पंथनिरपेक्षता को मजबूती देगा एक कानून
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

पंथनिरपेक्षता को मजबूती देगा एक कानून

समान नागरिक संहिता के लागू होने से भारत जैसे देश में दृढ़ होगी पंथनिरपेक्षता

by एम. आरिफ खान भारती
Feb 12, 2024, 01:59 pm IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

यह संहिता मुसलमानों के मजहबी मामलों में हस्तक्षेप और इस्लाम के विरुद्ध है। इसके लिए ये लोग तर्क-कुतर्क भी कर रहे हैं। मुख्य कुतर्क यह दिया जाता है कि शरीयत (शरिया लॉ) में सुधार की गुंजाइश ही नहीं है। इसका पालन अनिवार्य है और मुसलमानों के लिए उनका पर्सनल लॉ शरिया लॉ पर आधारित होना चाहिए।

एम. आरिफ खान भारती
सहायक प्रोफेसर, इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय (दिल्ली विवि)

समान नागरिक संहिता का अर्थ है भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून, चाहे वह किसी भी मजहब या पंथ से हो। इसमें शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी मत-पंथ के लोगों के लिए एक ही कानून होगा। इसके बावजूद कुछ मुस्लिम संगठन समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह संहिता मुसलमानों के मजहबी मामलों में हस्तक्षेप और इस्लाम के विरुद्ध है। इसके लिए ये लोग तर्क-कुतर्क भी कर रहे हैं। मुख्य कुतर्क यह दिया जाता है कि शरीयत (शरिया लॉ) में सुधार की गुंजाइश ही नहीं है। इसका पालन अनिवार्य है और मुसलमानों के लिए उनका पर्सनल लॉ शरिया लॉ पर आधारित होना चाहिए।

कुछ लोग ‘सेकुलरवाद’ की दुहाई देकर समान नागरिकता संहिता का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि समान नागरिक संहिता लागू करना सेकुलर उसूलों के खिलाफ है या न लागू करना खिलाफ है? क्या यह संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद को सशक्त नहीं करता? यदि आपराधिक कानून में समानता है और यह सभी पर लागू होता है तो फिर पर्सनल लॉ में ही मजहब का आधार क्यों है? क्या मजहब की आड़ में अमानवीय और अतार्किक कृत्य नहीं होते? क्या अलग-अलग कानून होना कानून के समक्ष समानता का खुला उल्लंघन नहीं है? स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे संवैधानिक मूल्यों के आधार पर समान नागरिक संहिता लागू होती है, तो कैसा भय, कैसी चिंता और संशय क्यों?

वर्तमान में हिंदू समाज में लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष है और लड़के की 21 वर्ष है। मुसलमानों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 9 वर्ष है। इस प्रकार का तर्कहीन अंतर क्यों? समान नागरिक संहिता लागू होने पर ऐसा नहीं होगा और सबकी शादी की उम्र एक समान होगी।

जो लोग समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि गोवा में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है।
दुनिया के 125 देशों में लड़की और लड़के की शादी की उम्र समान है अर्थात् सभी के लिए समान नियम हैं। कुछ देशों में यह 20 या 21 वर्ष है। हमारे यहां पंथनिरपेक्षता पश्चिम की तरह राज्य और मजहब के टकराव एवं तटस्थता पर आधारित नहीं है, बल्कि यह विविधता भरे समाज में सभी मत-पंथों के सहअस्तित्व और बंधुत्व पर आधारित है।

नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है, ‘‘राज्य भारत के राज्यक्षेत्र के अंतर्गत निवास करने वाले सभी नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा।’’ इसलिए समान कानून न बनाना एक प्रकार से संविधान के नियम की भी अवहेलना है। सही मायने में सच्ची पंथनिरपेक्षता तभी अस्तित्व में आएगा जब समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा।

हमारी पंथनिरपेक्षता इस बात से बंधी है कि राज्य का कोई मजहब नहीं होगा और राज्य सभी मत-पंथ से समानता का व्यवहार करेगा। परंतु जरूरत पड़ने पर राज्य उस अवस्था में हस्तक्षेप कर सकता है जब किसी मजहब की परंपरा या अमानवीय प्रथा से अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है। और यह राज्य की ही जिम्मेदारी है कि बदलते समय के साथ समाज में परिवर्तन करे। ठीक इसी आधार पर मुस्लिम समाज में व्याप्त तीन तलाक प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था।

मुसलमान आम तौर पर समान नागरिक संहिता को अपने मजहबी मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं, पर यह सत्य तब होता जब यह किसी मजहब विशेष के लिए होता या सिर्फ मुसलमानों पर ही लागू होता। संविधान के अनुसार सभी को अपने पंथ का पालन करने का अधिकार तो है परंतु इसके नाम पर अंधविश्वास और आमानवीय प्रथाओं को मानने का अधिकार किसी को नहीं है।

जिन मूल्यों के आधार पर संविधान को स्वीकार किया जाता है, उन्हीं मूल्यों के आधार पर समान नागरिक संहिता को क्यों नहीं स्वीकार किया जा सकता? सर्वधर्म समभाव की अवधारणा के तहत राज्य सभी मत-पंथों के साथ समानता का व्यवहार करते हुए समान नागरिक संहिता को लागू करता है और यह किसी भी मजहब विशेष के खिलाफ नहीं है तो फिर इसे किसी मजहब विशेष में हस्तक्षेप कैसे कहा जा सकता है? राज्य अपने हित के लिए समान नागरिक संहिता को लागू नहीं करेगा, बल्कि वह संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करते हुए इसको लागू करेगा। नागरिक संहिता के बारे में संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है, ‘‘राज्य भारत के राज्यक्षेत्र के अंतर्गत निवास करने वाले सभी नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा।’’ इसलिए समान कानून न बनाना एक प्रकार से संविधान के नियम की भी अवहेलना है। सही मायने में सच्ची पंथनिरपेक्षता तभी अस्तित्व में आएगा जब समान नागरिक संहिता को लागू किया जाएगा।

Topics: a lawसमान नागरिक संहितास्वतंत्रतासेकुलरवादसमानता और न्यायशरीयत (शरिया लॉ)Secularism Shariat (Sharia Law)
Share29TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

UCC से उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की नई शुरुआत : CM धामी

शत्रुघ्न सिन्हा

शत्रुघ्न सिन्हा ने किया UCC का समर्थन, मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने की उठाई मांग

उत्तराखंड के बाद गुजरात में लागू होगा UCC : सरकार ने गठित की समिति, 45 दिन में देगी रिपोर्ट

मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ यूसीसी नियमावली का लोकार्पण करते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

नागरिक समान, अधिकार समान

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने हिन्दू कोडबिल लाने कर विरोध किया था। उनका कहना था कि इस कानून के जरिए जो प्रावधान किए जा रहे हैं वह सबके लिए  होने चाहिए।

नेहरू नहीं चाहते थे यूसीसी लागू हो

Uniform civil code App launched

UCC नियमावली पोर्टल लॉन्च,  ऐसा करने वाला देश में पहला राज्य बना उत्तराखंड

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies