फिर जीती हिंदू आस्था!
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

फिर जीती हिंदू आस्था!

महाभारतकालीन गांव वारणावत (अब बरनावा) स्थित लाक्षागृह पर जमीन जिहाद के जरिए हुआ था कब्जा। 53 वर्ष बाद न्यायालय ने माना कि इस पर हिंदुओं का अधिकार

by अनुरोध भारद्वाज
Feb 15, 2024, 07:49 am IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तर प्रदेश
वारणावत में लाक्षागृह के पुरावशेष

वारणावत में लाक्षागृह के पुरावशेष

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

देश में हिंदू आस्था केंद्रों पर हमले, तोड़फोड़ और मस्जिद-मजारों के अवैध निर्माण को लेकर कट्टरपंथी मुस्लिमों का झूठ फिर साबित हुआ है। कानून की कसौटी पर मुस्लिम पक्ष को बागपत लाक्षागृह मामले में भी हार का मुंह देखना पड़ा है। 53 वर्ष के दौरान 5,000 तारीखों तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने बरनावा (वारणावत), बागपत में महाभारतकालीन लाक्षागृह का स्वामित्व हिंदू पक्ष को सौंप दिया है।

अयोध्या और काशी के बाद बागपत से हिंदू आस्था की विजय का शुभ समाचार आया है। देश में हिंदू आस्था केंद्रों पर हमले, तोड़फोड़ और मस्जिद-मजारों के अवैध निर्माण को लेकर कट्टरपंथी मुस्लिमों का झूठ फिर साबित हुआ है। कानून की कसौटी पर मुस्लिम पक्ष को बागपत लाक्षागृह मामले में भी हार का मुंह देखना पड़ा है। 53 वर्ष के दौरान 5,000 तारीखों तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय ने बरनावा (वारणावत), बागपत में महाभारतकालीन लाक्षागृह का स्वामित्व हिंदू पक्ष को सौंप दिया है।

1970 से जारी मुकदमे में जैसे ही सिविल न्यायाधीश शिवम द्विवेदी ने फैसला सुनाया तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्या, पूरे देश में सनातनी खुशी से झूम उठे। बता दें कि हिंदू आस्था केंद्रों पर अतिक्रमण के गहरे षड्यंत्र के साथ बरनावा के रहने वाले मुकीम खान ने खुद को वक्फ बोर्ड का पदाधिकारी बताते हुए लाक्षागृह मामले में केस दर्ज कराया था। इसके जवाब में एक स्थानीय गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज ने हिंदू समाज की ओर से मोर्चा संभाला और अकाट्य प्रमाणों के साथ मुकदमे में पैरवी शुरू की थी।

‘‘आधी सदी से भी अधिक समय तक चली सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के 10 से अधिक पैरोकारों की मौत हो गई थी। कृष्णदत्त महाराज का स्वर्गवास हो गया। मुस्लिम पक्ष के पैरोकार मुकीम खान भी दुनिया छोड़ गए। अगस्त, 2023 के बाद से मुकदमे में तेजी से सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान सात गवाह प्रस्तुत हुए। इनमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी की गवाही भी शामिल रही। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया। यह हिंदू पक्ष की बड़ी जीत है। जमीन लाक्षागृह की ही है।’’ – वकील रणबीर सिंह तोमर 

मुस्लिम पक्ष ने लाक्षागृह की जमीन पर वक्फ बोर्ड का मालिकाना अधिकार बताया था, वहां शेख बदरुद्दीन की मजार और कब्रिस्तान होने की बात कही थी। शुरुआत में मुकदमा मेरठ के सरधना न्यायालय में चला और वहां से बागपत न्यायालय पहुंचा। बागपत के साथ ही मेरठ और मुजफ्फरनगर के लोग मुकदमे में गवाह बने थे। इसके बाद फैसले की घड़ी आई और हिंदू पक्ष को न्यायालय में ऐतिहासिक विजय प्राप्त हुई।

हिंदू पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले वकील रणबीर सिंह तोमर ने बताया, ‘‘आधी सदी से भी अधिक समय तक चली सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के 10 से अधिक पैरोकारों की मौत हो गई थी। कृष्णदत्त महाराज का स्वर्गवास हो गया। मुस्लिम पक्ष के पैरोकार मुकीम खान भी दुनिया छोड़ गए। अगस्त, 2023 के बाद से मुकदमे में तेजी से सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान सात गवाह प्रस्तुत हुए। इनमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी की गवाही भी शामिल रही। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज कर दिया। यह हिंदू पक्ष की बड़ी जीत है। जमीन लाक्षागृह की ही है।’’

सच तो यह है कि लाक्षागृह मामले में मुस्लिम पक्ष की हार से फिर यह बात साबित हो गई है कि मुगल आक्रमणकारियों ने हिंदू आस्था केंद्रों पर लगातार हमले किए थे और वहां अतिक्रमण कर मस्जिद-मजारें बनाने के गहरे षड्यंत्र किए। लाक्षागृह भूमि के स्वामित्व का अधिकार हिंदू पक्ष को मिलने पर संस्कृत महाविद्यालय, लाक्षागृह के सभी आचार्यों व ब्रह्मचारियों ने मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाईं।

