भारत के सागरपार निकटतम पड़ोसी देश श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने अपने यहां एक कार्यक्रम में भावविभोर होकर जब ‘धन्यवाद भारत’ कहा तो उनकी आंखों में भारत के प्रति एक विशेष प्यार दिखा। उस टापू देश में उन्होंने भारत का आभार जताते हुए वहां बसे अल्पसंख्यक तमिलों के हर प्रकार के आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों को अक्षुण्ण रखने के प्रति प्रतिबंद्धता जताई। यह भारत की मोदी सरकार का पड़ोसी देशों के प्रति अपनत्व का भाव ही है जो उसे सर्वप्रिय बनाता है।
राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ उस कार्यक्रम में भारत के वहां के उच्चायुक्त संतोष झा भी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिलों का हर प्रकार से समर्थन करने की बात कही। यह कार्यक्रम दस जिलों में 45 वृक्षारोपण संपदाओं में तमिलों के लिए 1,300 घरों के शिलान्यास का।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि सरकार देश में अल्पसंख्यक तमिलों के आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों को यथावत रखने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। इसी भाषण में उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंका में भारत ने एक आवास परियोजना में मदद की है जिसके लिए वे भारत के आभारी हैं।
वहां इस आवासीय परियोजना को नाम दिया गया है ‘भारत-लंका’ आवासीय परियोजना। इसी परियोजना के चौथे चरण का परसों शुभारंभ करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति ने मोदी सरकार का आभार व्यक्त किया था। इस परियोजना के पीछे उद्देश्य है श्रीलंका जैसे टापू देश में वृक्षारोपण वाले इलाके के श्रमिकों के लिए भारत से प्राप्त अनुदान की मदद से 10,000 आवास बनाना।
भयंकर आर्थिक संकटों से उबरने की कोशिश में जुट श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का अपने भाषण में यह उल्लेख करना मायने रखता है कि ‘भारत की सरकार ने इस आवासीय परियोजना हेतु बड़ी उदारता के साथ मदद प्रदान की है। ऐसा भाव दर्शाने के मैं भारत सरकार को हृदय से धन्यवाद देता हूं।’
श्रीलंका में बसे तमिल समुदाय की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने आगे कहा कि ‘भारतीय मूल के तमिल समुदाय का देश के अर्थतंत्र में उल्लेखनीय योगदान है, लेकिन बदकिस्मती से इनके पास जमीन तथा घरों के न होने से बहुत हानि हुई है। इस समुदाय को इसके राजनीतिक अधिकारों से दूर कर दिया गया है, लेकिन आवश्यक है कि इस समुदाय के आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों वैसे ही बनाए रखे जाएं।’
पड़ोसी देश में सरकार अब यह प्रक्रिया शुरू कर रही है। तमिलों को जमीन और घर मिलें उसके लिए भूमि लेने के लिए भूसंपदा कंपनियों के साथ चर्चा आरम्भ की जा रही है। यहां बता दें कि 2017 में मई माह में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी श्रीलंका के दौरे पर गए थे और उन्होंने तब वहां कहा था कि तमिल समुदाय के लिए 10,000 घरों का निर्माण किया जाएगा।
श्रीलंका में तमिलों के लिए इस आवास परियोजना के पूरे होने पर बागान श्रमिकों को अपना एक घर मिल जाएगा। इससे उनके जीवन में बेहतरी होगी और वे सशक्त होंगे। यह परियोजना जहां भारत—श्रीलंका मैत्री को दर्शाती है वहीं यह भारत सरकार के मानवीय दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है। मोदी सरकार ने भारत में भी पीएम आवास योजना के तहत समाज के वंचित वर्ग के लिए करोड़ों घर बनाए हैं जिससे उन वर्गों में भी खुशहाली आई है।
इसी कार्यक्रम में भारत के उच्चायुक्त ने कहा कि श्रीलंका में भारतवंशी तमिलों के हित प्रति भारत सदा से प्रतिबद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि तमिलों के लिए घर बनाने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी के हैटन के ऐतिहासिक दौरे में हुआ था। हैटन में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री गया था। देश में 250 एस्टेट तथा छह प्रांतों में बनने वाले 10,000 घर समाज के सबसे वंचित वर्गों के जीवन में खुशहाली लाएंगे।
श्रीलंका में तमिलों के लिए इस आवास परियोजना के पूरे होने पर बागान श्रमिकों को अपना एक घर मिल जाएगा। इससे उनके जीवन में बेहतरी होगी और वे सशक्त होंगे। यह परियोजना जहां भारत—श्रीलंका मैत्री को दर्शाती है वहीं यह भारत सरकार के मानवीय दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है। मोदी सरकार ने भारत में भी पीएम आवास योजना के तहत समाज के वंचित वर्ग के लिए करोड़ों घर बनाए हैं जिससे उन वर्गों में भी खुशहाली आई है।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से इस कार्यक्रम के चित्र भी साझा किए हैं। इसी में उल्लेख है कि भारत श्रीलंका में तमिल समुदाय के लिए ऐसे 60,000 से ज्यादा घर बनाने की इच्छा रखता है।
उल्लेखनीय है कि भारत की इस आवास परियोजना के अतिरिक्त भी अनेक आवास परियोजनाओं पर काम चल रहा है जिनमें उस देश के पच्चीस जिलों में 2,400 घर बन रहे हैं। भारत सरकार ने तय किया है कि आर्थिक संकट से ग्रस्त श्रीलंका में 5 अरब डॉलर की सहायता की जाएगी। इस राशि में से करीब 600 मिलियन डॉलर अनुदान के तौर पर दिए जाने हैं।
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