फरीदाबाद में 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में अब तक सवा तीन लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंच चुके हैं। मेला क्षेत्र में एक ओर जहां शिल्पकार अपने उत्पादों की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित लोक कलाकार भी देशी व विदेशी पर्यटकों को अपने वाद्य यंत्रों की सुरीली धुनों पर थिरकने को मजबूर कर रहे हैं। मुख्य चौपाल व छोटी चौपाल पर दिनभर देशी व विदेशी कलाकार अपनी-अपनी संस्कृतियों की लगातार झलक बिखेर रहे हैं।
पारंपरिक वेशभूषा में लोक कलाकार पर्यटकों का कर रहे हैं स्वागत व मनोरंजन
लोक कलाकारों में पलवल की बंचारी पार्टी हरेंद्र सिंह के नेतृत्व में शिल्पमेला के अति विशिष्ट द्वार के समीप पर्यटकों का ढोल नगाडों की थाप पर दिनभर मनोरंजन कर रहे हैं। यह पार्टी मेला में पहुंचने पर सुरीली धुनों से पर्यटकों का स्वागत कर रही है तथा पर्यटकों को नाचने पर भी विवश कर रही है। हरेंद्र सिंह ने बताया कि वे सूरजकुंड शिल्प मेला की शुरूआत से लागातार इस मेले में पहुंचकर पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे हैं। बंचारी पार्टी में हरेंद्र सिंह, लेखराम, कर्म सिंह, पुरूषोत्तम, मोनू, लोकेश, बलबीर, अजीत, गुलशन व वीरेंद्र शामिल हैं। सरकार द्वारा कौशल विकास को बढावा देने के लिए दूधौला में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। इस विश्वविद्यालय में बंचारी का भी एक व दो वर्षीय डिप्लोमा दिया जा रहा है। बंचारी पार्टी गीता जंयती महोत्सव के कार्यक्रमों में भी लगातार प्रदेश की समृद्ध संस्कृति से लोगों को रूबरू करवा रही है।
पद्मश्री दिलशाद हुसैन धातु कला को देश-विदेश में दिलवा रहे हैं पहचान
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के 75 वर्षीय दिलशाद हुसैन धातु कला को देश-विदेश में प्रसिद्धि दिलाने में जुटे हैं। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित यह कलाकार अपनी पुस्तैनी कला को तीन पीढियों से परिवर सहित आगे बढा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कलाकार द्वारा बनाया गया धातु का बर्तन जर्मनी यात्रा के दौरान जर्मनी की चांसलर को भेंट किया था।

यह कलाकार भी अपनी कलाकृतियों के साथ 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में पहुंचा है, जिन्हें पर्यटक बारीकि से निहारते देखे जा सकते हैं। मुरादाबाद देशभर में पीतल के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है। मेला परिसर में स्टॉल संख्या-1224 पर दिलशाद हुसैन ने अपनी धातु की कलाकृतियों को बखूबी प्रदर्शित किया है। इन कलाकृतियों में बर्तन, फ्लावर पॉट, हुक्का आदि शामिल हैं। इस स्टॉल पर पर्यटक 50 रुपए से 20 हजार रुपए तक की सुंदर धातु की कलाकृतियों की खरीददारी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। दिलशाद के पांचों पुत्र रिहान, फैजल, नौसाद, अनस व साकेत भी अपने पिता के साथ अपनी पुस्तैनी कला को आगे बढा रहे हैं। दिलशाद हुसैन को धातु शिल्प कला को बढावा देने के लिए राष्टï्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा वर्ष 2023 के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया है।
स्टॉल 1021 पर उड़ीसा के शिल्पकार द्वारा प्रदर्शित किए गए हैं सच्चे मोती
मेला परिसर में उड़ीसा के बालासोर के शिल्पकार साहू परिवार द्वारा सच्चे मोती का स्टॉल लगाया गया है। इस स्टॉल पर महिलाओं के आभूषण प्रदर्शित किए गए हैं। यह परिवार भी अपनी पुस्तैनी कला को खेती के कार्य के साथ-साथ आगे बढ़ा रहा है। अजय साहू के नेतृत्व में परिवार के अन्य सदस्यगण मेले में पहुंचे हैं। इसके अलावा यह परिवार दिल्ली हाट में भी इन आभूषणों की प्रदर्शनी लगा रहे हैं।
छोटी चौपाल पर देशी-विदेशी कलाकारों ने दिनभर पर्यटकों का किया मनोरंजन
मेला में पहुंच रहे देशी-विदेशी पर्यटकों का मुख्य चौपाल के अलावा छोटी चौपाल पर देशी व विदेशी कलाकार दिनभर अपनी शानदार प्रस्तुतियों से खूब मनोरंजन कर रहे हैं। शिल्प मेला के गुरुवार को सातवें दिन छोटी चौपाल पर देश की प्रसिद्ध कलाकार डा. संगीता शर्मा की टीम ने भगवान शिव द्वारा तारकासुर के तीन पुत्रों के वध की घटना का सजीव चित्रण करते हुए दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इस प्रस्तुति में दर्शाया गया कि भगवान शिव ने ब्रह्मा के वरदान के अनुरूप तारकासुर के तीनों पुत्रों का एक बाण से वध किया, जो मानवता पर घोर अत्याचार कर रहे थे। आज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत पंजाब के कलाकार रवि एंड पार्टी द्वारा प्रस्तुत किए गए शानदार भंगडा से हुई। इन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति में रंगला पंजाब की प्रसिद्ध संस्कृति को प्रदर्शित किया। किर्गिस्तान की कलाकार ने शानदार गिटार वादन से दर्शकों का मन मोह लिया तथा अन्य कलाकारों ने शानदार नृत्य से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। जांबिया के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति में शानदार लोक गीत प्रस्तुत किए। राजस्थान के विनय गजरावत की टीम ने चकरी नृत्य के माध्यम से मियां-बीबी की तकरार को बयां किया।