महाभारत काल से मिली पहचान

बरनावा स्थित यह वही भूमि है, जहां महाभारत काल में कौरवों ने लाक्षागृह बनाया था और पांडवों को इसी जगह पर जलाकर मारने का षड्यंत्र किया था। इसके लिए वारणावत (अब बरनावा) में पुरोचन नाम के शिल्पी से ज्वलनशील पदार्थ लाख और मोम आदि से भवन तैयार कराया गया था। कौरवों ने भवन में आग लगवा दी। पांडवों को इसकी सूचना पहले ही मिल गई थी और वे सभी सुरंग से होकर सुरक्षित बाहर निकल गए।

यह सुरंग हिंडन नदी के किनारे खुलती है और इसके अवशेष आज भी मिलते हैं। बरनावा को पहचान महाभारत में वर्णित वारणावत से ही मिली है। इस गांव के दक्षिण में लगभग 100 फीट ऊंचा और 30 एकड़ भूमि पर फैला हुआ विशाल टीला है, यह लाक्षागृह का पुरावशेष माना जाता है। टीले के नीचे एक गुफा स्थित है। माना जाता है कि पांडवों ने लाक्षागृह में आग से बचने के लिए इस टीले के नीचे स्थित सुरंग का प्रयोग किया था।

महाभारत काल के पुरावशेष

1952 में हस्तिनापुर में ए.एस.आई. के तत्कालीन महानिदेशक प्रो. देवीलाल के निर्देशन में उत्खनन कार्य हुआ था। उस दौरान प्राप्त हुए पुरावशेष अपने आप में दुर्लभ थे। यहां चित्रित धूसर मृद्भांड प्राप्त हुए थे। कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हुआ कि ये मृद्भांड महाभारतकालीन थे। बरनावा लाक्षागृह की ऊपरी सतह पर उत्खनन से पहले किए गए प्रारंभिक सर्वेक्षण में भी यहां से चित्रित धूसर मृद्भांड मिले थे। इससे स्पष्ट होता है कि यहां प्राप्त होने वाले पुरावशेष भी 4500-5000 साल पुराने थे और यही समय महाभारत का रहा है। 10 जनवरी, 2018 को ए.एस.आई. द्वारा बड़े स्तर पर इस टीले पर उत्खनन शुरू किया गया था। तब पुरातत्वविदों को यहां से 5,000 साल पुरानी संस्कृति के पुरावशेष, मानव कंकाल, एक विशाल एवं सुदृढ़ महल की दीवारें और मानव बस्ती मिली थी।

‘उद्योग पर्व’ में लाक्षागृह का वर्णन

इतिहासकार डॉ. के.के. शर्मा बताते हैं कि महाभारत के ‘उद्योग पर्व’ में वारणावत लाक्षागृह का वर्णन है। भगवान श्रीकृष्ण जब महाभारत युद्ध से पहले संधि का प्रस्ताव लेकर दुर्योधन के पास हस्तिनापुर गए थे तो उन्होंने पांडवों के लिए पांच गांव मांगे थे। उनमें वारणावत (बरनावा) भी था। बरनावा गांव में हिंडन व कृष्णा नदी के संगम पर महाभारतकालीन लाक्षागृह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। ए.एस.आई. की ओर से यहां संरक्षित क्षेत्र की चारदीवारी का निर्माण करा अवशेष को नक्काशीदार पत्थर लगाकर संवारा गया है। जीर्णोद्धार का कार्य भी हो चुका है। यहां हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश का पर्यटन एवं संस्कृति विभाग लाक्षागृह को महाभारत सर्किट योजना से जोड़कर इसका सौंदर्यीकरण करा चुका है। इसमें सुरंगों का सौन्दर्यीकरण, सभा कक्ष, पर्यटकों के लिए शेड, फुटपाथ, सीढ़ियां आदि शामिल हैं।

न्यायालय का निर्णय आने के बाद लाक्षागृह की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आशा है कि जल्दी ही यह स्थल एक बार फिर से अपनी प्राचीन पहचान को प्राप्त करेगा।

Topics: भगवान श्रीकृष्णLord Shri Krishnaमहाभारत युद्धMahabharata Warहिंदू समाजहिंदू आस्थाहिंदू पक्षमहाभारतकालीन लाक्षागृहमुस्लिम पक्षहस्तिनापुरMuslim sideMahabharata period Lakshagrihahindu societyHastinapurHindu sideHindu faith
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

संघ की शाखा एक विस्तारित परिवार ही होती है, हर स्वयंसेवक परिजन की तरह एक-दूसरे की और उसके परिवार की चिंता करता है (फाइल चित्र)

संघ शाखा एक विस्तारित परिवार

Manoj Muntashir attack on Anurag kashyap

अनुराग कश्यप के ‘मैं ब्राम्हणों पर पेशाब करूंगा’ बयान पर मनोज मुंतशिर बोले-औकात में रहो

दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते आचार्य देवव्रत। साथ में हैं बाएं से हितेश शंकर, बृजबिहारी गुप्ता और मुकेश भाई  मलकान

जड़ से जुड़ने पर जोर

संघ शताब्दी वर्ष : संघ कार्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का लक्ष्य

संघ शताब्दी के उपलक्ष्य में संकल्प : विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण

सपा सांसद रामजी लाल सुमन (फाइल फोटो)

सपा सांसद का शर्मनाक बयान : तुष्टिकरण के लिए राणा सांगा को कहा-गद्दार, कैसे भूल गए खानवा में उनका बलिदान.?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies