दिल्ली दंगा : अपना बसा-बसाया घर छोड़ पलायन को मजबूर हिंदू, 'उस मंजर को याद करते ही दहल उठता है दिल'
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

दिल्ली दंगा : अपना बसा-बसाया घर छोड़ पलायन को मजबूर हिंदू, ‘उस मंजर को याद करते ही दहल उठता है दिल’

दंगों के बाद उन इलाकों में सबकुछ बदल गया है। डरे हुए लोग औने-पौने दाम में अपना घर-बार बेचकर दूसरी जगह जा रहे हैं

by आदित्य भारद्वाज
Feb 21, 2024, 04:39 pm IST
in दिल्ली
फाइल फोटो

फाइल फोटो

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पलायन अगर तरक्की के लिए हो तो अच्छा होता है, लेकिन डर या मजबूरी में किसी को बसा-बसाया घर छोड़कर अनजान जगह जाना पड़े तो उस पर क्या गुजरती होगी, इसे वही व्यक्ति या परिवार समझ सकता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एक हिस्से में यही हो रहा है। उत्तर-पूर्व दिल्ली के 2020 के दंगे तो आपको याद ही होंगे। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में महीनों तक चले धरने की आड़ में दिल्ली में दंगों की साजिश रची गई और इसके लिए चुने गए यमुनापार के इलाके, जहां हिंदू-मुस्लिम की मिली-जुली आबादी रहती है। जिन इलाकों में मुसलमानों की आबादी ज्यादा थी, वहां हिंदुओं पर क्या बीती, यह किसी से छिपा नहीं है। दंगों के बाद उन इलाकों में सबकुछ बदल गया है। डरे हुए लोग औने-पौने दाम में अपना घर-बार बेचकर दूसरी जगह जा रहे हैं। वे किसी भी तरह उन इलाकों से निकलना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें अपने परिवार और बच्चों के भविष्य की चिंता है। मुस्लिम आबादी से सटे इलाकों में जहां पहले हिंदू बड़ी संख्या में रहते थे, अब वहां वे अल्पसंख्यक हो गए हैं।

मुस्तफाबाद से लगती दो कॉलोनियां हैं- भागीरथी विहार और शिव विहार। यहां हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों की आबादी अधिक है, लेकिन दंगों के दो साल बाद आलम यह है कि जिस गली में पहले हिंदुओं के 15 घर थे, अब वहां दो-तीन घरों में ही हिंदू बचे हैं। बाकी सभी अपना घर सस्ते में बेच कर कहीं और चले गए। इस इलाके में हिंदुओं के घर बेचने का सिलसिला जारी है।

घरों में फेंकते हैं हड्डियां 

भागीरथी विहार की गली नंबर-1 में रहने वाले मनोज कुमार शर्मा का नया पता ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-3, उत्तर प्रदेश है। मनोज बताते हैं, ‘‘मेरा बचपन भागीरथी विहार में बीता। वहीं बड़ा हुआ और वहीं शादी हुई। पहले भागीरथी विहार में मुसलमानों के घर बहुत कम थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आबादी बढ़ती गई। हालांकि इसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं थी। सब कुछ सामान्य था, लेकिन 2020 में जैसे ही दंगा भड़का, उन्मादियों ने पूरे इलाके को घेर लिया। हमारा पूरा परिवार छत पर चला गया। बच्चे बहुत डरे हुए थे। बाहर उन्मादी भीड़ आगजनी कर रही थी। हम तीन दिन तक घर में दुबके रहे। यदि फोर्स समय पर नहीं पहुंचती तो शायद कोई नहीं बचता। दंगा थमने के बाद जब हालात थोड़े सामान्य हुए तो मुसलमानों ने हिंदुओं को परेशान करना शुरू कर दिया। रात को हमारी छतों पर हड्डियां और मांस फेंका जाने लगा। मुहल्ले के लोगों ने कई बार मुसलमानों से बातचीत कर हालात को सामान्य करने की कोशिश की। हिंदुओं की ओर से बड़े-बुजुर्ग मुसलमानों की ओर से अपने समकक्ष से बातचीत करते तो कुछ दिन तक शांति रहती, लेकिन मुसलमानों का उत्पात फिर शुरू हो जाता था। घर से बाहर जाते समय मन में हमेशा डर बना रहता था कि कहीं पीछे से घर में कुछ हो न जाए। लिहाजा, हर समय डर के साये में रहने वाले हिंदुओं ने वहां से मकान बेचना शुरू कर दिया।

मनोज कहते हैं, ‘‘मन में हमेशा बच्चों को लेकर डर बना रहता था। उससे छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका यही था कि हम अपना घर बेच कर किसी सुरक्षित जगह चले जाएं। इसलिए हमने अपना मकान बेच दिया और ग्रेटर नोएडा आकर बस गए। यहां पर हम कम से कम सुरक्षित तो हैं। अब घर से बाहर जाने पर यह चिंता तो नहीं होती कि कहीं मेरे पीछे घर में कुछ अनहोनी न हो जाए। वहां तो हर समय यही डर बना रहता था।’’

