उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के बनभूलपुरा में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में अब नैनीताल की डीएम वंदना सिंह सोशल मीडिया एक्स पर ट्रेंड हो रही हैं। इस्लामिक कट्टरपंथी अब उन्हें सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्रेंड करा रहे हैं। उनके खिलाफ हैश टैग ‘अरेस्ट वंदना सिंह’ करके ट्रोल किया जा रहा है। उन्हें संघी विचारधारा का बताया जा रहा है। खास बात ये है कि सोशल मीडिया पर ट्रेंड कराने वालों को देखें तो इसमें अधिकतर इस्लामिक कट्टरपंथी शामिल हैं।
ऐसी ही कट्टरपंथी मानसिकता से सने लोगों ने अतिक्रमण को किनारे रख दिल्ली प्रेस क्लब में वंदना सिंह के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस की। ऐसे लोग जो कभी हल्द्वानी बनभूलपुरा कभी गए नहीं, वहां से मिले एक वीडियो के आधार पर वो वंदना सिंह के खिलाफ माहौल बनाते देखे गए। ये वही गिरोह है जो बीजेपी सरकारों के खिलाफ एक्स पर खिलाफत करते रहे हैं।
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दरअसल, आईएएस वंदना सिंह हल्द्वानी बनभूलपुरा मामले में सख्त रुख की वजह से चर्चा में आई हैं। उन्होंने क्षेत्र के सबसे बड़े भू माफिया हाजी अब्दुल मलिक के खिलाफ अभियान छेड़ा है, जिसने करोड़ों की सरकारी नजूल भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करके वहां अवैध रूप से मदरसा और नमाज़स्थल बना दिया था। इसी की आड़ में वो जमीन को खुर्द बुर्द कर था था। अब्दुल मलिक का आपराधिक इतिहास रहा है, पहले भी उस पर रासुका लगी थी और हत्या अपहरण डकैती जैसे मामले दर्ज है।
क्षेत्र में दबदबा रखता है अब्दुल मलिक
अब्दुल मलिक का क्षेत्र में ऐसा दबदबा है कि दो साल पहले इसी अवैध कब्जे वाले स्थल पर बने अतिक्रमण को कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने गिरवा दिया था। उस दौरान भी विरोध हुआ किंतु पुलिस ने इस विरोध को दबा दिया और बाद में बलवा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि, किसी की गिरफ्तारी आज तक उस मामले में नही हुई। बावजूद इसके डीएम वंदना सिंह ने आते ही अतिक्रमण करने वालो को चिन्हित करके उनसे सरकारी जमीन खाली करवानी शुरू की, उन्होंने जैम फैक्ट्री, नजाकत का बगीचा भी अतिक्रमण मुक्त करवाया और जब मलिक के बगीचे का नंबर आया तो उसे भी खाली करवा कर दम लिया। हल्द्वानी बनभूलपुरा में जो हिंसा हुई और जिस तरह से पुलिस की महिला सिपाहियों के साथ, हिंदू पत्रकारों के साथ जिहादियों ने बदसलूकी की, उसकी निंदा करने के बजाय मुस्लिम कट्टरपंथी अब्दुल मलिक का साथ देते नजर आए।
वंदना सिंह के खिलाफत में एक वीडियो मौलवी काजी का दिखाया जा रहा है कि डीएम साहिबा कह रही है, हिंसा के समय मौलवियों के फोन क्यों बंद थे? इस पर मौलवी साहब कह रहे है कि फोन बंद नहीं थे। मौलवी साहब से जब ये पूछा गया कि जब हिंसा हो रही थी तब आप कहां थे, आपने महिला पुलिस कर्मियों को बचाने के लिए क्या प्रयास किया? तो इस पर वो खामोश हो जाते है और फिर कहते हैं डीएम साहिबा ने हमे जलील किया। मीटिंग से चली गई।
हल्द्वानी हिंसा का मोस्ट वांटेड अब्दुल मलिक ही हल्द्वानी रेलवे मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेकर गया था और उसे इसी बात का डर था कि सरकार उसकी कब्जाई जमीनों को अपने कब्जे में न लेले। डीएम वंदना सिंह ने पूरी तैयारी के साथ दस्तवेजों के साक्ष्यों के आधार पर भू माफिया अब्दुल मलिक और उसके गैंग पर हाथ डाला, अब्दुल मलिक ने अपनी जमीनों को बचाने के लिए मुस्लिम जिहादियों का इस्तेमाल किया, देवबंद के रहनुमाओं का इस्तेमाल किया और समाज में ये फैलाने की कोशिश की है कि बीजेपी सरकार और जिला प्रशासन मुस्लिमों के खिलाफ काम कर रहा है। जबकि हकीकत ये है कि शासन प्रशासन सरकार एक भू माफिया के खिलाफ कारवाई कर रही थी।
वंदना सिंह के कड़े तेवर ही है कि इतने बड़े भू माफिया और असरदार आरोपी व्यक्ति के घर की कुर्की हो गई उसके घरों के दरवाजे निकाल कर प्रशासन के लोग ले गए, हल्द्वानी लाइन न आठ के अलावा अब्दुल मलिक की जहां जहां संपत्तियां है उन्हे ढूंढ-ढूंढ के कुर्क किया जा रहा है। इस में कोई दो राय नहीं नैनीताल की डीएम वंदना सिंह एक सख्त प्रशासक की भूमिका में है और वो किसी की सिफारिश नहीं सुनने की आदि रही है और अतिक्रमण मामले में भी उन्होंने किसी की नही सुनी, बहुत से राजनीतिक सामाजिक दबाव उन पर आते भी रहे, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि वो सरकार की नीतियों का पालन कर रही है।
डीएम वंदना सिंह ने बताया कि अब्दुल मलिक द्वारा हल्द्वानी में फैलाई गई हिंसा का साक्ष्यो के साथ कोर्ट में पक्ष रखा जाएगा और इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तैयारी कर चुका है। बहरहाल वंदना सिंह जेहादियों के निशाने पर है और वो दुर्गा की भांति इस युद्ध के मैदान में डटी हुई है।
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