प्रधानमंत्री नरेंद्र ने स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के मौके पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि इतिहास में कुछ पल, दिन या क्षण ऐसे आते हैं जो कि भविष्य की दिशा को पूरी तरह से बदल देते हैं। 200 साल पहले जब अंग्रेजों की गुलामी की दासतां में जकड़ा भारतीय समाज अपनी चेतना को खोता जा रहा था तब स्वामी जी ने ‘वेदों की ओर लौटो’ का आह्वान किया था।
ये स्वामी दयानंद सरस्वती ही थे कि जिन्होंने देश को बताया कि किस प्रकार से रूढ़ियों और अंधविश्वास ने देश को जकड़ रखा है। जिसके कारण वैज्ञानिक चिंतन कमजोर हो गया था। लेकिन स्वामी जी ने इन्हीं सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते हुए वेदों पर लिखे भाष्य की तार्किक व्याख्या की और बताया कि दर्शन का वास्तविक स्वरूप क्या है। ये उन्हीं के प्रयासों की ही परिणति थी कि भारतीय समाज में दोबारा से आत्मविश्वास लौटने लगा। लोगों ने वेदों को जानने में रुचि दिखाई।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि उस दौरान स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि हमारी सामाजिक कुरीतियों को मोहरा बनाकर अंग्रेजी हुकूमत हमें नीचा दिखाने की कोशिश करती थी। सामाजिक बदलाव का हवाला देकर तब कुछ लोगों द्वारा अंग्रेजी राज को सही ठहराया जाता था। ऐसे कालखंड में स्वामी दयानंद जी के पदार्पण से उन सब साजिशों को गहरा धक्का लगा। लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, स्वामी श्रद्धानंद, क्रांतिकारियों की एक पूरी श्रंखला तैयार हुई, जो आर्य समाज से प्रभावित थी। इसलिए, दयानन्द जी केवल एक वैदिक ऋषि ही नहीं थे, वो एक राष्ट्र चेतना के ऋषि भी थे।
स्वामी दयानन्द ने देखा था उज्ज्वल भविष्य का सपना
स्वामी दयानन्द जी के जन्म के 200 वर्ष का ये पड़ाव उस समय आया है, जब भारत अपने अमृतकाल के प्रारंभिक वर्षो में है। स्वामी दयानन्द जी, भारत के उज्ज्वल भविष्य का सपना देखने वाले संत थे। भारत को लेकर स्वामी जी के मन में जो विश्वास था, अमृतकाल में हमें उसी विश्वास को, अपने आत्मविश्वास में बदलना होगा। स्वामी दयानंद आधुनिकता के पैरोकार थे, मार्गदर्शक थे। उनसे प्रेरणा लेते हुए आप सभी को भी हम सभी को भी इस अमृतकाल में भारत को आधुनिकता की तरफ ले जाना है, हमारे देश को हमारे भारत को विकसित भारत बनाना है। आज आर्य समाज के देश और दुनिया में ढाई हजार से ज्यादा स्कूल हैं, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं। आप सभी 400 से ज्यादा गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षित-प्रशिक्षित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत समेत कई संत और मंत्री उपस्थित रहे। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि मेरी इच्छा थी कि मैं स्वयं स्वामी जी की जन्मभूमि टंकारा पहुंचता, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया। मेरा सौभाग्य रहा कि स्वामीजी की जन्मभूमि गुजरात में मुझे जन्म मिला।
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