बिहार की राजनीति के लिए 12 फरवरी का दिन विशेष महत्व का था। फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बहुमत साबित कर अपनी सरकार बचा ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट में सबसे बड़ा ‘खेल’ तो राजद के तीन विधायकों ने किया। राजद वे तीन विधायक थे- शिवहर के विधायक चेतन आनंद, बाढ़ की विधायक नीलम देवी और सूर्यगढ़ा के प्रह्लाद यादव।
राजद से पाला बदलकर सत्ता पक्ष में जाने वाले विधायकों की पृष्ठभूमि भी बहुत कुछ बता देती है। चेतन आनंद बहुचर्चित आनंद मोहन के पुत्र हैं। आनंद मोहन का नाम ही काफी है। सहरसा की स्थानीय राजनीति में वे राजद सांसद मनोज झा के परिवार के खिलाफ ही राजनीति में आए थे। मनोज झा के चाचा रमेश झा कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। सहरसा में इनके एकाधिकार को आनंद मोहन ने ही समाप्त किया था। आनंद मोहन को जिलाधिकारी हत्याकांड में सर्वोच्च न्यायालय ने अभियुक्त माना है और वे सजा काटकर लौटे हैं। उनके जेल से छूटने पर भी विवाद चल रहा है। वर्तमान परिस्थिति में आनंद मोहन के लिए सत्ता का संरक्षण आवश्यक है। इसी प्रकार बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के लिए भी सत्ता के साथ रहना मजबूरी है। अभी अनंत सिंह जेल में हैं। कभी नीतीश कुमार इनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे। तीसरे विधायक हैं प्रह्लाद यादव। सूर्यगढ़ा के विधायक के निर्णय से सभी अचंभित हैं।
वामपंथी राजनीति से सार्वजनिक जीवन में आनेवाले प्रह्लाद यादव 1995 में पहली बार सूर्यगढ़ा से विधायक बने थे। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के सानिध्य में विधायक प्रहलाद यादव की राजनीतिक पहचान बनी। वे पांच बार विधायक बने। लखीसराय जिला के अध्यक्ष भी रहे। 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर इन्होंने भाजपा के प्रसिद्ध नारायण सिंह को 7. 5 हजार मतों से परास्त किया था। चुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही राजद की स्थापना हुई। ये राजद के संस्थापक सदस्य थे।
2000 में राजद के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडे और भाजपा के भागवत प्रसाद मेहता को 27 हजार मतों से परास्त कर दुबारा विधायक हुए। 2005 के फरवरी माह में होनेवाले चुनाव में भाजपा के प्रेम रंजन पटेल को 5 हजार मतों से शिकस्त दी थी लेकिन 2005 के नवंबर माह में हुए चुनाव हार गए। 2015 में पुनः राजद के प्रत्याशी बने और भाजपा के प्रेम रंजन पटेल को 16 हजार मतों से हराया। 2020 के चुनाव में जद (यू) के रामानंद मंडल को 9.5 हजार मतों से हराया। 64 वर्षीय प्रह्लाद यादव विज्ञान से स्नातक हैं। मुंगेर, लखीसराय और शेखपुरा जिला में इन्हें राजद का चेहरा भी कहा जाता था।
प्रह्लाद यादव का गांव पिपरिया है, जो यादव बहुल है। क्षेत्र में इस जाति की अच्छी संख्या है और इन्हीं के दम पर प्रह्लाद राजनीति करते रहे हैं। राजद का आधार वोट भी यादव और मुस्लिम हैं। ऐसे में प्रह्लाद के पाला बदलने से एक संकेत तो स्पष्ट है कि अब राजद के आधार वोट को भाजपा अपने पाले में करने लगी है।
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