नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सदियों की गुलामी के बावजूद हमारी सांस्कृतिक चेतना नष्ट नहीं हुई। वह बीज के रूप में वर्षा ऋतु का इंतजार करती रही। आज आजादी के अमृत काल में भारत के उत्कर्ष का बीज अंकुरित हो रहा है। गीता में दी गई शिक्षा को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि हमें इसके लिए परिश्रम करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि धाम की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने कहा कि भविष्य में आने वाले अवतार को समर्पित यह पहला धाम है। इससे पता चलता है कि हम कैसे भविष्य के लिए तैयार रहते हैं। इस दौरान उन्होंने कल्कि धाम के आचार्य प्रमोद कृष्णम के कार्य की प्रशंसा की और कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही मंदिर निर्माण के लिए उन्हें जमीन मिली है।
उन्होंने स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि बहुत से धार्मिक और विकास कार्यों की शुरुआत करने का उन्हें अवसर मिला है। उन्होंने कहा, “कई ऐसे अच्छे काम हैं, जो कुछ लोग मेरे लिए ही छोड़ कर चले गए हैं। आगे भी जितने अच्छे काम रह गए हैं, उनको भी संतों और जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से हम पूरा करेंगे।”
राम मंदिर का विशेष उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रामलला विराजमान होने से अगले हजारों सालों की भारत की एक नई यात्रा का शुभारंभ हो रहा है। भगवान राम की तरह ही कल्कि अवतार भी हजारों वर्षों की रूपरेखा तय करेगा। हम ये कह सकते हैं कि कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रणेता भी हैं और प्रेरणास्रोत भी हैं।
प्रधानमंत्री ने विकास और विरासत दोनों क्षेत्रों में हो रहे कार्यों में अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाई। उन्होंने कहा कि भारत आज अनुसरण नहीं कर रहा बल्कि उदाहरण बन रहा है। भारत तकनीक और डिजिटल क्षेत्र में संभावनाओं के अवसर के रूप में उभर रहा है। देश में सकारात्मक सोच और ऊर्जा है। हमारी शक्ति अनन्त है और संभावनाएं अपार हैं।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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