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हल्द्वानी: उत्तराखंड का सबसे ज्यादा क्राइम वाला क्षेत्र बनभूलपुरा, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, भूमाफिया बने मुस्लिम नेता

पुलिस प्रशासन के लिए हमेशा सिरदर्द रही है अवैध रूप से बसी ये आबादी, शहर से भी महंगा है जमीनों का रेट

by दिनेश मानसेरा
Feb 9, 2024, 12:18 pm IST
in उत्तराखंड
Uttarakhand haldwani riots

उत्तराखंड के हल्द्वानी में हिंसा के बाद लगा कर्फ्यू

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हल्द्वानी। बनभूलपुरा क्षेत्र में बीती रात कट्टरपंथी दंगाइयों ने जो उपद्रव किया वह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं थी। दंगाइयों ने इसकी बहुत पहले से तैयारी की हुई थी, जब से यहां की ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, नई बस्ती में रेलवे, वन विभाग और राजस्व की जमीनों पर अतिक्रमण किए जाने का मामला सुर्खियो में आया है तब से ये आशंका जाहिर की जा रही थी कि एक न एक दिन ऐसा होगा।

अवैध कब्जे का मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट चला गया और वहां इसे सुना जा रहा है। जबकि जो कल अवैध कब्जा हटाया गया और मदरसा तोड़ा गया वह मामला अलग है, जिसकी प्रतिक्रिया में वहां के भू-माफिया ने दंगा करवाया। इसके बाद पुलिस को दंगा करने वालों पर नियंत्रण पाने के लिए कई राउंड फायर करने पड़े। कई दंगाइयों की मौत भी हुई और सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं। हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा है, दंगाइयों की धरपकड़ की जा रही है। फोर्स फ्लैग मार्च कर रही है और चिन्हित आरोपियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन चल रहा है।

अपराधियों की शरणस्थली बनभूलपुरा का इलाका

ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र सर्वाधिक क्राइम वाला और घनी आबादी वाला है। हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के दूसरी तरफ रेलवे पटरी के पार गौला नदी बहती है, जिसमें से रेत-बजरी पत्थर का चुगान होता है। अंग्रेजी शासन काल से लेकर सत्तर के दशक तक रेलवे अपनी नई-पुरानी परियोजनाओं के लिए पत्थर तुड़वा कर गिट्टी को इस नदी से लेता रहा। यहां जो ठेकेदार पत्थर तोड़ने का ठेका लेते थे वो रामपुर, मुरादाबाद, स्वार इलाकों से सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम मजदूर लेकर आए और वे पत्थर तोड़कर मालगाड़ी में गिट्टी भरवाते थे। यह मजदूर यहीं रेल पटरी के किनारे झोपड़ी डालकर बैठ गए। उस वक्त रेलवे ने भी इन्हे नहीं रोका क्योंकि ये रेलवे के लिए ही गिट्टी तोड़ रहे थे। वर्षों से ये अपने काम करते रहे, इनके बच्चे भी यहीं हुए और वे भी इस काम के साथ-साथ गोला नदी से रेत बजरी चुराकर घोड़ा बुग्गी से ढोकर शहर में बेचने लगे। धीरे-धीरे इनकी झोपड़ियां पक्के स्वरूप में तब्दील होती गईं।

रेत-बजरी की चोरी

बनभूलपुरा वह इलाका है जहां रेलवे की पटरी किनारे वे घोड़ा-बुग्गी वाले रहते हैं जो दिन-रात गौला नदी में अवैध खनन कर उत्तराखंड के वन विभाग को राजस्व आय को नुकसान पहुंचाते रहे हैं। इनकी संख्या हजारों में है। उन्हीं में से कुछ लोग रेत-बजरी चोरी करके अब डंपर और कुछ तो जेसीबी मालिक बन बैठे हैं। यहां गौला नदी से चोरी का माल निकालने वाले ही अपना गैंग बनाते हैं और कई बार यहां गैंगवार भी हुई है। गौला नदी से रेता बजरी चोरी करने वालों को वन विभाग या पुलिस विभाग भी पकड़ नहीं पाता और यदि कोई हाथ लग भी गया तो उनके राजनीतिक आका उन्हें छुड़ा ले जाते रहे हैं।

रेलवे पटरी किनारे ढोलक बस्ती,गफूर बस्ती, नई बस्ती और इंद्रा नगर बनभूलपुरा क्षेत्र के वे मोहल्ले हैं, जिन्हें भूल-भुलैया भी कहा जाता है। इस इलाके के थाने में जाने से पुलिसकर्मी भी कतराते हैं। बलिष्ठ पुलिसकर्मियों की यहां तैनाती की जाती है।

नशे का कारोबार

बनभूलपुरा वह इलाका है जहां राज्य का सबसे ज्यादा नशे का काला कारोबार होता है। बरेली से आने वाले स्मैक तस्कर यहां डेरा डालते रहे हैं। ट्रेन और बाइक पर आने वाले ड्रग्स के कैरियर यहां डिलीवरी देते हैं। चरस-गांजा की खरीद फरोख्त का काला धंधा यहां वर्षों से चलता रहा है।

