उत्तर प्रदेश में किसानों को फर्टिलाइजर के लिए सड़क पर रात नहीं गुजारनी पड़ती है। फर्टिलाइजर के स्टाक की समीक्षा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही स्वयं करते हैं। वर्ष 2017 से सूर्य प्रताप शाही, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री हैं। उनके कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या अब बीते दिनों की बात हो चुकी है। किसान सम्मान निधि योजना, सौर ऊर्जा के लिए योजना, तालाब के लिए योजना, ऊसर भूमि सुधार के लिए योजना, फसल बीमा योजना समेत कई योजनाएं धरातल पर उतर चुकी हैं। कृषि की तस्वीर बदल रही है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि किसान की आय में वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश गन्ना, सब्जी, गेहूं, अमरूद, आम एवं आंवला के उत्पादन में पहले स्थान पर पहुंच चुका है। हरी मिर्च, हरी सब्जी, मटर, लौकी एवं बैगन बड़ी मात्रा में निर्यात हो रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में लखनऊ में कृषि विभाग, कृषि कुम्भ का आयोजन करने वाला है। पांचजन्य के ब्यूरो प्रमुख सुनील राय ने कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश :–
प्रश्न: भारत की पहल पर जिस तरह पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जाता है। ठीक उसी प्रकार भारत की पहल पर मोटा अनाज पूरी दुनिया में प्रयोग में लाया जा रहा है। इस को लेकर आगे क्या योजना है?
उत्तर: मोटा अनाज भारत की पहल पर पूरी दुनिया में प्रयोग में लाया जा रहा है। मोटा अनाज के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार 186 करोड़ रूपये खर्च करने जा रही है। इस दौरान मुफ्त में इसका बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रोसेसिंग के लिए 20 कृषि विज्ञान केन्द्रों और अन्य विश्वविद्यालयों को अनुदान दिया जा रहा है। सरकार इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग भी करेगी। प्रदेश के सभी जनपदों में यह योजना चलाई जा रही है और धरातल पर इसका व्यापक असर दिखाई दे रहा है।
प्रश्न: ऐसा देखने में आया है कि कृषि वही लोग करते रहे हैं जो कम-पढ़े लिखे होते हैं। खेती में युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए प्रदेश सरकार क्या कर रही है ?
उत्तर: उत्तर प्रदेश सरकार कृषि स्नातक (बी एस सी – कृषि) युवाओं को रोजगार देने के लिए खाद्य और बीज लाइसेंस देकर उनका स्वयं का व्यापार शुरू करा रही है। इस योजना को वन शाप – वन स्टाप का नाम दिया गया है।व्यापार शुरू करने के लिए प्रदेश सरकार 75 हजार रुपये का अनुदान दे रही है। इस योजना से शिक्षित बेरोजगारों का पलायन रूका है और कृषि के क्षेत्र में पढ़े – लिखे युवाओं का रूझान बढ़ा है।
प्रश्न: एक समय ऐसा भी था कि किसानों को फर्टिलाइजर के लिए लम्बी कतार में कई दिन तक का इन्तजार करना पड़ता था। यहां तक कि पुलिस की लाठी तक झेलनी पड़ती थी। आज क्या स्थिति है?
उत्तर: पहले के समय में किसानों को फर्टिलाइजर के लिए कतार में लगना पड़ता था। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि कतार इतनी लम्बी होती चली गई की किसानों को सड़क पर रात पर गुजारनी पड़ी। अत्यधिक भीड़ बढ़ जाने के बाद पुलिस ने खाद लेने आये किसानों पर लाठी चार्ज भी किया था। इस प्रकार की घटनाएं उन दिनों अखबारों की सुर्ख़ियों में हुआ करती थीं। योगी जी की सरकार में प्रदेश में किसी भी स्थान पर फर्टिलाइजर को लेकर कोई दिक्कत नहीं हुई है। मैं पदभार ग्रहण करने के दिन से लगातार प्रदेश में फर्टिलाइजर की स्थिति को लेकर लगातार समीक्षा कर रहा हूं। फर्टिलाइजर हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
प्रश्न: बुदेलखंड में अन्ना प्रथा ( दूध न देने वाली गायों को सड़क पर खुला छोड़ देना) के कारण किसानों ने खेती करना ही कम कर दिया था, क्योंकि अन्ना प्रथा की गायें फसल को चट कर जा रही थीं। अब वर्तमान स्थिति में क्या बदलाव आया है?
