नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुस्तक के लेखक राहुल तिवारी वर्तमान में डॉक्टरेट शोधार्थी के छात्र हैं। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार जी मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मालती प्रकाशन के निर्देशक भरत शर्मा उपस्थित रहे। प्रतिष्ठित वक्ता और जाने माने लेखक अरुण आनंद भी मंच पर मौजूद रहे।
यह पुस्तक अमेरिकी शैक्षिक व्यवस्था और उसके भारतीय प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करती है, जो सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक शिक्षा, संस्कृति, और राजनीति के तंत्र को विश्लेषित करती है और आधुनिक समाज के विकास में योगदान करती है।
मुख्य अतिथि जे नंद कुमार जी ने कहा, “पुस्तक का नाम “The Puritan Movement” बिल्कुल सही रखा गया है, जिसमें तथाकथित वामपंथियों, लिबरलों, सेक्युलरों तथा इस्लामी चरमपंथियों को एक्सपोज करते हुए यह बताया है कि ये सभी एकसाथ मिलकर काम करते हैं। नेहरू वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले कहा था कि संस्कृत एक मृत भाषा है और महात्मा गांधी कभी भी उनके समाजवाद के सिद्धांतों से सहमत नहीं थे। इस कारण नेहरू के समर्थकों ने गांधी के विचारों को हो गांधीवादी समाजवाद का नाम दे दिया और पूरे देश में प्रोपेगेंडा चलाया। हमारे देश में टॉलरेंस को कभी स्थान नहीं दिया गया है, लेकिन “सर्वधर्म समभाव” का अनुकरण हम हमेशा से करते आए हैं।”
भरत शर्मा ने कहा, “यदि अब्राहमिक पंथों के इतिहास को देखेंगे, तो हम यह पाते कि इनका हमेशा से आपसी झगड़ा रहा है और अमेरिका के अधिकतर विश्वविद्यालय ईसाई पंथ का पाठ पढ़ाने वाले सेमिनरी की तरह कार्य करते रहे हैं।”
पुस्तक के लेखक राहुल तिवारी ने कहा, “अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हमेशा से ईसाई प्रोपेगेंडा चलाया गया है तथा एंटी इंडिया और रूस के खिलाफ एक माहौल बनाकर रखा जाता रहा है। प्रोपेगेंडा चलाने के लिए भारत के लोगों का ही भारत में इस्तेमाल किया जा रहा, जिसमें मुख्य तौर पर ये कथित लिबरल, सेक्युलर और प्रोग्रेसिव तथा वामपंथी विचारधारा से प्रेरित लोग शामिल हैं।
प्रतिष्ठित वक्ता अरुण आनंद ने कहा, “अमेरिका वास्तव में माफिया का एक सरगना है। पूरे समस्त विश्व को 50 मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स के द्वारा द्वारा चलाया जा रहा है जिसका विरोध भारत 2014 से करता आया है। यह बुक काउंटर-नैरेटिव पर ज्यादा केंद्रित है, लेकिन फिर भी इस पुस्तक में नैरेटिव्स सेट करने के बीज हम पाते हैं।”
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