Haldwani Violence: बनभूलपुरा में मदरसा रजिस्टर्ड नहीं, जुम्मे की नमाज नहीं पढ़ी जाती, फिर वो मस्जिद कैसे?

नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय का कहना था कि जमीन कब्जाने की नियत से मदरसा और बच्चों के नमाज स्थल को ढाल बनाया गया, जबकि आसपास के लोग भी वहां जुम्मे की नमाज अथवा रोज की नमाज पढ़ने नही जाते थे, यहां मदरसे का मौलवी भी बाहर से लाकर बिठाए गए।

Published by
दिनेश मानसेरा

उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए बवाल के बाद पैरवी करने आए जमीयत उलूम के रहनुमाओं से ये सवाल पूछा जा रहा है कि वो क्या एक भू माफिया के पक्ष में खड़े होने आए हैं? दरअसल, हल्द्वानी हिंसा के बाद जमीयत उलेमा ए हिन्द के दुबई कैंप कार्यालय से पूर्व राज्यसभा सदस्य महमूद मदनी साहब ने एक पत्र घटना के दिन ही आठ फरवरी को गृह मंत्री अमित शाह को लिख कर आरोप लगाया कि वहां मस्जिद मदरसा, प्रशासन द्वारा गिराया गया है।

हल्द्वानी बनभूलपुरा में अब्दुल मलिक के बगीचे को पहले अतिक्रमण मुक्त किया गया था, उसके बाद मदरसे और नमाज स्थल को हटाया गया जिसके बाद हल्द्वानी में बवाल हुआ और कई लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए, जिसमें पुलिस कर्मी और पत्रकार भी शामिल थे। दो दिन पहले जमीयत उलेमा ए हिन्द के उत्तराखंड के सदर और दिल्ली से आए नेता हल्द्वानी पहुंचे थे। इन सभी ने कर्फ्यू ग्रस्त क्षेत्र में जाने की बात कही परंतु प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।

इसे भी पढ़ें:  America: भारत विरोधी मुस्लिम सांसद Ilhan Umar को किया गया विदेश मामलों की समिति से बाहर

अब्दुल मलिक के बगीचे की जमीन को पचास-पचास रु के स्टांप पेपर पर बेचा जा रहा था, ये जमीन बागवानी की बताई जा रही है, जो कि नब्बे साल की लीज पर दी गई थी। इसकी लीज खत्म हो चुकी थी, इस जमीन को अब्दुल मलिक ने औने-पौने दाम पर खरीद कर अपना कब्जा कर लिया था और इसकी प्लाटिंग कर रहा था। इस जमीन की न तो लीज बढ़वाई गई और न ही फ्री होल्ड करवाई गई। सरकार ने अपनी जमीन वापिस इसलिए भी ली, क्योंकि हाई कोर्ट में इसे लेकर पूर्व पार्षद ने जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन की फटकार लगाई थी।

अब्दुल मलिक ने जमीन को कब्जाने की आड़ में एक मदरसा खोल दिया और और बच्चो के लिए एक नमाज स्थल बना दिया था। सवाल ये है कि क्या जमीयत उलेमा ए हिन्द के रहनुमा इस बात को लेकर अनिभिज्ञ थे कि यहां मदरसा कहीं भी रजिस्टर्ड था ही नहीं। इस स्थान पर जुम्मे की नमाज तक पढ़ी नही जाती? मुस्लिम मौलवी काजी ये मानते रहे हैं, जहां जुम्मे की नमाज अता की जाती है उसे ही मस्जिद माना जाता है।

बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों मदनी ने बिना तथ्यों को जाने, गृह मंत्री को पत्र लिख कर सुर्खिया बटोरी ? अन्य इस्लामिक संगठन भी इसी बात को बिना तथ्यों के बोल रहे है कि वो धार्मिक स्थल था। बताया जाता है कि अब्दुल मलिक ऊंची पहुंच वाला व्यक्ति है उसके प्रभाव को देखते हुए ही मदनी जैसी हस्तियों को भी बयान जारी करना पड़ा।

क्या कहते हैं नगर निगम आयुक्त

नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय का कहना था कि जमीन कब्जाने की नियत से मदरसा और बच्चों के नमाज स्थल को ढाल बनाया गया, जबकि आसपास के लोग भी वहां जुम्मे की नमाज अथवा रोज की नमाज पढ़ने नही जाते थे, यहां मदरसे का मौलवी भी बाहर से लाकर बिठाया गया और आठ दस बच्चे यहां लाकर बिठाए जाते थे ताकि प्रशासन की आंख में धूल झोंक सकें। आयुक्त के मुताबिक, जिन-जिन बगीचों को गैर कानूनी ढंग से बेचा जा रहा था, वहां कहीं मजार तो कहीं मदरसा का मॉड्यूल इस्तेमाल कर सरकारी जमीनों को खुर्द बुर्द किया जा रहा है जिसके बाद प्रशासन ने अपनी कारवाई की है।

Share
Leave a Comment

Recent News