संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी और प्रसिद्ध गीतकार गुलजार का नाम ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने इसकी घोषणा की है। अब 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन दोनों को सम्मानित किया जाएगा।
ज्ञानपीठ चयन समिति द्वारा एक बयान में कहा गया है कि यह पुरस्कार दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का फैसला लिया गया है। इसके लिए संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार का चयन किया गया है।
बतादें, चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य जी एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और 100 से ज्यादा पुस्तकों के लेखक हैं। वर्ष 1950 में रामभद्राचार्य जी का उत्तर प्रदेश के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में जन्म हुआ था। रामभद्राचार्य जी रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। रामभद्राचार्य जी जहां 22 भाषाएं बोलते हैं तो वहीं उन्होंने संस्कृत, अवधी, हिन्दी, मैथिली सहित विभिन्न भाषाओं में रचनाएं भी की हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
वहीं हिंदी सिनेमा में गुलजार ने अपना अच्छा मुकाम बनाया है। उन्हें फिल्म जगत के साथ-साथ उर्दू कवियों के लिए भी जाना जाता है। उन्हें वर्ष 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, वर्ष 2013 में वे दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा वर्ष 2004 में पद्म भूषण से भी सम्मानित हुए थे। उन्हें करीब पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
दरअसल ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार होता है। जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी। सबसे पहले ये पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए दिया गया था। पुरस्कार में 11 लाख रुपए की धनराशिके साथ प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी जी की कांस्य की प्रतिमा दी जाती है। यह पुरस्कार केवल भारत के नागरिक को ही दिया जाता है।
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