दंगों के बाद मुश्किल हो गया जीना 

मनोज की तरह गौरव जैन भी भागीरथी विहार में ही रहते थे, लेकिन उन्होंने भी अपना मकान बेच दिया और नवीन शाहदरा में बस गए। वे बताते हैं, ‘‘पहले भी गली में मुसलमान थे। आसपास भी मुसलमान थे। लेकिन कभी कोई परेशानी नहीं होती थी। दंगों के समय न जाने कहां से भीड़ आ गई। सबके चेहरे ढके हुए थे। उनके हाथों में पेट्रोल बम थे। डर के मारे हमने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया था। मेरे घर के नीचे ही गोलियां चलीं। किसी को गोली मारी गई थी। क्या करें, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। हम पिछले 33 साल से वहां रह रहे थे, लेकिन दंगों के बाद सब कुछ बदल गया। अब हमारा वहां रहना मुश्किल हो गया था। लाचारी में कम दाम में घर बेचना पड़ा। डर का आलम यह था कि नौकरीपेशा होने के बावजूद दंगा थमने के 10 दिन बाद भी मैं दफ्तर नहीं गया। आसपास जाकर देखा तो जली हुई दुकानें, कारें और मोटरसाइकिल के अलावा सड़क पर पत्थरों की भरमार थी। ये वही पत्थर थे जो उन्मादियों की भीड़ ने बरसाए थे। उन मंजर को अब भी याद करते हैं तो दिल दहल उठता है।’’

इलाके में मुस्लिम प्रॉपर्टी डीलर सक्रिय

भगीरथी विहार गली नंबर 3 के ही अनिल और उनके दोनों भाई भी अब जौहरीपुर एक्सटेंशन में बस चुके हैं। अनिल बताते हैं, ‘‘हाल ही में बड़ी बेटी की शादी की है। दंगे के दौरान घर के बाहर उन्मादी मुसलमान ‘अल्लाह हू अकबर’ नारे लगा रहे थे, सड़कों पर आगजनी कर रहे थे। ऐसे में अगले पल क्या होगा, यह सोच कर उस मां-बाप के दिल पर क्या बीतती होगी, आप खुद ही सोच कर देखिए। मुझे अपनी चिंता नहीं थी। मुझे सबसे अधिक चिंता अपनी दो जवान बेटियों, पत्नी और बेटे की थी। भगवान की कृपा हुई कि फोर्स आ गई और दंगाई वहां से भाग गए। लेकिन उसके बाद भी पास में ही मुसलमानों को एक मैरिजहोम है, वहां से घंटों गोलियां चलाई गईं। बस किसी तरह जान बच गई।’’ वह आगे बताते हैं, ‘‘दंगों के बाद वहां से हिंदुओं ने अपने मकान बेचने शुरू कर दिए। मैंने और मेरे दोनों भाइयों ने भी मकान बेच दिया। हमारी गली में अब चार-पांच हिंदू परिवार ही बचे हैं। उनके मकानों का बयाना भी मुसलमान प्रॉपर्टी डीलर ने दिया हुआ है। यहां सक्रिय मुसलमान प्रॉपर्टी डीलर पांच से सात लाख रुपये बयाना देकर छह महीने में रजिस्ट्री करवाने के लिए करारनामे पर हस्ताक्षर करवा रहे हैं। मुसलमान हिंदुओं के मकान खरीद रहे हैं। हिंदू बाजार भाव से कम पर अपना मकान बेचने को मजबूर हैं। ज्यादातर हिंदू परिवार यहां से जा चुके हैं। जो बचे हैं वह भी जल्द यहां से निकल जाएंगे।’’

भागीरथी विहार में रहने वाले शंकर लाल बताते हैं कि पिछले तीन महीनों में उनकी गली और उनके आगे वाली गली में 11 मकानों का सौदा हो चुका है। वे खुद भी यहां नहीं रहना चाहते। अब यहां रहना संभव ही नहीं है। इसलिए वह भी जल्दी यहां से मकान बेचकर निकल जाएंगे।

यह तो बानगी भर है। ऐसे न जाने कितने घर बिक चुके हैं और न जाने कितने घरों का सौदा हो चुका है। इन इलाकों में रहने वाले कई हिंदू तो डर के मारे मुंह ही नहीं खोलना चाहते। अपनी पहचान उजागर किए बिना वे कहते हैं कि संख्या के हिसाब से अब हिंदुओं और मुसलमानों में संतुलन नहीं रहा। यहां तेजी से जनसांख्यिकी परिवर्तन हो रहा है, जो आने वाले समय में दूसरे इलाके में बसे हिंदुओं के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। चारों तरफ से मुस्लिम आबादी से घिरे ब्रजपुरी मुख्य मार्ग के पास के अधिकतर घर या तो बिक चुके हैं या बिकने के कगार पर हैं। परिस्थितियां ही ऐसी बना दी गईं कि हिंदू चाहकर भी यहां नहीं रह सकता। लेकिन दिल्ली की आआपा सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है।

Topics: Delhi Riotsmigrationदिल्ली दंगा और पलायनदिल्ली दंगा से खौफखौफ में हिंदूDelhi riots and migrationfear of Delhi riotsHindus in fearपलायनदिल्ली दंगा
Share15TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गली नंबर 12 में स्थित मस्जिद

दहशत में हिंदू

CM Yogi

वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में कस्बे के कस्बे पलायन कर जाते थे: CM योगी

मजहबी उन्मादियों द्वारा की गई आगजनी (फाइल फोटो)

दर्द बाकी है आज भी

फरवरी, 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान पुलिस पर पथराव करते दंगाई (फाइल फोटो)

आज भी रिसता है लहू 2020 के दंगों को याद करके, कैसे भूल जाएं दिल्ली के खलनायकों को

दिल्ली दंगों पर आधारित फिल्म

2020 के दिल्ली दंगों पर आधारित भारत की पहली वन-टेक फीचर फिल्म ‘2020 दिल्ली’ का ट्रेलर लॉन्च

Supreme court

दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर बोला सुप्रीम कोर्ट, ‘ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies