पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप गए थे जिसे लेकर मालदीव के तीन मंत्रियों ने मोदी का मजाक उड़ाया था। उसका असर ये हुआ कि सागरतट देखने मालदीव जाने वाले भारत के पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करके लक्षद्वीप को पहली पसंद बना लिया। इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को अतनी गहरी चपत लगी है कि अब वह दीवालिया हो गया है। वहां की कट्टर मुस्लिम भारत विरोधी मुइज्जू सरकार ने खुद को दीवालिया घोषित कर दिया है।
बीते 48 घंटे मालदीव के लिए एक सबक की तरह रहे होंगे। मालदीव की पर्यटन पर टिकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा भारतीय पर्यटकों से होने वाली कमाई पर टिका था। लेकिन अपने प्रधानमंत्री मोदी के अपमान किए जाने से क्रोधित भारतीय पर्यटकों ने मालदीव जाने से ऐसी कन्नी काटी कि उसने अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सामने खुद को दीवालिया घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, उसने आईएमएफ के सामने बेलआउट पैकेज देने की गुहार की है जिससे देश का खर्च चल सके।
अर्थविशेषज्ञों मालदीव की अर्थव्यवस्था के इतनी जल्दी घुटनों पर आने से हैरान हैं। उन्होंने और मालदीव के विपक्ष ने वहां की सरकार को पहले ही चेताया था कि भारत से माफी मांग ले तो बात संभल सकती है, लेकिन चीन के पिछलग्गू मालदीव ने शायद उस बात की गंभीरता नहीं पहचानी और आज वह उसका दुष्परिणाम भुगतने को मजबूर हुआ है।
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को शायद प्रधानमंत्री मोदी की तेजी से बढ़ती वैश्विक साख का अंदाजा नहीं है, इसीलिए वे अपनी पहली आधिकारिक यात्रा में पारंपरिक रूप से भारत न आकर अपने आका चीन को खुश करने के लिए पांच के बीजिंग दौरे पर गए थे। वहां उन्होंने भारत से पर्यटन को हुए नुकसान की भरपाई के लिए चीन से पर्यटक भेजने की अपील की थी। लेकिन लगता नहीं कि चीन ने उनके अनुरोध पर कोई बहुत ज्यादा गौर किया है।
राष्ट्रपति मुइज्जू की अकड़ की वजह से भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास बढ़ती गई। तिस पर उन्होंने संभवत: चीन के इशारे पर मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी को भी एक बड़ा मुद्दा बनाए रखा था। इससे भी संबंध खराब होते गए। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू की छवि चीनी पिछलग्गू की है ही इसलिए भी भारतीयों ने मालदीव से ज्यादा लक्षद्वीप के सागरतटों को अपनी पहली पसंद बनाया।
मालदीव के जिन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अपमानजनक बयानबाजी की थी, हालांकि वहां की सरकार ने उन्हें पद से जरूर हटा दिया, लेकिन सरकार के स्तर पर भारत से इसके लिए खेद नहीं प्रकट किया। विशेषज्ञों का अंदाजा है कि मोदी को हल्के में लेने की वजह से ही मालदीव कंगाली के कगार पर पहुंचता गया है।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने द्वीपीय देश मालदीव को बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने की चेतावनी दी थी। लेकिन मालदीव कर्जा क्या चुकाता क्योंकि कमाई होनी तो बंद हो गई है। इसलिए अब खबर यह है कि मालदीव ने आईएमएफ को बताया है कि वह दीवालिया हो चुका है, कर्ज नहीं चुका सकता।
सोशल मीडिया पर मालदीव के दीवालिया होने की चर्चा है। ट्विटर हैंडल फ्रंटलफोर्स ने एक खबर साझा कि जिसमें कहा गया है कि आईएमएफ के सामने मालदीव ने अपने को दीवालिया बताया है। इतना ही नहीं, उस देश ने आईएमएफ के सामने हाथ भी पसारे हैं कि बेलआउट पैकेज यानी मुसीबत से उबारने को कुछ पैसे देने की गुहार लगाई है।
सोशल मीडिया पर मालदीव के दीवालिया होने की चर्चा है। ट्विटर हैंडल फ्रंटलफोर्स ने एक खबर साझा कि जिसमें कहा गया है कि आईएमएफ के सामने मालदीव ने अपने को दीवालिया बताया है। इतना ही नहीं, उस देश ने आईएमएफ के सामने हाथ भी पसारे हैं कि बेलआउट पैकेज यानी मुसीबत से उबारने को कुछ पैसे देने की गुहार लगाई है।
हालांकि मालदीव के आर्थिक मामलों के मंत्री मोहम्मद सईद ने दीवालिया होने के समाचारों को फर्जी बताया है। मंत्री सईद ने कहा है कि मालदीव की आर्थिक सेहत सुधर रही है और अंदाजे से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है।
सईद को कहना है कि मुइज्जू सरकार ने तो एक आर्थिक सुधार कार्यक्रम को शुरू करने के लिए आईएमएफ से आर्थिक मदद की अपील की है। इससे उनके देश की आर्थिक परेशानी दूर होने की उम्मीद है। सईद ने तो कहा है कि कुछ गुट देशवरिोधी बातें फैला रहे हैं जिससे लोगों का सरकार से भरोसा उठ जाए।
अभी हाल तक भारत से लाखों पर्यटक मालदीव जाया करते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गई है इसलिए इतना तो तय है कि मालदीव की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। मंत्री सईद इसे भले न स्वीकारें लेकिन इस बात में कोई संशय नहीं है कि उनके देश की एक तिहाई से ज्यादा कमाई भारत के पर्यटकों से होती थी, जो अब रुक गई है।
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