लकड़ी की तस्करी

लंबे समय से बनभूलपुरा चोरी की इमारती लकड़ी के लिए मशहूर रहा है। गौला नदी के पार जंगल के पेड़ों को काटकर, इमारती लकड़ी को घोड़ों पर लादकर यहां बनभूलपुरा क्षेत्र में छुपाया जाता था। यहां रहने वाले 300 से ज्यादा बढ़ई चोरी की लकड़ी को रातोंरात चीर कर ठिकाने लगा देते रहे हैं। वन विभाग भी चीरी हुई लकड़ी को अपना नहीं बता पाता है। हल्द्वानी और आसपास जितने मकान रोज बनते हैं उसमें लगने वाली लकड़ी का दस प्रतिशत भी वन निगम से नहीं खरीदा जाता और सभी जगह चोरी की लकड़ी का माल खपाया जाता है।

चोर-लुटेरों का अड्डा है बनभूलपुरा

यूपी, बिहार से लेकर कई अन्य राज्यों के चोर-लुटेरे इस इलाके में आकर छिपते रहे हैं। उत्तराखंड के कुमायूं मंडल में यदि कोई चोरी या लूट की वारदात होती है तो पुलिस सबसे पहले अपराधी को यहां खोजती है। उत्तराखंड पुलिस के हर शहर की कोतवाली और थाना क्षेत्र की फोटो डायरी में और अब कंप्यूटर रिकार्ड में बनभूलपुरा इलाके के अपराधियों के फोटो रिकार्ड मिलेंगे। ट्रेन में, शहरो में ,ट्रेन में मोबाइल, पर्स, बैग, कुंडल, गले की चेन ,छीनाझपटी करने वालों के आश्रयस्थल के रूप में बनभूलपुरा क्षेत्र जाना जाता है।

अपराधियों का गढ़

हल्द्वानी में जितने भी बदमाश पनपे वे बनभूलपुरा इलाके में पनपे और इन सभी का यहां के छोटे-छोटे अपराधियों को संरक्षण देने में भूमिका रही। कुछ तो बाद में यहां के पार्षद बन गए। इन पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं का संरक्षण इसलिए भी रहा क्योंकि यहां मुस्लिम आबादी थी, जोकि बीजेपी को वोट नहीं देती थी। इन्हें डर दिखाया गया कि बीजेपी आयेगी तो बनभूलपुरा को उजाड़ देगी। यहां के छोटे से बड़े अपराधियों को कथित रूप से संरक्षण मिलता रहा है और यही वजह है कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से इन्हीं दोनों दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में रेलवे अतिक्रमण मुद्दे पर खुद जाकर पैरवी की है।

हल्द्वानी आईएसबीटी निर्माण पर रोक की वजह बनभूलपुरा बस्ती

कांग्रेस शासन काल में गौला नदी पार स्टेडियम के पास करीब 25 करोड़ की लागत से आईएसबीटी बनाया जाना था। वन विभाग से जमीन ट्रांसफर हो गई, बीजेपी सरकार आई तो स्थानीय लोगों ने इस आईएसबीटी का विरोध किया। इसके पीछे बड़ी वजह यह थी कि हिंदू समाज के लोगों को बस पकड़ने के लिए इस बनभूलपुरा बस्ती से होकर गुजरना पड़ेगा क्योंकि कोई और रास्ता नहीं था या फिर लोगो को काठगोदाम अथवा तीनपानी से आना पड़ता जिसमें समय और पैसा लगता। बनभूलपुरा में अपराधी दिन-रात सक्रिय रहते हैं। इस इलाके में तो स्थानीय मुस्लिम महिलाएं तक बेपर्दा होकर निकलने में असहज रहती हैं और हिंदू महिलाओं को यहां जाना असुरक्षा महसूस कराता था। इसलिए बीजेपी सरकार ने जनभावना को देखते हुए आईएसबीटी पर काम रुकवा दिया।

रेलवे स्टेशन तक जाना मुश्किल

हल्द्वानी रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों को ढोलक, गफूर बस्ती से होकर गुजरना पड़ता था। रिक्शा से पीछे से अपराधी सामान निकालकर भाग जाते हैं, स्टेशन परिसर में इन्हीं उठाईगीरों को पुलिस दौड़ाती रहती है। स्टेशन के बाहर यात्रियों के साथ जो व्यवहार होता है वो बयान करने लायक नहीं है।

कुल मिलाकर ये इलाका पुलिस-प्रशासन के लिए हमेशा से ही चुनौतियां पेश करता रहा है। जिसका परिणाम एक बार फिर हिंसा की घटना में दिखाई दिया।

Topics: उत्तराखंड समाचारभूमाफियाहल्द्वानी में अतिक्रमणबनभूलपुरा अतिक्रमणपाञ्चजन्य विशेषहल्द्वानी में बवालबनभूलपुरा में दंगा
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