मद्रास हाई कोर्ट ने हिन्दू महिला के मुस्लिम पति की मौत पर बड़ा फैसला सुनाते हुए उसे सनातन परंपराओं के मुताबिक अंतिम संस्कार की रीतियां करने की इजाजत दे दी है। महिला की पहचान शांति के रूप में हुई है, उसके पति का नाम बालासुब्रमण्यम उर्फ अनवर हुसैन के रूप में हुई है, जिसकी मृत्यु हो चुकी है। लेकिन उसके अंतिम संस्कार को लेकर विवाद फंसा हुआ था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मृतक का अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति रिवाजों के अनुसार किया जाएगा।
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, ये मामला तमिलनाडु के शिवगंगा जिले का है। यहीं के रहने वाले पूर्व बस चालक बाला सुब्रमण्यम उर्फ अनवर की मौत से जुड़ा हुआ है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये हिन्दू और मुस्लिम नाम का क्या माजरा है? दरअसल, बाला सुब्रमण्यम और शांति की 1988 में शादी हुई थी। उन दोनों की एक बेटी भी है, जिसका नाम भवानी है। उन दोनों के बीच सबकुछ ठीक चल रहा होता है, लेकिन इसी बीच बाला सुब्रमण्यम की जिंदगी में सैयद अली फातिमा की एंट्री होती है। दोनों के बीच पहले दोस्ती और फिर प्रेम होता है। बाद में दोनों शादी करने का निर्णय लेते हैं।
लेकिन एक पेंच ये फंसता है कि फातिमा के परिवार वालों बाला सुब्रमण्यम को कहते हैं कि ये तो तभी संभव है, जब वो इस्लाम में कन्वर्ट होगा। इसके बाद बाला सुब्रमण्यम इस्लाम स्वीकार कर लेता है और अपना नाम बदलकर वो अनवर हुसैन रख लेता है। इसके बाद वो 1999 में फातिमा से निकाह कर लेता है। निकाह के बाद दोनों से एक बेटा पैदा हुआ। जिसे अब्दुल मलिक नाम दिया गया।
क्या है विवाद
अभी हाल ही में बाला सुब्रमण्यम उर्फ अनवर हुसैन की मौत हो गई। इसके बाद अंतिम संस्कार को लेकर उसकी हिन्दू पत्नी, बेटी और उसके बेटे अब्दुल के बीच झगड़ा हुआ। वहीं अस्पताल ने भी शव देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अब्दुल मलिक ने मद्रास हाई कोर्ट में केस किया और अपने अब्बू का इस्लामिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने की इजाजत मांगी। जब अदालत ने मामले की सुनवाई की तो पता चला कि बाला सुब्रमण्यम और उसकी हिन्दू पत्नी के बीच अभी भी तलाक की कानूनी प्रक्रिया चल रही थी। ऐसे में उसकी संपत्तियों कानूनी अधिकारी तो शांति ही है और भवानी उसकी वैध उत्तराधिकारी बनी रहेगी।
इसके साथ ही अदालत ने वर्तमान कानूनी ढांचे के अनुसार बालासुब्रमण्यम की फातिमा से निकाह करने की वैधता और उनके बेटे अब्दुल मलिक की कानूनी स्थिति से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मृतक की धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने के महत्व पर जोर देते हुए फैसला सुनाया कि उसका अंतिम संस्कार इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाना चाहिए। साथ ही बालासुब्रमण्यम को इस्लामी संस्कारों के अनुसार दफनाया जाएगा। हालाँकि, अदालत ने हिन्दू पत्नी और बेटी के संस्कारों के अधिकारों को भी स्वीकार करते हुए कहा कि इन्हें इस्लामी अंतिम संस्कार से पहले खुली जगह पर 30 मिनट के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
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