उत्तर: बुन्देलखण्ड में इस समस्या से निपटने के लिए हमने गो आधारित खेती को ही बढ़ावा दिया है। नमामि गंगे के माध्यम से 27 जनपदों में ऑर्गेनिक खेती का कार्य प्रगति पर है। बुन्देलखण्ड के सात जनपदों में गो आधारित खेती पर 68 करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं। बुंदेलखंड में कृषि की तस्वीर तेजी से बदल रही है। वहां पर योगी जी की सरकार ने पानी की किल्लत को दूर किया है। अब खेती के लिए पानी भी उपलब्ध है और अन्ना प्रथा पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है।
प्रश्न: खेती में पानी की किल्लत की बात चली है तो यह बताएं कि पूरे प्रदेश में भूजल के स्तर को लेकर बार बार चिंता व्यक्त की जाती रही है। कुछ जगहों पर तो केले की खेती से के कारण भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरा है?
उत्तर: खेती में कम से कम पानी के प्रयोग के लिए योगी जी की सरकार कई प्रयास कर रही है। वन ड्राप-मोर क्राप से काफी लाभ हुआ है। इसके साथ ही प्रदेश में ‘एक खेत -एक तालाब योजना’ के अंतर्गत किसानों ने बेहद दिलचस्पी दिखाई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों के खेत में तालाब का निर्माण किया जाता है। इस योजना में प्रदेश सरकार अनुदान दे रही है। इस वर्ष 5 हजार 5 सौ तालाब के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से प्रदेश के भूजल स्तर का लगातार सुधार हो रहा है। बुंदेलखंड जहां पानी की किल्लत रहा करती थी। वहां पर यह योजना बहुत कारगर साबित हुई है। परम्परागत खेती से हटकर जो लोग सब्जी आदि उगा रहे हैं। जो मछली पालन करना चाहते हैं। उनके लिए भी यह योजना बेहद उपयोगी साबित हो रही है।
प्रश्न: प्रदेश में तेजी से औद्योगीकरण हो रहा है। शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में लगातार कृषि भूमि घट रही है? इस असंतुलन को कैसे ठीक करेंगे?
उत्तर: ऊसर और बंजर भूमि को ठीक करके उसे उपजाऊ बनाने के लिए प्रदेश में दीन दयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना चलाई जा रही है। गत 5 वर्षों में 500 करोड़ रूपये खर्च किये गए हैं। इस दौरान एक लाख हेक्टेयर भूमि को सुधार कर उसे उपजाऊ बनाया गया है। इस बार 1 लाख 10 हजार हेक्टेयर ऊसर एवं बंजर भूमि को सुधारने का लक्ष्य रखा गया है। इस पर 602 करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है।
प्रश्न: आर्थिक दबाव में आकर किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या अब एकदम बंद हो गई है। इसके लिए आपकी सरकार ने क्या कदम उठाये हैं?
उत्तर: किसानों की आत्महत्या अब बंद हुई है। जब इस प्रकार की घटनाएं बहुतायत में हो रही थी। उस समय की सरकारों का इनपुट और आउटपुट बहुत कमजोर था। फसल क्षति को लेकर उस समय की सरकारों ने कोई नीति ही नहीं बनाई थी। वर्ष 2002 से 2012 तक बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या करने पर विवश हुए थे। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार बनने पर हम लोग किसानों को आर्थिक दबाव से मुक्त करेंगे। उत्तर प्रदेश में सरकार बनते ही योगी सरकार की कैबिनेट का जो पहला निर्णय था वह निर्णय ऋण माफी का था। 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया गया था।
इस निर्णय को समय से क्रियान्वित भी किया गया। प्रदेश में जब भाजपा की सरकार बनी थी तब रबी की फसल (गेंहू, आलू, मटर, चना, अलसी, सरसों और जौं ) का मौसम था। उस समय सरकार ने 50 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के सापेक्ष योगी जी की सरकार ने 37 लाख मैट्रिक टन खरीद का लक्ष्य हासिल किया था। योगी जी की सरकार ने अभी तक की रिकॉर्ड खरीददारी की है। पिछले 6 वर्षों के भीतर 5.68 लाख मैट्रिक टन गेहूं और धान की खरीददारी की गई है। 1 करोड़ से अधिक किसानों से गेंहू और धान की खरीद की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 लाख 4 हजार 770 करोड़ रूपये की धनराशि का भुगतान किसानों को किया है। जबकि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच 2.17 लाख मैट्रिक टन की खरीद की गई थी और इस खरीद के बदले में लगभग 29 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किसानों को किया गया था। इस प्रकार आप देख सकते हैं कि योगी जी की सरकार ने सपा के शासनकाल की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा खरीद की गई है और किसानों को जो भुगतान प्राप्त हुआ वह भी तीन गुना से अधिक है।
प्रश्न: बीते दिनों एमएसपी एक बड़ा ही विवादित विषय रहा, ऐसा आरोप लगाया गया कि एमएसपी नहीं बढ़ाई जा रही है ?
उत्तर: यह बहुत अच्छा सवाल किया आपने। दरअसल, वर्ष 1968- 89 में जो एमएसपी तय की गई थी। उसको बढ़ाने की गति बहुत धीमी रही। इसकी वजह से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। योगी जी की सरकार के पहले प्रदेश में केवल धान और गेहूं की खरीद की जाती थी। अब प्रदेश सरकार धान, गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का, उड़द, मूंगफली, चना, मसूर और सरसों आदि भी खरीद रही है। वर्ष 2014 – 15 में 1360 रुपये धान की एमएसपी थी। वर्ष 2022 – 23 में 2183 रुपये की दर से खरीद की जा रही है। गेहूं की एमएसपी 1460 रूपये थी। इस वर्ष 2125 रुपये की दर से खरीद की गई है। दलहन और तिलहन की फसलों पर भी एमएसपी बढ़ाई गई है। बाजरा की एमएसपी 1250 रुपये थी। उसकी एमएसपी 2500 रूपये कर दी गई है। वर्ष 2023 – 24 में 46 हजार मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा गया है।
प्रश्न: तिलहन की फसलों के उत्पाद को विदेशों से आयात न करना पड़े, इस दिशा में कहां तक प्रगति हुई है?
उत्तर: तिलहन की फसलों का आयात अभी भी विदेशों से करना पड़ रहा है। वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने तिलहन की फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिये कहा था। प्रदेश में हम लोग लगातार तिलहन की फसलों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। तिलहन की फसलों को प्रदेश सरकार खरीद रही है। हमारा प्रयास है कि आने वाले दिनों में तिलहन की फसलों से सम्बंधित उत्पाद को आयात न करना पड़े। इसके साथ ही सघन सहकारी समितियों को जीवंत किया गया है।
इसमें 30 हजारों किसानों ने नई सदस्यता ली है। इससे 75 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। पहले जहां 4 हजार वितरण केंद्र थे अब 6 हजार वितरण केंद्र कार्य कर रहे हैं। 44 उत्पादों पर मंडी शुल्क पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य उत्पादों पर एक फीसदी मंडी शुल्क ही लिया जा रहा है। प्रोसेसिंग यूनिट पर मंडी शुल्क देना पड़ता था। अब उस मंडी शुल्क को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
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