Kanwar Yatra का पूरा अर्थचक्र

पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार बदमाश

इस्लामिया ग्राउंड में देर रात मुठभेड़ : ठगी करने वाले मोबिन और कलीम गिरफ्तार, राहगीरों को ब्रेनवॉश कर लूटते थे आरोपी

प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव यात्रा : 23 से 26 जुलाई की इन यात्राओं से मिलेगी रणनीतिक मजबूती

‘ऑपरेशन सिंदूर’ समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार : सर्वदलीय बैठक 2025 में रिजिजू

मौलाना छांगुर का सहयोगी राजेश गिरफ्तार : CJM कोर्ट में रहकर करता था मदद, महाराष्ट्र प्रोजेक्ट में हिस्सेदार थी पत्नी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies