‘किसान’ बो रहे अराजकता की फसल
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

‘किसान’ बो रहे अराजकता की फसल

कथित किसान आंदोलन की तैयारी बता रही है कि इनकी मंशा कुछ और ही है

by रमेश शर्मा
Feb 17, 2024, 02:23 pm IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के भावी विकास का जो ‘ज्ञान का सम्मान’ मंत्र दिया है, इसमें अन्नदाता अर्थात् किसान प्रमुख है। उनकी कुछ नीतियों में प्रत्यक्ष और कुछ नीतियों में परोक्ष रूप से किसानों का हित चिंतन स्पष्ट दिखता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों की किसान हितैषी नीतियों का ही परिणाम है कि आज भारत कृषि उत्पादों का निर्यातक देश बना।

इस लेख के लिखे जाने तक पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में कुछ ‘किसान’ संगठन आंदोलनरत हैं। इनमें किसानों के वेश में कुछ ऐसे तत्व भी हैं, जो देश का वातावरण बिगाड़ना चाहते हैं। इस आंदोलन के लिए तिथियों का निर्धारण और अवसर भी साधारण नहीं है। यह एक ऐसा समय है जब भारत नई करवट ले रहा है, प्रगति की ऊंचाइयां छूने की ओर बढ़ रहा है। सामाजिक सद्भाव और समन्वय का भाव भी प्रगाढ़ हुआ है।

यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के भावी विकास का जो ‘ज्ञान का सम्मान’ मंत्र दिया है, इसमें अन्नदाता अर्थात् किसान प्रमुख है। उनकी कुछ नीतियों में प्रत्यक्ष और कुछ नीतियों में परोक्ष रूप से किसानों का हित चिंतन स्पष्ट दिखता है। यह केंद्र और राज्य सरकारों की किसान हितैषी नीतियों का ही परिणाम है कि आज भारत कृषि उत्पादों का निर्यातक देश बना।

किसान आंदोलन के समय का चयन ही नहीं, आंदोलन करने का तरीका भी वातावरण बिगाड़कर सरकार के प्रयासों पर पानी फेरने वाला है। आंदोलन का जो स्वरूप सामने आया है,वह केवल अपनी मांगों की ओर ध्यानाकर्षण करना भर नहीं लगता। शायद ये लोग पूरी दिल्ली को ठप कर देना चाहते हैं। इसलिए दिल्ली आने के लिए पुलिस से भी टकरा रहे हैं। आंदोलन की तैयारी और तरीके से ही साफ है कि इसमें वे तत्व शामिल हैं, जो अराजकता फैलाकर देश की प्रगति को अवरुद्ध करना चाहते हैं।

जो खालिस्तान के नाम पर देश में अशांति फैलाने में सक्रिय रहे हैं, जो जेएनयू में कुख्यात आतंकवादी अफजल के समर्थन में निकाले गए जुलूस में थे। पिछले ‘किसान’ आंदोलन के समर्थन में कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में निकाली गईं रैलियों के आयोजकों में कौन थे, यह भी किसी से छिपा नहीं है। इसलिए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस आंदोलन में भी पर्दे के पीछे वही आंदोलनजीवी हैं, जो पिछली बार थे। 

भारत ने अपनी प्रगति का एक अति महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विश्व की सर्वश्रेष्ठ आर्थिक शक्ति बनाने का संकल्प व्यक्त किया है। यह असंभव भी नहीं है। आज दुनिया के अधिकांश देश आर्थिक मंदी के दौर में हैं। भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, वहीं भारत में आर्थिक स्थिरता और प्रगति की रफ्तार बढ़ी है। यह तथ्य संसार की उन सभी शक्तियों की नींद उड़ाने वाला है जो भारत की प्रगति से ईर्ष्या करते हैं। इसलिए वे दोनों दिशाओं में षड्यंत्र कर सकती हैं। भारत का सामाजिक वातावरण बिगाड़ने की दिशा में भी और अराजकता पैदा कर प्रगति की गति अवरुद्ध करने की दिशा में भी।
अयोध्या में रामलला के अपने भव्य मंदिरा में विराजमान होने से पूरे देश में एक विशेष सांस्कृतिक सद्भाव का वातावरण बना है। यह सद्भाव भारत के भावी लक्ष्य पूर्ति के लिए आवश्यक भी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम बता रहे हैं कि कोई है जो भारत में अराजक वातावरण बनाना चाहता है। इसी दृष्टि से हल्द्वानी और बरेली में कुछ घटनाएं घटीं। इसके तुरंत बाद अब यह ‘किसान’ आंदोलन आरंभ हुआ।

इस आंदोलन की तैयारी भी असाधारण है। आंदोलन में आने वाले ट्रैक्टरों पर भोजन बनाने का सामान लदा है, कुछ में टेन्ट, बिस्तर, कुर्सी, टेबल आदि हैं। कुछ ट्रैक्टरों में दीवार हटाने का ब्लेड लगा है। चालक के आगे शीशे की ऐसी पारदर्शी चादर लगी है, जो उसको आंसू गैस से बचाती है। ऐसी योजना बनाने वाले योजनाकार क्या साधारण किसान होंगे? ये प्रश्न भी उठ रहे हैं।

अपनी मांगों के प्रति सरकार का ध्यानाकर्षितकरना एक बात है, लेकिन व्यवस्था का विध्वंस करना बिल्कुल दूसरी बात। देशवासी ‘किसान’ आंदोलन की यह शैली दो वर्ष पहले देख चुके हैं। उस आंदोलन में वे चेहरे भी प्रमुखता से देखे गए थे जो खालिस्तान के नाम पर देश में अशांति फैलाने में सक्रिय रहे हैं, जो जेएनयू में कुख्यात आतंकवादी अफजल के समर्थन में निकाले गए जुलूस में थे। पिछले ‘किसान’ आंदोलन के समर्थन में कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में निकाली गईं रैलियों के आयोजकों में कौन थे, यह भी किसी से छिपा नहीं है। इसलिए इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस आंदोलन में भी पर्दे के पीछे वही आंदोलनजीवी हैं, जो पिछली बार थे।

Topics: पाञ्चजन्य विशेषसांस्कृतिक सद्भावNarendra Modiसिंघू बार्डरप्रधानमंत्रीPrime ministerनरेंद्र मोदीकिसान आंदोलनकिसान संगठनFarmers Organization
Share29TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

उत्तराखंड बना वेडिंग हब! : जहां हुआ शिव-पार्वती विवाह वहां पर संपन्न हुए 500+ विवाह, कई विदेशी जोड़ों पसंदीदा डेस्टिनेशन

‘जिन्ह मोहि मारा, ते मैं मारे’ : ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजनाथ सिंह ने कहा- नैतिकता बरकरार रखते हुए भारत ने आतंक को मारा

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

भारत में जो इन पिताओं ने बोला, उसकी गूंज हर पाकिस्‍तानी को सुनाई देनी चाहिए

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

उत्तराखंड : केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले सीएम धामी, सड़कों के लिए बजट देने का किया आग्रह

हरिद्वार में धामी सरकार एक्शन जारी, आज दो और अवैध मदरसे सील, अब तक 215 मदरसों पर लगे ताले

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies