Haldwani Banbhulpura violence: हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की संपत्ति के कुर्की के आदेश जारी हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक 2 साल पहले रेलवे भूमि प्रकरण के दौरान हुए आंदोलन और ताजा हिंसक घटनाओं के पीछे एक ही व्यक्ति अब्दुल मलिक की संलिप्तता सामने आ रही है।
हल्द्वानी रेलवे जमीन और मलिक बगीचे मामले में समानता
हल्द्वानी बनभूलपुरा मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद वर्चुअल हाजिर होते हैं। सलमान खुर्शीद हल्द्वानी हिंसक घटना के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक (Abdul Malik) के बेहद करीबी माने जाते हैं। उनका एक-दूसरे के घर आना-जाना है। जब भी सलमान खुर्शीद अपने रामगढ़ आवास में आए तो रास्ते में हल्द्वानी में अब्दुल मलिक के घर रुकते रहे हैं।
सलमान खुर्शीद ने ही सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे जमीन मामले में कब्जेदारो को स्टे की राहत दिलाई और यह मामला 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुना जाना है। सुप्रीम कोर्ट में रेलवे मामला जाने से हाई कोर्ट ने उक्त भूमि पर अतिक्रमण माना जिस पर कई वर्षों तक लंबी बहस हो चुकी है। हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई होने से पहले बनभूलपुरा में कई दिनों तक महिलाओं और बच्चो को आगे करके प्रदर्शन हुए। इन आंदोलनों के पीछे एक ही मास्टरमाइंड काम करता रहा और वह था अब्दुल मलिक। इन प्रदर्शनों को देश-विदेश की मीडिया तक पहुंचाने में भी उसका हाथ रहा। वह कई बार दिल्ली के बड़े मीडिया चैनल्स में डिबेट में भी हिस्सा लेता रहा है। वहां भी वह अपनी कब्जाई जमीनों की बात करता रहा, जिस पर वह आज भी दावा करता है कि ये उसकी है। जबकि उक्त मलिक के बगीचे की हकीकत या सच्चाई नैनीताल प्रशासन ने सामने लाते हुए इस पर अपना कब्जा कर लिया है और हिंसा, आगजनी, कर्फ्यू के बीच वहां पुलिस चौकी भी स्थापित कर दी है।
देवबंदी उलेमाओं का साथ मिला
अब्दुल मलिक देवबंदी है, लिहाजा उसे यहां के देवबंदी उलेमाओ का भी साथ मिला। अब्दुल मलिक की पहुंच जमीयत के बड़े नेताओं तक रही है। मस्जिद के उलेमाओं के जरिए रेलवे मामले में आंदोलन करवाने के बाद उसने मलिक के बगीचे को लेकर योजना बनाई। पुलिस-प्रशासन अब मलिक और देवबंदी उलेमाओं के कनेक्शन की भी पड़ताल करने में लगी हुई है।
इसी विवादित स्थान पर पहले भी अब्दुल मलिक ने दुकानें बना दी थीं, जिसे कुमायूं कमिश्नर दीपक रावत और डीआईजी नीलेश भरणे ने भारी फोर्स लगा कर ध्वस्त कर दिया था। एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन ये मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब यह फाइल भी खुल गई है और हल्द्वानी हिंसा मामले की मजिस्ट्रेट जांच कुमायूं आयुक्त दीपक रावत को सौंप दी गई है।
बताया जाता है कि इस जमीन के मामले में अब्दुल मलिक ने मृतक नबी रजा और उसकी पत्नी के नाम से कई फर्जी दस्तावेज बनाए हुए थे जिन्हे जिला प्रशासन ने आगे हाई कोर्ट में रखने की तैयारी कर ली है।
जनवरी में लिखी जाने लगी हल्द्वानी हिंसा की पटकथा
खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि देवबंदी उलेमाओं को आगे करके भूमाफिया अब्दुल मलिक ने 23 जनवरी को एक दुआ सभा का आयोजन कराया था। इसकी वजह यह थी कि 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में रेलवे जमीन मामले में तारीख लगी थी। सभा में बेहद आपत्तिजनक भाषण दिए गए और लोगों को संघर्ष के लिए तैयार रहनें को कहा गया। यहां भी महिलाओं और बच्चों को आगे रखने की योजना पर काम किया गया और इसके वीडियो मीडिया में, सोशल मीडिया में जारी किए गए। इसके पीछे उद्देश्य यही था कि जिला प्रशासन भयग्रस्त रहे। 24 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई क्योंकि इस केस के न्यायमूर्ति एक अन्य याचिका में संयुक्त बेंच में बैठे थे। इस तारीख के बाद जिला प्रशासन ने सबसे पहले उन अतिक्रमण को हटाने की योजना बनाई जोकि सुप्रीम कोर्ट रेलवे जमीन मामले से अलग थे।
हल्द्वानी ही नहीं, जिला नैनीताल, विभिन्न शहरों कस्बों में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का अभियान पिछली 5 मई से चल रहा है। अभी तक साढ़े तीन हजार एकड़ सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाया जा चुका है और 525 मजारें, 28 मंदिर, 8 अवैध मदरसे भी हटाए गए हैं। जिसका कहीं विरोध नहीं हुआ। हल्द्वानी में होली ग्राउंड और कई अन्य धार्मिक स्थल रोड चौड़ी करने की योजना में हटाए गए, कहीं विरोध नहीं हुआ। लेकिन बनभूलपुरा में विरोध इसलिए हुआ क्योंकि भूमाफिया अब्दुल मलिक द्वारा कब्जाई गई सरकारी भूमि की कीमत इस वक्त करीब 100 करोड़ रुपये थी जोकि उसके हाथ से निकल गई।
जिला प्रशासन की योजना
हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस प्रशासन ने जो अतिक्रमण हटाने की रणनीति अपनाई उस पर कई लोगों ने सवाल उठाए, जबकि डीएम और एसएसपी ने बताया कि विवादित तीन एकड़ भूमि पर हमने कब्जा 29 जनवरी को ले लिया था। उस वक्त अब्दुल मलिक भी वहां मौजूद था, हमने कथित नमाज स्थल और मदरसे को ये कहकर छोड़ दिया था कि उसे स्वयं हटा लें। उसके बाद नोटिस चस्पा करने और उसे सील किए जाने की भी कार्रवाई की गई। उक्त मदरसे का कहीं कोई पंजीकरण नही था और न यहां जुमे की नमाज पढ़ी जाती थी, ये यहां इसलिए बनाया गया था ताकि मलिक इसकी आड़ लेकर उक्त जमीन को खुर्दबुर्द कर सके।
प्रशासन के उच्च अधिकारियों का कहना था कि 8 फरवरी को सब काम पूरा हो गया था। अब्दुल मलिक की रणनीति महिलाओं और बच्चों को आगे कर ढाल बनाने की रहती आई है। दूसरा सुबह इसलिए कार्रवाई नहीं की क्योंकि वहां से ट्रेन गुजरने का समय होता है। इन दोनों से बचने के लिए हमने दोपहर का समय चुना। जिला प्रशासन के अधिकारियो का कहना था कि जब हमने कथित मस्जिद-मदरसा सील किया तब अगले दिन भी उसी मैदान में महिलाओ को बिठाकर अवैध कब्जे की सील खोलने की मांग की गई। इसके बाद वहां फोर्स तैनात हुई। बहरहाल हल्द्वानी बनभूलपुरा मामले में भू माफिया, हिस्ट्रीशीटर अब्दुल मलिक की भूमिका को जिला प्रशासन ने चिन्हित कर लिया है।उसकी कुर्की के वारंट जारी हो चुके है। पुलिस की छह टीमें अब्दुल मलिक सहित 9 आरोपियों की तलाश कर रही हैं।
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