संदेशखाली प्रकरण : हाईकोर्ट मे एकल पीठ के फैसले पर खंडपीठ ने हस्तक्षेप से किया इंकार, असमंजस में राज्य सरकार
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संदेशखाली प्रकरण : हाईकोर्ट मे एकल पीठ के फैसले पर खंडपीठ ने हस्तक्षेप से किया इंकार, असमंजस में राज्य सरकार

आखिर क्यों सच सामने नहीं आने देना चाहती राज्य सरकार, जानिए संदेशखाली का कड़वा सच

by WEB DESK
Feb 20, 2024, 06:44 pm IST
in पश्चिम बंगाल
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कोलकाता । पश्चिम बंगाल के संदेशखाली इलाके में धारा 144 को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही एकल पीठ ने नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने खंडपीठ में अपील की थी। उसमें भी कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है।

कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने के लिए सशर्त मंजूरी दे दी। संदेशखाली के प्रवेश बिंदु धमाखाली नौका घाट पर रोके जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष वहां इंतजार करते रहे थे। जबकि, कोलकाता में उनके वकील ने क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति के लिए फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने विपक्ष के नेता के अलावा भाजपा विधायक शंकर घोष को संदेशखाली में प्रवेश की अनुमति दे दी।

हालांकि, खंडपीठ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शुभेंदु के सुरक्षाकर्मियों सहित किसी तीसरे व्यक्ति को संदेशखाली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना पुलिस की जिम्मेदारी होगी कि शुभेंदु अधिकारी और शंकर घोष की यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था का कोई उल्लंघन न हो।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश कानून की भावना के अनुरूप था, जहां धारा 144 है, जो पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाती है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने धमाखाली नौका घाट पर बैरिकेड हटाया जिसके बाद शुभेंदु अधिकारी और शंकर घोष एक पुलिस दल के साथ संदेशखाली के लिए रवाना हुए। इन्होंने इलाके में महिलाओं की शिकायतें सुनी हैं।

जानिए संदेशखाली का कड़वा सच

बारह फरवरी को राज्यपाल आनंद बोस जब संदेशखाली दौरे पर थे, तो रोती-कलपती कुछ महिलाओं ने उन्हें राखी बांधकर रक्षा की गुहार लगाई। देश की इकलौती महिला मुख्यमंत्री और वाम राज में महिला उत्पीडऩ को लेकर सडक़ पर संग्राम करने वाली ममता के राज में ऐसा भी होता है, किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।

बंगाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सुंदरवन के मुहाने पर बसे संदेशखाली के चेहरे की कुरूपता आज पूरा देश देख रहा है। महिलाओं को आधी रात में पार्टी ऑफिस में बुलाने, जमीन और जलागार हड़पने, दुकानदारों से अवैध वसूली करने, इलाके को विपक्ष शून्य करने के लिए हमले करने जैसी दर्जनों शिकायतों का निपटारा करने वाला कोई नहीं था। संवेदनहीन पुलिस अब प्रभावित इलाकों में घूम- घूमकर लोगों, खासकर महिलाओं को मीडिया के सामने मुंह नहीं खोलने की हिदायत दे रही है। यहां की सांसद नुसरत जहां को इलाके की महिलाओं के आंसू पोंछने चाहिए थे, पर वह 14 फरवरी को, इंस्टाग्राम पर वेलेंटाइन डे मना रही थीं।

भ्रष्टाचार के मामलों में जिस सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री, उनके बेटे-बेटी व अफसर जेल की हवा खा रहे हों, उस पर संदेशखाली कांड ने जले पर नमक छिडक़ा है, पर सरकार के चेहरे पर शिकन तक नहीं है। सरकार पूरी ताकत से इस इलाके में विपक्षी नेताओं का प्रवेश रोकने में लग गई है। राज्य भाजपा अध्यक्ष और बालुरघाट से लोकसभा सांसद सुकांत मजूमदार संदेशखाली जाते समय सुरक्षाकर्मियों से झड़प में घायल हो गए और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत की। उनकी शिकायत पर लोकसभा की विशेषाधिकार रक्षा समिति ने मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना के डीएम शरद कुमार द्विवेदी, बशीरहाट के एसपी और एएसपी को 19 फरवरी को दिल्ली में हाजिरी लगाने को कहा है। 14 फरवरी को संदेशखाली मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर पूरे इलाके में जारी निषेधाज्ञा खारिज कर दी। उसी दिन सुकांत को रोककर पुलिस प्रशासन ने उनका विशेषाधिकार हनन किया। याद करें, राजीव कुमार वही आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई की संभावित गिरफ्तारी से बचाने के लिए ममता धरने पर बैठी थीं।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने साफ कहा कि पुलिस ग्रामीण महिलाओं के विरोध को कुचलने के बदले अपराध में शामिल कथित दो प्रमुख आरोपियों की तलाश करे। मालूम हो कि कई सौ करोड़ रुपये के राशन घोटाले के सिलसिले में छापा मारने गई प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर शाहजहां के गुर्गों ने हमला किया था और तभी से वह फरार है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक कह चुका है कि बंगाल में कानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का कानून चलता है।

विधानसभा में ममता ने शाहजहां का बचाव किया और भाजपा व आरएसएस पर दोष मढ़ा। जून, 2019 में भी तीन राजनीतिक हत्याओं के मामले में शेख शाहजहां का नाम आया था, पर तब भी ममता ने उसका बचाव किया था। वाम जमाने में शेख शाहजहां की औकात एक स्थानीय रंगबाज की थी, पर ममता की शरण में आने के बाद रसूख के साथ उसकी संपत्ति भी तेजी से बढ़ी। बताया जाता है कि आज वह कई सौ करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक है। शिक्षा घोटाले में पार्थ चटर्जी, पशु तस्करी घोटाले में अणुव्रत मंडल, राशन घोटाले में जेल में बंद मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक सहित काले कारनामे करने वाले दर्जनों अभियुक्तों का ममता ने हर बार बचाव किया। लोकसभा चुनाव करीब है और सरकार को लगता है कि लक्ष्मी भंडार के पांच सौ रुपये (जिसे बजट में बढ़ाकर एक हजार किया गया है) और अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए एक हजार रुपये का भत्ता देकर राज्य की दुर्गा शक्ति को खुश कर देगी। और हां, बाहरी का ढोल पीटकर बंगालियों की भावना को भी भुनाना है। विपक्ष का आरोप है कि संदेशखाली के कुछ इलाकों में रोहिंग्या शरणार्थी बस गए हैं। इस आरोप में दम है, क्योंकि ईडी अफसरों पर हमले की हिमाकत कोई कट्टरपंथी जमात ही कर सकती है। आज भी बांग्लादेश में म्यांमार से आए चार लाख से ज्यादा शरणार्थी हैं। वहां आज जिस तरह भारत विरोधी हवा बहाई जा रही है, उसे देखकर यही लगता है कि सुंदरवन के दुर्गम इलाकों से भारत में संगठित तरीके से घुसपैठ तो नहीं कराई जा रही है?

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