स्थानीय जीवा पब्लिक स्कूल की दूसरी कक्षा की सात वर्षीय श्रुतकृति ने एकल गीत पर शानदार एकल नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों की खूब तालियां व स्नेह बटोरा। इस नन्ही मुन्नी कलाकार ने नृत्य में अपना कौशल प्रदर्शित करते हुए अद्भुत प्रस्तुति दी। हरियाणवी कलाकार शीशपाल एंड पार्टी ने बोल बम, बोल बम, बम बम गीत की शिव स्तुति पर सामूहिक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इनके अलावा अन्य लोक कलाकारों व विदेशी कलाकारों ने अनेक प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। यह सभी कलाकार अपने-अपने प्रदेशों व देशों की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। इस अवसर पर सांस्कृतिक अधिकारी रेणु हुड्डा, सुमन डांगी के अलावा राजीव बख्शी सहित अन्य संबंधित अधिकारी व पर्यटक मौजूद रहे।
रमेश राठी के झूले बने आकर्षण का केंद्र
मेले में इस बार रमेश राठी बच्चों के लिए 20 प्रकार के मनमोहक झूले लेकर आए हैं। उनके झूलों में इस बार मनोरंजन के लिए मारूति सर्कस को शामिल किया गया है। मारूति सर्कस में कार सवार द्वारा हैरतअंगेज करतब दिखाए जाते हैं,जो बच्चों के साथ-साथ नौजवानों और बुर्जुर्गों को भी बहुत भा रहा है।

मेला घूमने आए लोग मेला ग्राऊंड के गेट नम्बर एक के पास लगाए गए झूलों में मारूति सर्कस के अलावा सलमेवा, रेन्जर, बे्रक डांस झूला, कोलम्बस झूला, ड्रेगन, जहाज, नैनो, छोटा कोलम्बस, ईलैक्ट्रिक कार, तीरा, छोटी ट्रेन, जहाज व चांद तारा की भी सवारी कर सकते हैं।
फिवन की कॉफी बनी पर्यटकों की पसंद
इस मेले में देश ही नहीं विदेशों से भी कलाकार अपनी कलाकृति और उत्पाद लेकर सूरजकुंड आए हैं। ऐसी ही एक महिला इथोपिया से वहां की स्पेशल कॉफी लेकर सूरजकुंड मेले में पहुंची है।

इथोपिया की इस महिला की खास बात यह है कि वह हिंदी बोलना जानती है। फिवन की कॉफी हर किसी को लुभा रही है। इथोपिया से भारत आई महिला फिवन ने भारत आने से पहले हिन्दी बोलना सीखी। फिवन का कहना है कि वह पिछले काफी दिनों से हिन्दी बोलना और पढना सीख रही थी। उनकी इच्छा थी कि वह भारत जरूर जाए। उन्होंने कहा कि अपने देश की भाषा और कल्चर को कभी नहीं भूलना चाहिए। लोग बाहर की कंट्री में जाने के लिए इंग्लिश सीखते हैं, लेकिन उन्हें अपने कल्चर और अपने भाषा को नहीं भूलना चाहिए। फिवन ने कहा उनके पति राजकुमार, एनआईटी-5 फरीदाबाद के रहने वाले हैं। उन्होंने करीब चार साल पहले राजकुमार से लव मैरिज की थी। वह पिछले काफी समय से फरीदाबाद में ही रहती हैं।
खोया-पाया बूथ मेले में बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने में कर रहा बेहतर काम
हरियाणा टूरिज्म की ओर से इस मेला में मुख्य चौपाल के पीछे गेट नंबर-1 की ओर स्थापित किया गया खोया पाया बूथ मेले में बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने में काफी मददगार साबित हो रहा है। पलक मेहरा इस खोया पाया बूथ की अनाउंसर है, जो मेले में अपने परिजनों से बिछड़े लोगों को मिलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहीं हैं।

अगर कोई व्यक्ति सूरजकुंड मेले में घूमने के दौरान अपनों से बिछुड जाने के बाद इस अनाउंसमेंट बूथ पर जाकर अपने परिजनों से मिलने की एनाउंसमेंट करवाते हैं। खोया पाया बूथ बिछुडे हुए व्यक्ति की सहायता के लिए उसकी संबंधित जानकारी पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के माध्यम से तुरंत अनाउंस की जाती है और बिछुडे हुए व्यक्ति को उसके परिजनों से मिलाया जाता है। यह बूथ अब तक करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को मेले में बिछुडने के पश्चात अपनों से मिलवाने में सहायता कर चुका है।
टिप्पणियाँ